विजयलक्ष्मी पण्डित: Difference between revisions

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*[[भारत]] के लिए [[नेहरू]] परिवार ने जो महान बलिदान और योगदान किया है, राष्ट्र उसे हमेशा याद रखेगा। स्वतंत्रता आंदोलन में [[पंडित जवाहर लाल]] की बहन विजय लक्ष्मी पंडित के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
*15 अगस्त 1900 में उनका जन्म हुआ था।
*उनकी शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से घर में ही हुयी।
*विजयलक्ष्मी पण्डित भी [[महात्मा गाँधी|गांधीजी]] से प्रभावित होकर जंग-ए-आज़ादी में कूद पड़ीं।  
*विजयलक्ष्मी पण्डित भी [[महात्मा गाँधी|गांधीजी]] से प्रभावित होकर जंग-ए-आज़ादी में कूद पड़ीं।  
*वह हर आन्दोलन में आगे रहतीं, जेल जातीं, रिहा होतीं, और फिर आन्दोलन में जुट जातीं।  
*वह हर आन्दोलन में आगे रहतीं, जेल जातीं, रिहा होतीं, और फिर आन्दोलन में जुट जातीं।  
*1936 और 1946 में वह [[उत्तर प्रदेश]] [[विधान सभा]] के लिए चुनी गयीं और मंत्री बनायी गयीं। मंत्री स्तर का दर्जा पाने वाली भारत की वह प्रथम महिला थीं।
*1932, 1941 और 1942 में [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] में भाग लेने के लिए उन्हें जेल की सजा हुयी।
*आज़ादी के बाद भी उन्होंने देश सेवा जारी रखी।
*सन् [[1945]] में संयुक्त राष्ट्र संघ के सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में विजयलक्ष्मी पण्डित ने [[भारत]] का प्रतिनिधित्व भी किया।  
*सन् [[1945]] में संयुक्त राष्ट्र संघ के सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में विजयलक्ष्मी पण्डित ने [[भारत]] का प्रतिनिधित्व भी किया।  
*संयुक्त राष्ट्र की अध्यक्ष बनने वाली वह विश्व की पहली महिला थीं। वे राज्यपाल और राजदूत जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं।





Revision as of 09:26, 8 May 2011

  • भारत के लिए नेहरू परिवार ने जो महान बलिदान और योगदान किया है, राष्ट्र उसे हमेशा याद रखेगा। स्वतंत्रता आंदोलन में पंडित जवाहर लाल की बहन विजय लक्ष्मी पंडित के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
  • 15 अगस्त 1900 में उनका जन्म हुआ था।
  • उनकी शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से घर में ही हुयी।
  • विजयलक्ष्मी पण्डित भी गांधीजी से प्रभावित होकर जंग-ए-आज़ादी में कूद पड़ीं।
  • वह हर आन्दोलन में आगे रहतीं, जेल जातीं, रिहा होतीं, और फिर आन्दोलन में जुट जातीं।
  • 1936 और 1946 में वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए चुनी गयीं और मंत्री बनायी गयीं। मंत्री स्तर का दर्जा पाने वाली भारत की वह प्रथम महिला थीं।
  • 1932, 1941 और 1942 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के लिए उन्हें जेल की सजा हुयी।
  • आज़ादी के बाद भी उन्होंने देश सेवा जारी रखी।
  • सन् 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ के सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में विजयलक्ष्मी पण्डित ने भारत का प्रतिनिधित्व भी किया।
  • संयुक्त राष्ट्र की अध्यक्ष बनने वाली वह विश्व की पहली महिला थीं। वे राज्यपाल और राजदूत जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं।



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