वरुण व्रत: Difference between revisions
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Revision as of 11:24, 11 September 2010
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत भाद्रपद के आरम्भ से पूर्णिमा तक करना चाहिए।
- इसमें वरुण पूजा करनी चाहिए।
- अन्त में छ़त्र, चप्पलों एवं दो वस्त्रों के साथ में जलधेनु का दान करना चाहिए।
- 'जलधेनु' शब्द[1] में भी प्रयुक्त हुआ है।
- यदि कोई रात्रि भर पानी में खड़ा होकर दूसरे दिन प्रात: गौ दान करता है तो वह वरुण लोक को जाता है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अनुशासनपर्व (71|41) एवं मत्स्य पुराण (53|13)
- ↑ कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 450, 52वाँ षष्ठी व्रत); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 905, पद्म पुराण से उद्धरण); मत्स्य पुराण (101|74); विष्णुधर्मोत्तरपुराण (3|195|1-3)
सम्बंधित लिंक
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