यम दीपम: Difference between revisions

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[[चित्र:Chaumukhi-Diya.jpg|thumb|250px|यम दीपम पर चौमुखी दीपक]]
'''यम दीपम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Yama Deepam'') को [[धनतेरस]] भी कहा जाता है। असल में यम दीपदान पर [[यमराज|भगवान यम]] की [[पूजा]] करने के लिए एक छोटा [[दीपक]] (दीया) जलाया जाता है। भक्तों द्वारा यम की पूजा खुद को पूरी तरह से सुरक्षित और ध्यान रखने के लिए की जाती है। इस अवसर को बहुत शुभ माना जाता है और भक्तों के लिए अत्यंत महत्व रखता है।
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==क्यों जलाते हैं यम दीपक?==
==क्यों जलाते हैं यम दीपक?==

Latest revision as of 06:54, 23 October 2022

thumb|250px|यम दीपम पर चौमुखी दीपक यम दीपम (अंग्रेज़ी: Yama Deepam) को धनतेरस भी कहा जाता है। असल में यम दीपदान पर भगवान यम की पूजा करने के लिए एक छोटा दीपक (दीया) जलाया जाता है। भक्तों द्वारा यम की पूजा खुद को पूरी तरह से सुरक्षित और ध्यान रखने के लिए की जाती है। इस अवसर को बहुत शुभ माना जाता है और भक्तों के लिए अत्यंत महत्व रखता है।

क्यों जलाते हैं यम दीपक?

यम दीपक धनतेरस के दिन जलाया जाता है। इस दिन यम दीपक जलाने के पीछे पौराणिक कथा का जिक्र शास्त्रों में किया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय हेम नामक राजा राज करता था। कुछ समय बीतने के बाद उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई। राजा जब अपने पुत्र की कुंडली दिखाने के लिए ज्योतिषी के पास गए तो उसकी कुंडली से पता चला कि शादी के 4 दिन बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी।

ऐसे में राजा ने अपने पुत्र को ऐसे स्थान पर भेज दिया, जिससे कि उस पर किसी स्त्री की परछाई भी ना पड़े। लेकिन राजकुमार ने उस स्थान पर शुभ मुहूर्त में एक राजकुमारी से विवाह कर लिया। कहते हैं कि विधि का विधान टाला नहीं जा सकता। शादी के चार दिन बाद उस राजकुमार को यमराज लेने के लिए आ गए। यह देखकर राजकुमारी बहुत निराश हुई और बहुत रोई। यमदूत ने ये सारी बातें यमराज को बता दीं और कहा कि- "हे महाराज, ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे अकाल मृत्यु से मुक्ति पाई जा सके।" तब यमराज ने कहा कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को जो कोई दक्षिण दिशा में मेरे नाम का दीपक जलाएगा, वह अकाल मृत्यु से मुक्त हो सकता है।"[1]

यही वजह है कि हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यम के नाम का दीपक जलाया जाता है।

ऐसे जलाएं दीपक

धनतेरस के दिन आटे का चौमुखी दीपक बना लें या मिट्टी के पुराने दीपक में चारों ओर बाती लगा लें और सरसों का तेल भर दें। इसके बाद घर की दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके इस दीपक को जला दें। इसके साथ ही निम्न मंत्र का जाप कर लें-

मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. यम दीपम 2022 का त्यौहार (हिंदी) hindi.mpanchang.com। अभिगमन तिथि: 23 अक्टूबर, 2022।

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