बाबू गुलाब सिंह: Difference between revisions

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'''शहीद बाबू  गुलाब सिंह''' (मृत्यु:[[1857]]) एक स्वतंत्रता सेनानी,क्रांतिकारी थे।इनका  जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[इलाहाबाद ज़िला|इलाहाबाद जनपद]] के  तारागढ़ (अब तरौल नाम है जो की प्रतापगढ़ जिला में है) गाँव में हुआ था।


'''शहीद बाबू  गुलाब सिंह''' (मृत्यु:[[1857]]) एक स्वतंत्रता सेनानी,क्रांतिकारी थे।इनका  जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जनपद के  तारागढ़ (अब तरौल नाम है जो की प्रतापगढ़ जिला में है) गाँव में हुआ था।
*ठाकुर गुलाब सिंह [[नाना साहब|नाना साहेब पेशवा]] तथा [[झांसी की रानी लक्ष्मीबाई]] के व्यक्तित्वा से काफी प्रभावित थे।  
 
*ठाकुर गुलाब सिंह नाना साहेब पेशवा तथा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के व्यक्तित्वा से काफी प्रभावित थे।  


* सन [[1857 का स्वतंत्रता संग्राम]] में अंग्रेजी सेना छितपालगढ़ से तारागढ़ पर चढ़ाई की तो बाबू गुलाब सिंह व उनके भाई बाबू मेदनी सिंह ने हफ्तों तक [[अंग्रेज़|अंग्रेजों]] से लोहा लिया।
* सन [[1857 का स्वतंत्रता संग्राम]] में अंग्रेजी सेना छितपालगढ़ से तारागढ़ पर चढ़ाई की तो बाबू गुलाब सिंह व उनके भाई बाबू मेदनी सिंह ने हफ्तों तक [[अंग्रेज़|अंग्रेजों]] से लोहा लिया।
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शहीद बाबू गुलाब सिंह (मृत्यु:1857) एक स्वतंत्रता सेनानी,क्रांतिकारी थे।इनका जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जनपद के तारागढ़ (अब तरौल नाम है जो की प्रतापगढ़ जिला में है) गाँव में हुआ था।

  • हालाकि उन्हें मालूम था कि अंग्रेजी सेना के सामने लड़ना मौत के मुँह मे जाना है,फिर भी भारत के सपूतों ने अंतिम समय तक किले के समीप अंग्रेजी सेना को फटकने नही दिया। जब इलाहाबाद से लखनऊ अंग्रेजी सैनिक क्रांतिकारियों के दमन के लिए जा रहे थे। तब उन्होंने अपनी निजी सेना के साथ मान्धाता क्षेत्र के कटरा गुलाब सिंह के पास बकुलाही नदी पर घमासान युद्ध करके कई अंग्रेजों को मार डाला था।
  • जानकारी के अनुसार इस लड़ाई में किले पर फिरंगी सैनिकों ने उनके कई सिपाही व उनकी महारानी को गोलियों से भून डाला था। मुठभेड़ में बाबू गुलाब सिंह गंभीर रूप से घायल हुए थे। उचित इलाज के अभाव में तीसरे दिन वह अमर गति को प्राप्त हो गए।
  • क्रांतिकारी बाबू गुलाब सिंह ने पौराणिक नदी बकुलाही के किनारे एक गाँव की स्थापना की थी,जो की वर्तमान में उन्हीं के नाम पर कटरा गुलाब सिंह के नाम से जाना जाता है।


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