मार्गशीर्ष कृत्य: Difference between revisions
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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*तमिल देश में पूरे [[मास]] भर पवित्र माना जाता है और भजन मण्डलियाँ प्रातःकाल घूमती रहती हैं।<ref>कृत्यरत्नाकर (442-432 | *तमिल देश में पूरे [[मास]] भर पवित्र माना जाता है और भजन मण्डलियाँ प्रातःकाल घूमती रहती हैं।<ref>कृत्यरत्नाकर (442-432</ref>; <ref>वर्ष क्रियाकौमुदी (482-487</ref>; <ref>निर्णयसिन्धु (209-211</ref>; <ref>स्मृतिकौस्तुभ (427-432</ref> | ||
*[[गीता]]<ref>गीता(10|35 | *[[गीता]]<ref>गीता(10|35</ref> के अनुसार मासों में [[मार्गशीर्ष]] सर्वोत्तम है और वह भगवान [[कृष्ण]] के समान माना गया है। | ||
*[[सत युग|कृत युग]] (सतयुग) में देवों ने [[वर्ष]] का आरम्भ [[मार्गशीर्ष]] की प्रथम तिथि से किया था। | *[[सत युग|कृत युग]] (सतयुग) में देवों ने [[वर्ष]] का आरम्भ [[मार्गशीर्ष]] की प्रथम तिथि से किया था। | ||
*ऋषि [[कश्यप]] ने [[कश्मीर]] नामक सुन्दर देश की रचना की थी। | *ऋषि [[कश्यप]] ने [[कश्मीर]] नामक सुन्दर देश की रचना की थी। | ||
*अतः इस पर उत्सव किया जाना चाहि। | *अतः इस पर उत्सव किया जाना चाहि। | ||
*प्रत्येक [[द्वादशी]] पर [[विष्णु]] के '[[केशव (विष्णु)|केशव]]' से लेकर '[[दामोदर]]' के बारह नामों में एक का नाम लेना चाहिए और पूजा करनी चाहिए। | *प्रत्येक [[द्वादशी]] पर [[विष्णु]] के '[[केशव (विष्णु)|केशव]]' से लेकर '[[दामोदर]]' के बारह नामों में एक का नाम लेना चाहिए और पूजा करनी चाहिए। | ||
*कर्ता जातिश्मर (जो कि पूर्व जन्मों के कृत्यों को स्मरण कर लेता है) हो जाता है और वहाँ पर पहुँच जाता है, जहाँ पर से लौटना नहीं होता है।<ref> | *कर्ता जातिश्मर (जो कि पूर्व जन्मों के कृत्यों को स्मरण कर लेता है) हो जाता है और वहाँ पर पहुँच जाता है, जहाँ पर से लौटना नहीं होता है।<ref>अनुशासन पर्व अध्याय 109</ref>; <ref>बृहत्संहिता 104|14-16</ref> | ||
*[[मार्गशीर्ष]] [[पूर्णिमा]] पर विशेषतः चन्द्र की पूजा की जानी चाहिए, क्योंकि उसी समय चन्द्र पर अमृत छिड़का गया था। | *[[मार्गशीर्ष]] [[पूर्णिमा]] पर विशेषतः चन्द्र की पूजा की जानी चाहिए, क्योंकि उसी समय चन्द्र पर अमृत छिड़का गया था। | ||
*गाय को नमक देना चाहिए। | *गाय को नमक देना चाहिए। | ||
*माँ, बहन, पुत्री तथा अन्य नारी सम्बन्धियों को नवीन वस्त्रों का जोड़ा देना चाहिए। | *माँ, बहन, पुत्री तथा अन्य नारी सम्बन्धियों को नवीन वस्त्रों का जोड़ा देना चाहिए। | ||
*नृत्य गान का उत्सव होना चाहिए, जो लोग मदिरा का सेवन करते हैं, उन्हें उस दिन ताजी मदिरा ग्रहण करनी चाहिए।<ref>कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिक, 432-433 | *नृत्य गान का उत्सव होना चाहिए, जो लोग मदिरा का सेवन करते हैं, उन्हें उस दिन ताजी मदिरा ग्रहण करनी चाहिए।<ref>कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिक, 432-433</ref>; <ref>कृत्यरत्नाकर (471-472</ref> | ||
*मार्गशीर्ष; पूर्णिमा पर [[दत्तात्रेय जयन्ती]] की जाती है। | *मार्गशीर्ष; पूर्णिमा पर [[दत्तात्रेय जयन्ती]] की जाती है। | ||
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Latest revision as of 12:58, 27 July 2011
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- तमिल देश में पूरे मास भर पवित्र माना जाता है और भजन मण्डलियाँ प्रातःकाल घूमती रहती हैं।[1]; [2]; [3]; [4]
- गीता[5] के अनुसार मासों में मार्गशीर्ष सर्वोत्तम है और वह भगवान कृष्ण के समान माना गया है।
- कृत युग (सतयुग) में देवों ने वर्ष का आरम्भ मार्गशीर्ष की प्रथम तिथि से किया था।
- ऋषि कश्यप ने कश्मीर नामक सुन्दर देश की रचना की थी।
- अतः इस पर उत्सव किया जाना चाहि।
- प्रत्येक द्वादशी पर विष्णु के 'केशव' से लेकर 'दामोदर' के बारह नामों में एक का नाम लेना चाहिए और पूजा करनी चाहिए।
- कर्ता जातिश्मर (जो कि पूर्व जन्मों के कृत्यों को स्मरण कर लेता है) हो जाता है और वहाँ पर पहुँच जाता है, जहाँ पर से लौटना नहीं होता है।[6]; [7]
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर विशेषतः चन्द्र की पूजा की जानी चाहिए, क्योंकि उसी समय चन्द्र पर अमृत छिड़का गया था।
- गाय को नमक देना चाहिए।
- माँ, बहन, पुत्री तथा अन्य नारी सम्बन्धियों को नवीन वस्त्रों का जोड़ा देना चाहिए।
- नृत्य गान का उत्सव होना चाहिए, जो लोग मदिरा का सेवन करते हैं, उन्हें उस दिन ताजी मदिरा ग्रहण करनी चाहिए।[8]; [9]
- मार्गशीर्ष; पूर्णिमा पर दत्तात्रेय जयन्ती की जाती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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