कुम्भ संक्रांति

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thumb|right|200px|कुंभ संक्रांति कुम्भ संक्रांति (अंग्रेज़ी: Kumbh Sankranti) हिंदुओं के महत्‍वपूर्ण पर्वों में से एक है। इस दिन सूर्य, मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। ऐसी मान्‍यता है कि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, सूर्य उपासना करने और उन्‍हें अर्घ्‍य देने से भगवान सूर्य प्रसन्‍न होते हैं। इस दिन दान अवश्‍य करना चाहिए। खानपान की चीज़ें व कपड़े आदि दान कर सकते हैं। गरीबों को ये सब दान करना चाहिए। कुंभ संक्रांति पर गौदान का बहुत महत्‍व है और इस दिन गौदान करने से लाभ और पुण्‍य मिलता है।

महत्त्व

thumb|left|200px|कुंभ संक्रांति पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुंभ संक्रांति का महत्व पूर्णिमा और अमावस्या तिथि पर ज्यादा होता है। कुंभ संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष प्राप्ति की मान्यता है। कहते हैं कि इस दिन दान करने से जातक को पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन धान, कंबल और गरम कपड़े भी दान किए जा सकते हैं।

मकर संक्रांति के बाद अगली संक्रांति होती है- कुंभ संक्रांति। पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी का जितना महत्व है उतना ही महत्व संक्रांति तिथि का भी है। मकर संक्रांति की ही तरह कुंभ संक्रांति पर भी स्नान-ध्यान, दान-पुण्य का विशेष महत्‍व है। संक्रांति के दिन स्‍नान से जातक को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। देवीपुराण में कहा गया है कि संक्रांति के दिन जो स्‍नान नहीं करता, दरिद्रता उसे कई जन्मों तक घेरे रहती है।

पूजा विध‍ि

कुंभ संक्रांति के दिन सुबह उठकर स्‍नान कर लें। इस दिन गंगा स्नान का खास महत्‍व है। लेकिन अगर ऐसा नहीं कर पाएं तो पानी में गंगा जल मिला लें और तिल भी। उसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्‍य दें और मंद‍िर में दीप जलाएं। भगवान सूर्य के 108 नामों का जाप करें, सूर्य चालीसा पढ़ें और आरती पढ़ें। पूजा करने के बाद किसी गरीब को या पंडित को दान की सामग्री दें। दान के लिये खाने पीने की चीजें, जैसे- चावल, दाल, आलू के साथ अपनी क्षमता के अनुसार वस्‍त्र का दान भी करें।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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