मदनसिंह मतवाले: Difference between revisions
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*आन्दोलन की सफलता के पश्चात मदनसिंह मतवाले का हौसला बढ़ गया और वह उस आंदोलन में भी सम्मिलित हो गए, जो हैदराबाद राज्य को स्वाधीन भारत में मिलाने के लिए चलाया जा रहा था। | *आन्दोलन की सफलता के पश्चात मदनसिंह मतवाले का हौसला बढ़ गया और वह उस आंदोलन में भी सम्मिलित हो गए, जो हैदराबाद राज्य को स्वाधीन भारत में मिलाने के लिए चलाया जा रहा था। | ||
*मदनसिंह मतवाले ने [[14 अगस्त]], [[1948]] को अपने मकान पर [[भारत]] का [[तिरंगा|तिरंगा झंडा]] लहरा दिया। [[हैदराबाद]] की पुलिस ने बलपूर्वक वह झंडा उतारना चाहा, लेकिन मदनसिंह मतवाले ने संघर्ष किया। | *मदनसिंह मतवाले ने [[14 अगस्त]], [[1948]] को अपने मकान पर [[भारत]] का [[तिरंगा|तिरंगा झंडा]] लहरा दिया। [[हैदराबाद]] की पुलिस ने बलपूर्वक वह झंडा उतारना चाहा, लेकिन मदनसिंह मतवाले ने संघर्ष किया। |
Revision as of 15:25, 17 October 2015
मदनसिंह मतवाले
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पूरा नाम | मदनसिंह मतवाले |
जन्म | 11 मार्च, 1925 |
जन्म भूमि | हैदराबाद, आन्ध्र प्रदेश |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी |
विशेष योगदान | हैदराबाद रियासत को स्वाधीन भारत में मिलाने के लिए मदनसिंह मतवाले ने योगदान दिया था। |
संबंधित लेख | हैदराबाद, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन |
अन्य जानकारी | एक मकान पर तिरंगा फहराने के कारण पुलिस ने मदनसिंह को पकड़ लिया और संभवतः उन्हें मार डाला गया, क्योंकि इस घटना के पश्चात लोगों को उनका कुछ पता नहीं चला। |
मदनसिंह मतवाले (जन्म- 11 मार्च, 1925, हैदराबाद, आन्ध्र प्रदेश) हैदराबाद रियासत के साथ संघर्ष करने वाले प्रमुख व्यक्तियों में से थे। इन्होंने हैदराबाद राज्य को स्वाधीन भारत में मिलाने के चलाये जा रहे आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया था।
- मदनसिंह मतवाले सचमुच ही मतवाले थे। उन्हें अन्याय सहन करना नहीं आता था।
- हैदराबाद रियासत के साथ उन्होंने पहला संघर्ष तब किया, जब आर्य समाज ने हैदराबाद के विरुद्ध आंदोलन चलाया। यह आंदोलन सफल हुआ था और निज़ाम हैदराबाद को झुकना पड़ा।
- आन्दोलन की सफलता के पश्चात मदनसिंह मतवाले का हौसला बढ़ गया और वह उस आंदोलन में भी सम्मिलित हो गए, जो हैदराबाद राज्य को स्वाधीन भारत में मिलाने के लिए चलाया जा रहा था।
- मदनसिंह मतवाले ने 14 अगस्त, 1948 को अपने मकान पर भारत का तिरंगा झंडा लहरा दिया। हैदराबाद की पुलिस ने बलपूर्वक वह झंडा उतारना चाहा, लेकिन मदनसिंह मतवाले ने संघर्ष किया।
- पुलिस मदनसिंह मतवाले को पकड़कर ले गई और संभवतः उन्हें मार डाला गया, क्योंकि इस घटना के पश्चात लोगों को उनका कुछ पता नहीं चला।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आन्ध्र प्रदेश के क्रांतिकारी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 18 अगस्त, 2013।
संबंधित लेख
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