अमिय कुमार दास: Difference between revisions

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'''अमिय कुमार दास''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Amiyo Kumar Das'', जन्म: [[1895]], [[असम]]; मृत्यु: [[23 जनवरी]], [[1975]], [[गुवाहाटी]], असम) भारतीय समाजसेवी, [[गाँधी|गाँधीजी]] के विचारों के अनुयायी, लेखक और [[असम]] के प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे। ये लोक नायक के रूप में भी लोकप्रिय थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=42|url=}}</ref>
==परिचय==
==परिचय==
अमिय कुमार दास का जन्म 1895 में तेजपुर, असम में हुआ था। उन्होंने स्नातक की शिक्षा [[कोलकाता]] से पूरी की। क़ानून की पढ़ाई कर रहे थे कि ये गाँधीजी के [[असहयोग आंदोलन]] के आह्वान पर पढ़ाई छोड़कर तेजपुर वापस आ गए और आंदोलन को संगठित करने में लग गए।  
अमिय कुमार दास का जन्म 1895 में [[तेजपुर]], असम में हुआ था। उन्होंने स्नातक की शिक्षा [[कोलकाता]] से पूरी की। क़ानून की पढ़ाई कर रहे थे कि ये गाँधीजी के [[असहयोग आंदोलन]] के आह्वान पर पढ़ाई छोड़कर तेजपुर वापस आ गए और आंदोलन को संगठित करने में लग गए।  
==आंदोलन में भाग==
==आंदोलन में भाग==
अमिय कुमार दास गाँधीजी के विचारों के अनुयायी थे इसलिये वह अपनी क़ानून की पढ़ायी बीच में ही छोड़कर गाँधीजी के असहयोग आंदोलन में सम्मिलित हो गये। असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्होंने दो बार जेल की यात्राएं भी कीं। [[व्यक्तिगत सत्याग्रह]] और '[[भारत छोड़ो आंदोलन]] में भी वे गिरफ़्तार हुए।
अमिय कुमार दास गाँधीजी के विचारों के अनुयायी थे इसलिये वह अपनी क़ानून की पढ़ायी बीच में ही छोड़कर गाँधीजी के असहयोग आंदोलन में सम्मिलित हो गये। असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्होंने दो बार जेल की यात्राएं भी कीं। [[व्यक्तिगत सत्याग्रह]] और '[[भारत छोड़ो आंदोलन]] में भी वे गिरफ़्तार हुए।
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अमिय कुमार दास [[1946]] में असम असेम्बली के सदस्य चुने गए और [[1947]] से [[1957]] तक विभिन्न विभागों के मंत्री रहे। वे [[संविधान सभा]] के भी सदस्य थे। [[1949]] में उन्होंने जिनेवा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अधिवेशन में [[भारत]] के प्रतिनिधि मंडल का नेतृव्य किया था
अमिय कुमार दास [[1946]] में असम असेम्बली के सदस्य चुने गए और [[1947]] से [[1957]] तक विभिन्न विभागों के मंत्री रहे। वे [[संविधान सभा]] के भी सदस्य थे। [[1949]] में उन्होंने जिनेवा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अधिवेशन में [[भारत]] के प्रतिनिधि मंडल का नेतृव्य किया था
==व्यक्तित्व==
==व्यक्तित्व==
अमिय कुमार दास अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने [[गाँधी|गाँधीजी]] की [[आत्मकथा]] 'सत्य के प्रयोग' का [[असमिया भाषा]] में अनुवाद किया। गाँधीजी से सम्बधित कुछ अन्य ग्रंथों की रचना भी उन्होंने की।
अमिय कुमार दास अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने [[गाँधी|गाँधीजी]] की [[आत्मकथा]] 'सत्य के प्रयोग' का [[असमिया भाषा]] में अनुवाद किया। गाँधीजी से सम्बंधित कुछ अन्य ग्रंथों की रचना भी उन्होंने की।
==समाज सेवक==
==समाज सेवक==
अमिय कुमार दास की समाज सेवा के कार्यों में विशेष रुचि थी। वे असम सेवा समिति के संस्थापकों में से थे। शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने गाँधीजी द्वारा प्रतिपादित बेसिक शिक्षा पद्धति को लागू करने के लिए बहुत से क़दम उठाए। [[1963]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें समाज में उनके योगदान के लिए [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया था।
अमिय कुमार दास की समाज सेवा के कार्यों में विशेष रुचि थी। वे असम सेवा समिति के संस्थापकों में से थे। शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने गाँधीजी द्वारा प्रतिपादित बेसिक शिक्षा पद्धति को लागू करने के लिए बहुत से क़दम उठाए। [[1963]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें समाज में उनके योगदान के लिए [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया था।
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Latest revision as of 12:39, 6 January 2020

अमिय कुमार दास
पूरा नाम अमिय कुमार दास
जन्म 1895
जन्म भूमि तेजपुर, असम
मृत्यु 23 जनवरी, 1975
मृत्यु स्थान गुवाहाटी
पति/पत्नी पुष्पलता दास
संतान पुत्री
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि समाज सेवक
धर्म हिंदू
आंदोलन असहयोग आंदोलन, व्यक्तिगत सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन
जेल यात्रा असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण दो बार जेल गये।
शिक्षा स्नातक
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, 1963
अन्य जानकारी अमिय कुमार दास अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने गाँधीजी की आत्मकथा 'सत्य के प्रयोग' का असमिया भाषा में अनुवाद किया था।

अमिय कुमार दास (अंग्रेज़ी: Amiyo Kumar Das, जन्म: 1895, असम; मृत्यु: 23 जनवरी, 1975, गुवाहाटी, असम) भारतीय समाजसेवी, गाँधीजी के विचारों के अनुयायी, लेखक और असम के प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे। ये लोक नायक के रूप में भी लोकप्रिय थे।[1]

परिचय

अमिय कुमार दास का जन्म 1895 में तेजपुर, असम में हुआ था। उन्होंने स्नातक की शिक्षा कोलकाता से पूरी की। क़ानून की पढ़ाई कर रहे थे कि ये गाँधीजी के असहयोग आंदोलन के आह्वान पर पढ़ाई छोड़कर तेजपुर वापस आ गए और आंदोलन को संगठित करने में लग गए।

आंदोलन में भाग

अमिय कुमार दास गाँधीजी के विचारों के अनुयायी थे इसलिये वह अपनी क़ानून की पढ़ायी बीच में ही छोड़कर गाँधीजी के असहयोग आंदोलन में सम्मिलित हो गये। असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्होंने दो बार जेल की यात्राएं भी कीं। व्यक्तिगत सत्याग्रह और 'भारत छोड़ो आंदोलन में भी वे गिरफ़्तार हुए।

राजनीति गतिविधियाँ

अमिय कुमार दास 1946 में असम असेम्बली के सदस्य चुने गए और 1947 से 1957 तक विभिन्न विभागों के मंत्री रहे। वे संविधान सभा के भी सदस्य थे। 1949 में उन्होंने जिनेवा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अधिवेशन में भारत के प्रतिनिधि मंडल का नेतृव्य किया था

व्यक्तित्व

अमिय कुमार दास अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने गाँधीजी की आत्मकथा 'सत्य के प्रयोग' का असमिया भाषा में अनुवाद किया। गाँधीजी से सम्बंधित कुछ अन्य ग्रंथों की रचना भी उन्होंने की।

समाज सेवक

अमिय कुमार दास की समाज सेवा के कार्यों में विशेष रुचि थी। वे असम सेवा समिति के संस्थापकों में से थे। शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने गाँधीजी द्वारा प्रतिपादित बेसिक शिक्षा पद्धति को लागू करने के लिए बहुत से क़दम उठाए। 1963 में भारत सरकार ने उन्हें समाज में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

निधन

अमिय कुमार दास का निधन 23 जनवरी, 1975 को 79 की उम्र में हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 42 |

संबंधित लेख

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