राम सिंह पठानिया
राम सिंह पठानिया
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पूरा नाम | राम सिंह पठानिया |
जन्म | 10 अप्रॅल, 1824 |
मृत्यु | 11 नवंबर, 1849 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी |
अन्य जानकारी | जसवंत सिंह ने खुद को राजा नियुक्त करते हुए राम सिंह पठानिया को अपना मंत्री बनाया था। इसके पश्चात उन्होंने हिमाचल से सारे अंग्रेज़ों को उखाड़ फेकने की योजना बनायी। |
राम सिंह पठानिया (अंग्रेज़़ी: Ram Singh Pathania, जन्म- 10 अप्रॅल, 1824; मृत्यु- 11 नवंबर, 1849) भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। वह अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले सेनानी थे। उन्होंने मुट्ठी भर साथियों के साथ अंग्रेज़ी साम्राज्य की नींव हिलाकर रख दी थी। उस समय राम सिंह पठानिया की उम्र केवल 24 वर्ष थी।
- राम सिंह पठानिया का जन्म नूरपुर रियासत के मंत्री श्याम सिंह के घर 10 अप्रैल, 1824 को हुआ था।
- उनके पिता नूरपुर रियासत में राजा वीर सिंह के मंत्री थे।
- सन 1846 में अंग्रेज़-सिक्ख संधि के कारण हिमाचल प्रदेश की अधिकांश रियासतें अंग्रेज़ साम्राज्य के आधीन हो गई थीं। उसी समय राजा वीर सिंह की मृत्यु हो गई। उस समय उनके बेटे जवसंत सिंह राजगद्दी के उत्तराधिकारी थे।
- अंग्रेज़ों ने जसवंत सिंह के सारे अधिकार पांच हजार रुपए में ले लिए और रियासत को अपने शासन से मिलाने की घोषणा कर दी, जो वीर सिंह पठानिया को मंजूर नहीं था।
- वीर सिंह पठानिया ने कटोच राजपूतों के साथ मिलकर सेना बनाई और अंग्रेज़ों पर धावा बोल दिय। इस आक्रामण से अंग्रेज़ भाग खड़े हुए और राम सिंह ने अपना ध्वज लहरा दिया। इससे खुश होकर जसवंत सिंह ने खुद को राजा नियुक्त करते हुए राम सिंह पठानिया को अपना मंत्री बना लिया। इसके पश्चात उन्होंने हिमाचल से सारे अंग्रेज़ों को उखाड़ फेकने की योजना बनायी और विजय प्राप्त की।[1]
- अंग्रेज़ों को भी पता था कि वे राम सिंह को आसानी से गिरफ्तार या मार नहीं सकते हैं। ऐसे में उन्होंने षडयन्त्र बनाया और जब राम सिंह पठानिया पूजा-पाठ कर रहे थे, तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाकर कालापानी भेज दिया। उसके बाद उन्हें रंगून भेजा गया और उन पर काफी अत्याचार किए गये।
- 11 नवंबर, 1849 को मात्र 24 साल की उम्र में राम सिंह पठानिया वीरगति को प्राप्त हो गए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ युद्ध नायक (हिंदी) hpkangra.nic.in। अभिगमन तिथि: 27 अगस्त, 2021।
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