गुरुबख्श ढिल्लो: Difference between revisions

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*गुरुबख्श ढिल्लो [[आज़ाद हिन्द फौज]] के महान् सेनानी हैं।  
गुरुबख्श ढिल्लो [[आज़ाद हिन्द फ़ौज]] के महान् सेनानी हैं।  
*गुरुबख्श ढिल्लो पहले भारतीय सेना में सम्मिलित थे, किन्तु द्वितीय विश्वयुद्ध के समय आज़ाद हिन्द फौज में सम्मिलित हो गये।  
*गुरुबख्श ढिल्लो पहले भारतीय सेना में सम्मिलित थे, किन्तु द्वितीय विश्वयुद्ध के समय आज़ाद हिन्द फ़ौज में सम्मिलित हो गये।  
*आज़ाद हिन्द फौज में रहते हुए उन्होंने अनेक स्थानों पर वीरतापूर्वक युद्ध लड़े।  
*आज़ाद हिन्द फ़ौज में रहते हुए उन्होंने अनेक स्थानों पर वीरतापूर्वक युद्ध लड़े।  
*[[सुभाष चन्द्र बोस|सुभाष]] की मृत्यु के बाद जब आज़ाद हिन्द फौज के अधिकारियों की धरपकड़ हुई, तो ये भी पकड़े गये। बाद में लाल क़िले की सैनिक अदालत ने जिन तीन नेताओं पर मुक़दमा चलाया गया था, उनमें ये भी सम्मिलित थे।  
*[[सुभाष चन्द्र बोस|सुभाष]] की मृत्यु के बाद जब आज़ाद हिन्द फ़ौज के अधिकारियों की धरपकड़ हुई, तो ये भी पकड़े गये। बाद में लाल क़िले की सैनिक अदालत ने जिन तीन नेताओं पर मुक़दमा चलाया गया था, उनमें ये भी सम्मिलित थे।  
*यद्यपि सैनिक अदालत में इन्हें मृत्युदण्ड की सजा सुनायी, तथापि बढ़ते जन असन्तोष के कारण [[वायसराय]] को विवश होकर इनकी उन्मुक्ति के आदेश जारी करने पड़े।  
*यद्यपि सैनिक अदालत में इन्हें मृत्युदण्ड की सज़ा सुनायी, तथापि बढ़ते जन असन्तोष के कारण [[वायसराय]] को विवश होकर इनकी उन्मुक्ति के आदेश जारी करने पड़े।  
*तत्पश्चात् ये शांतिपूर्वक जीवन बिताने लगे।  
*तत्पश्चात् ये शांतिपूर्वक जीवन बिताने लगे।  
*हाल ही में आज़ाद हिन्द फौज की स्वर्ण जयंती पर (जब इन नेताओं पर अभियोग चलाया गया था) इन्होंने उन सभी स्थानों की यात्रा की, जहाँ फौज के सैनिकों ने युद्ध लड़े थे।  
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Latest revision as of 14:22, 2 January 2014

गुरुबख्श ढिल्लो आज़ाद हिन्द फ़ौज के महान् सेनानी हैं।

  • गुरुबख्श ढिल्लो पहले भारतीय सेना में सम्मिलित थे, किन्तु द्वितीय विश्वयुद्ध के समय आज़ाद हिन्द फ़ौज में सम्मिलित हो गये।
  • आज़ाद हिन्द फ़ौज में रहते हुए उन्होंने अनेक स्थानों पर वीरतापूर्वक युद्ध लड़े।
  • सुभाष की मृत्यु के बाद जब आज़ाद हिन्द फ़ौज के अधिकारियों की धरपकड़ हुई, तो ये भी पकड़े गये। बाद में लाल क़िले की सैनिक अदालत ने जिन तीन नेताओं पर मुक़दमा चलाया गया था, उनमें ये भी सम्मिलित थे।
  • यद्यपि सैनिक अदालत में इन्हें मृत्युदण्ड की सज़ा सुनायी, तथापि बढ़ते जन असन्तोष के कारण वायसराय को विवश होकर इनकी उन्मुक्ति के आदेश जारी करने पड़े।
  • तत्पश्चात् ये शांतिपूर्वक जीवन बिताने लगे।
  • हाल ही में आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्वर्ण जयंती पर (जब इन नेताओं पर अभियोग चलाया गया था) इन्होंने उन सभी स्थानों की यात्रा की, जहाँ फ़ौज के सैनिकों ने युद्ध लड़े थे।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

नागोरी, डॉ. एस.एल. “खण्ड 3”, स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन), 2011 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर, पृष्ठ सं 129।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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