कन्या संक्रांति: Difference between revisions
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'''कन्या संक्रांति''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kanya Sankranti'') [[हिन्दू धर्म]] में विशेष महत्त्व रखने वाली संक्रांतियों में से एक है। [[पंचांग]] के अनुसार हर साल 12 [[संक्रान्ति]] मनाई जाती हैं। कन्या संक्रांति इनमें से ही एक है। जब सूर्य एक [[राशि]] से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहा जाता है। कुंडली में [[सूर्य]] की जगह बदलने का असर साफ देखा जा सकता है और इसलिए हर संक्रांति का अपना एक अलग महत्व होता है। कन्या संक्रांति का भी अपना अलग महत्व है। इस दिन सूर्य अपनी जगह बदलकर कन्या राशि में प्रवेश करता है। इसलिए इसे 'कन्या संक्रांति' कहा जाता है | '''कन्या संक्रांति''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kanya Sankranti'') [[हिन्दू धर्म]] में विशेष महत्त्व रखने वाली संक्रांतियों में से एक है। [[पंचांग]] के अनुसार हर साल 12 [[संक्रान्ति]] मनाई जाती हैं। कन्या संक्रांति इनमें से ही एक है। जब सूर्य एक [[राशि]] से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहा जाता है। कुंडली में [[सूर्य]] की जगह बदलने का असर साफ देखा जा सकता है और इसलिए हर संक्रांति का अपना एक अलग महत्व होता है। कन्या संक्रांति का भी अपना अलग महत्व है। इस दिन सूर्य अपनी जगह बदलकर कन्या राशि में प्रवेश करता है। इसलिए इसे 'कन्या संक्रांति' कहा जाता है | ||
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thumb|200px|कन्या संक्रांति कन्या संक्रांति (अंग्रेज़ी: Kanya Sankranti) हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व रखने वाली संक्रांतियों में से एक है। पंचांग के अनुसार हर साल 12 संक्रान्ति मनाई जाती हैं। कन्या संक्रांति इनमें से ही एक है। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहा जाता है। कुंडली में सूर्य की जगह बदलने का असर साफ देखा जा सकता है और इसलिए हर संक्रांति का अपना एक अलग महत्व होता है। कन्या संक्रांति का भी अपना अलग महत्व है। इस दिन सूर्य अपनी जगह बदलकर कन्या राशि में प्रवेश करता है। इसलिए इसे 'कन्या संक्रांति' कहा जाता है
महत्त्व
सभी संक्रांतियों में से कन्या संक्रांति का अपना महत्व है। इस दिन लोग स्नान, दान आदि करते हैं। इतना ही नहीं, इस दिन लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा आदि भी करवाते हैं। संक्रांति के दिन पवित्र जलाशयों आदि में स्नान करने को भी काफी शुभ माना गया है। इसलिए लोग कोशिश करते हैं कि वे संक्रांति के दिन गंगा या किसी अन्य जलाशय में डुबकी जरूर लगाएं।
इतना ही नहीं, इस दिन विश्वकर्मा पूजन भी किया जाता है। ये पूजन उड़ीसा और बंगाल के कई क्षेत्रों में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि देव विश्वकर्मा भगवान के इंजीनियर हैं, जिन्होंने देवों के महल और शस्त्र आदि का निर्माण किया था। भगवान विश्वकर्मा इस ब्रह्मांड के रचियता हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा के कहने पर ही विश्वकर्मा ने ये दुनिया रचाई थी। द्वारका से लेकर भगवान शिव के त्रिशुल तक को भगवान विश्वकर्मा द्वारा रचाया गया था।
पूजा विधि
धार्मिक मान्यता है कि कन्या संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले उठा जाता है। इस दिन सुबह स्नान के समय पानी में तिल मिलाकर नहाना चाहिए। कहते हैं कि इस दिन किसी नदी आदि में स्नान करना ज्यादा शुभ माना जाता है। इस दिन नदी में स्नान करके पुण्य फल की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। स्नान के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन दान का विशेष महत्व है। इतना ही नहीं, एक तांबे के लोटे में जल लेकर लाल फूल, चंदन, तिल और गुड़ सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए। जल अर्पित करते समय सूर्य मंत्र का स्मरण करना चाहिए। इस दिन आटा, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू का दान शुभ माना जाता है।
लाभ
धार्मिक मान्यता है कि कन्या संक्रांति के दिन पूजा करना शुभ माना गया है। इस दिन विश्वकर्मा भगवान की भी पूजा की जाती है, जो कि व्यापारियों के लिए अच्छी मानी जाती है। इस दिन औजारों को पूजा में शामिल किया जाता है। कन्या संक्रांति के दिन पूजा करने से जीवन में स्थिरता आती है। लोगों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। कन्या संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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