श्रवण द्वादशी: Difference between revisions

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Revision as of 13:01, 9 September 2010

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।

(1) भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी को जब कि श्रवण नक्षत्र हो।

  • एकादशी को उपवास रखा जाता है।
  • द्वादशी को गंगा-यमुना के पवित्र जल से धोये गये मिट्टी के पात्र में भात एवं दही का दान दिया जाता है।[1]

(2) श्रवण नक्षत्र की द्वादशी पर उपवास रखा जाता है।

  • जनार्दन की पूजा की पूजा की जाती है।
  • 12 द्वादशियों का पुण्य फल मिलता है।
  • यदि श्रावण द्वादशी बुधवार को पड़े तो उसे महान कहा जाता है।
  • इस व्रत में देवता विष्णु की पूजा की जाती है।[2]
  • अग्नि पुराण के 15 श्लोक पाये जाते हैं।
  • अधिकांश निबन्ध इसका विस्तृत वर्णन उपस्थित करते हैं।[3]
  • पद्म पुराण[4] में इसकी गाथा एवं माहात्म्य है।[5]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रत0 348, वायुपुराण से उद्धरण);
  2. हेमाद्रि (व्रत0 1, 1162-1171, विष्णुधर्मोत्तरपुराण 1|161|1-8 से उद्धरण);
  3. हेमाद्रि (काल॰ 289-298); कालविवेक (459-464); निर्णयसिन्धु (137-140); स्मृतिकौस्तुभ (240-249);
  4. पद्मपुराण (6|70)
  5. और देखिए गरुड़ पुराण (1, अध्याय 136)।

अन्य संबंधित लिंक

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