श्रवण द्वादशी: Difference between revisions
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*[[एकादशी]] को उपवास रखा जाता है। | *[[एकादशी]] को उपवास रखा जाता है। |
Revision as of 18:49, 25 February 2011
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
(1) भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी को जब कि श्रवण नक्षत्र हो।
- एकादशी को उपवास रखा जाता है।
- द्वादशी को गंगा-यमुना के पवित्र जल से धोये गये मिट्टी के पात्र में भात एवं दही का दान दिया जाता है।[1]
(2) श्रवण नक्षत्र की द्वादशी पर उपवास रखा जाता है।
- जनार्दन की पूजा की पूजा की जाती है।
- 12 द्वादशियों का पुण्य फल मिलता है।
- यदि श्रावण द्वादशी बुधवार को पड़े तो उसे महान कहा जाता है।
- इस व्रत में देवता विष्णु की पूजा की जाती है।[2]
- अग्नि पुराण के 15 श्लोक पाये जाते हैं।
- अधिकांश निबन्ध इसका विस्तृत वर्णन उपस्थित करते हैं।[3]
- पद्म पुराण[4] में इसकी गाथा एवं माहात्म्य है।[5]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
अन्य संबंधित लिंक
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