भवानी व्रत: Difference between revisions

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*तृतीया को पार्वती मन्दिर में नक्त, एक वर्ष के लिए व्रत किया जाता है।  
*तृतीया को पार्वती मन्दिर में नक्त, एक वर्ष के लिए व्रत किया जाता है।  
*अन्त में गोदान किया जाता है।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रत0 450, मत्स्यपुराण 101|77 से उद्धरण)</ref>
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Latest revision as of 12:55, 27 July 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • तृतीया को पार्वती मन्दिर में पार्वती प्रतिमा को अंजन लगाना चाहिए।
  • यह एक वर्ष तक किया जाता है।
  • अन्त में गोदान करना चाहिए।[1]
  • जो व्यक्ति (स्त्री या पुरुष) एक वर्ष तक प्रत्येक पौर्णमासी एवं अमावास्या को उपवास करके एक पार्वती प्रतिमा का सुगन्धित वस्तुओं के साथ दान करता है वह भवानी लोक में जाता है।[2];
  • तृतीया को पार्वती मन्दिर में नक्त, एक वर्ष के लिए व्रत किया जाता है।
  • अन्त में गोदान किया जाता है।[3]



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 483, पद्म पुराण से उद्धरण
  2. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 397, लिंग पुराण से उद्धरण
  3. कृत्यकल्पतरु (व्रत0 450, मत्स्यपुराण 101|77 से उद्धरण

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