मोहन रानाडे: Difference between revisions
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'''मोहन रानाडे''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mohan Ranade'', जन्म- [[25 दिसम्बर]], [[1930]]; मृत्यु- [[25 जून]], [[2019]]) [[गोवा]] की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने [[पुर्तग़ाली]] शासन के खिलाफ गोवा के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। मोहन रानाडे 'आजाद गोमांतक दल' के सदस्य थे। [[भारत सरकार]] ने उन्हें [[2001]] में [[पद्म श्री]] से सम्मानित किया था। | {{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | ||
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मोहन रानाडे
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पूरा नाम | मोहन रानाडे |
जन्म | 25 दिसम्बर, 1930 |
जन्म भूमि | सांगली, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 25 जून, 2019 |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री, 2001 गोवा पुरस्कार, 1986 |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | मोहन रानाडे, गणेश दामोदर सावरकर तथा विनायक सावरकर से काफी प्रेरित थे। उन्होंने 1950 में गोवा के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिए प्रवेश किया। उन्होंने 'आजाद गोमान्तक दल' की स्थापना की। |
मोहन रानाडे (अंग्रेज़ी: Mohan Ranade, जन्म- 25 दिसम्बर, 1930; मृत्यु- 25 जून, 2019) गोवा की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने पुर्तग़ाली शासन के खिलाफ गोवा के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। मोहन रानाडे 'आजाद गोमांतक दल' के सदस्य थे। भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म श्री से सम्मानित किया था।
परिचय
मोहन रानाडे का जन्म महाराष्ट्र के सांगली में 1929 में हुआ था। वे गणेश दामोदर सावरकर तथा विनायक सावरकर से काफी प्रेरित थे। उन्होंने 1950 में गोवा के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिए प्रवेश किया। उन्होंने 'आजाद गोमान्तक दल' की स्थापना की। इस दल ने पुर्तगालियों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह किया। एक आक्रमण के दौरान वे घायल हुए और 1955 में उन्हें पुर्तगालियों द्वारा गिरफ्तार किया गया। उन्हें 1969 में स्वतंत्र किया गया था। उन्हें सामाजिक कार्य के लिए 1986 में 'गोवा पुरस्कार' प्रदान किया गया जबकि वर्ष 2001 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
पृष्ठभूमि
पुर्तगाली भारत में 1510 ई. में आये। उन्होंने पश्चिमी तट के कई क्षेत्रों में अपना आधिपत्य स्थापित किया। 19वीं शताब्दी के अंत तक पुर्तगालियों ने गोवा, दमन, दिउ, दादरा, नगर हवेली और अन्जेदिवा द्वीप पर कब्ज़ा कर लिया था। भारत की स्वतंत्रता के बाद तत्कालीन सरकार ने गोवा को भारत में शामिल करने के लिए पुर्तगालियों से बातचीत का मार्ग चुना, परन्तु यह माध्यम सफल नहीं हो सका। अंत में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय सशस्त्र सेनाओं को बलपूर्वक गोवा को भारत में शामिल करने के आदेश दिया। 18-19 दिसम्बर, 1961 को भारतीय सेना ने सैन्य ऑपरेशन चलाया और गोवा को सफलतापूर्वक भारत में शामिल करवाया।
गोवा की मुक्ति के बाद 1963 में भारत की संसद ने गोवा को भारत में आधिकारिक रूप से शामिल करने के लिए 12वां संवैधानिक संशोधन पारित किया। इसके द्वारा गोवा, दमन व दिउ तथा दादरा व नगर हवेली को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया। 1987 में गोवा को दमन व दिउ से अलग करके एक पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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