अकबर के नवरत्न: Difference between revisions

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अकबर के दरबार में 9 विशेष दरबारी थे जिन्हें अकबर के 'नवरत्न' के नाम से भी जाना जाता है।
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*[[अबुलफज़ल]] (1551 - 1602 ) ने अकबर के काल को क़लमबद्ध किया था। उसने [[अकबरनामा]] और [[आइना-ए-अकबरी]] की भी रचना की थी।
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*[[फ़ैज़ी]] (1547 - 1595) अबुल फ़ज़ल का भाई था। वह फ़ारसी में कविता करता था। राजा अकबर ने उसे अपने बेटे के गणित शिक्षक के पद पर नियुक्त किया था।
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*राजा [[टोडरमल]] अकबर के वित्त मन्त्री थे।
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'''जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर''' [[भारत]] का महानतम मुग़ल शंहशाह बादशाह था। जिसने मुग़ल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया। [[अकबर]] को अकबर-ऐ-आज़म, शहंशाह अकबर तथा महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। अकबर के दरबार में 9 विशेष दरबारी थे जिन्हें अकबर के 'नवरत्न' के नाम से भी जाना जाता है। [[अबुलफज़ल]] (1551-1602 ) ने अकबर के काल को क़लमबद्ध किया था। उसने [[अकबरनामा]] और [[आइना-ए-अकबरी]] की भी रचना की थी। [[फ़ैज़ी]] (1547-1595) अबुल फ़ज़ल का [[भाई]] था। वह [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में कविता करता था। राजा अकबर ने उसे अपने बेटे के गणित शिक्षक के पद पर नियुक्त किया था। मिंया [[तानसेन]] अकबर के दरबार में गायक थे। वह कविता भी लिखा करते थे। राजा [[बीरबल]] (1528-1583) दरबार के विदूषक और अकबर के सलाहकार थे। राजा [[टोडरमल]] अकबर के वित्त मन्त्री थे। राजा [[मान सिंह]] आम्बेर (आमेर, [[जयपुर]]) के कच्छवाहा राजपूत राजा थे। वह अकबर की सेना के प्रधान सेनापति थे। [[रहीम|अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना]] एक कवि थे और अकबर के संरक्षक बैरम ख़ान के बेटे थे। [[हक़ीम हुमाम]] अकबर के सलाहकार थे। मुल्ला दो पिआज़ा अकबर के सलाहकार थे। अकबर के दरबार को सुशोभित करने वाले 9 रत्न निम्न थे-
==बीरबल==
{{मुख्य|बीरबल}}
नवरत्नों में सर्वाधिक प्रसिद्ध बीरबल का जन्म [[कालपी]] में 1528 ई. में [[ब्राह्मण]] वंश में हुआ था। बीरबल के बचपन का नाम 'महेशदास' था। यह अकबर के बहुत ही नज़दीक था। उसकी छवि अकबर के दरबार में एक कुशल वक्ता, कहानीकार एवं कवि की थी। अकबर ने उसकी योग्यता से प्रभावित होकर उसे (बीरबल) कविराज एवं राजा की उपाधि प्रदान की, साथ ही 2000 का [[मनसब]] भी प्रदान किया। बीरबल पहला एवं अन्तिम हिन्दू राजा था, जिसने दीन-ए-इलाही धर्म को स्वीकार किया था। अकबर ने [[बीरबल]] को [[नगरकोट]], [[कांगड़ा]] एवं [[कालिंजर]] में जागीरें प्रदान की थीं। 1583 ई. में बीरबल को न्याय विभाग का सर्वोच्च अधिकारी बनाया गया। 1586 ई. में युसुफ़जइयों के विद्रोह को दबाने के लिए गये बीरबल की हत्या कर दी गई।
[[अबुल फ़ज़ल]] एवं [[बदायूंनी]] के अनुसार-अकबर को सभी अमीरों से अधिक बीरबल की मृत्यु पर शोक पहुँचा था।
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==अबुल फ़ज़ल==
{{मुख्य|अबुल फ़ज़ल}}
सूफ़ी शेख़ मुबारक के पुत्र अबुल फ़ज़ल का जन्म 1550 ई. में हुआ था। उसने [[मुग़लकालीन शिक्षा एवं साहित्य]] में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। 20 सवारों के रूप में अपना जीवन आरम्भ करने वाले अबुल फ़ज़ल ने अपने चरमोत्कर्ष पर 5000 सवार का मनसब प्राप्त किया था। वह अकबर का मुख्य सलाहकार व सचिव था। उसे [[इतिहास]], [[दर्शन]] एवं [[साहित्य]] पर पर्याप्त जानकारी थी। अकबर के दीन-ए-इलाही धर्म का वह मुख्य पुरोहित था। उसने [[अकबरनामा]] एवं आइने अकबरी जैसे महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना की थी। 1602 ई. में सलीम ([[जहाँगीर]]) के निर्देश पर दक्षिण से [[आगरा]] की ओर आ रहे अबुल फ़ज़ल की रास्ते में [[बुन्देला]] सरदार ने हत्या कर दी।
==टोडरमल==
{{मुख्य|टोडरमल}}
[[उत्तर प्रदेश]] के एक क्षत्रिय कुल में पैदा होने वाले टोडरमल ने अपने जीवन की शुरुआत [[शेरशाह सूरी]] के जहाँ नौकरी करके की थी। 1562 ई. में अकबर की सेवा में आने के बाद 1572 ई. में उसे [[गुजरात]] का [[दीवान]] बनाया गया तथा बाद में 1582 ई. में वह प्रधानमंत्री बन गया। दीवान-ए-अशरफ़ के पद पर कार्य करते हुए टोडरमल ने भूमि के सम्बन्ध में जो सुधार किए, वे नि:संदेह प्रशंसनीय हैं। टोडरमल ने एक सैनिक एवं सेना नायक के रूप में भी कार्य किया। 1589 ई. में टोडरमल की मृत्यु हो गई।
==तानसेन==
{{मुख्य|तानसेन}}
[[संगीत]] सम्राट तानसेन का जन्म [[ग्वालियर]] में हुआ था। उसके संगीत का प्रशंसक होने के नाते अकबर ने उसे अपने नौ रत्नों में शामिल किया था। उसने कई रागों का निर्माण किया था। उनके समय में [[ध्रुपद]] गायन शैली का विकास हुआ। अकबर ने तानसेन को ‘कण्ठाभरणवाणीविलास’ की उपाधि से सम्मानित किया था। तानसेन की प्रमुख कृतियाँ थीं-मियां की टोड़ी, मियां की मल्हार, मियां की सारंग, दरबारी कान्हड़ा आदि। सम्भवत: उसने [[इस्लाम धर्म]] स्वीकार कर लिया था।
==मानसिंह==
{{मुख्य|मानसिंह}}
[[आमेर]] के राजा भारमल के पौत्र मानसिंह ने अकबर के साम्राज्य विस्तार में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मानसिंह से सम्बन्ध होने के बाद अकबर ने हिन्दुओं के साथ उदारता का व्यवहार करते हुए [[जज़िया कर]] को समाप्त कर दिया। [[काबुल]], [[बिहार]], [[बंगाल]] आदि प्रदेशों पर मानसिंह ने सफल सैनिक अभियान चलाया।
==अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना==
{{मुख्य|रहीम}}
[[बैरम ख़ाँ]] का पुत्र अब्दुर्रहीम उच्च कोटि का विद्वान एवं कवि था। उसने तुर्की में लिखे [[बाबरनामा]] का [[फ़ारसी भाषा]] में अनुवाद किया था। जहाँगीर अब्दुर्रहीम के व्यक्तित्व से सर्वाधिक प्रभावित था, जो उसका गुरु भी था। रहीम को [[गुजरात]] प्रदेश को जीतने के बाद अकबर ने ख़ानख़ाना की उपाधि से सम्मानित किया था।
[[चित्र:Akbar-Tansen-Haridas.jpg|[[तानसेन]], [[अकबर]] और [[स्वामी हरिदास]]|left|thumb|200px]]
[[चित्र:Akbar-Tansen-Haridas.jpg|[[तानसेन]], [[अकबर]] और [[स्वामी हरिदास]]|left|thumb|200px]]
==मुल्ला दो प्याज़ा==
[[अरब]] का रहने वाला प्याज़ा [[हुमायूँ]] के समय में [[भारत]] आया था। अकबर के नौ रत्नों में उसका भी स्थान था। भोजन में उसे दो प्याज़ अधिक पसन्द था। इसीलिए अकबर ने उसे दो प्याज़ा की उपाधि प्रदान की थी।


==हक़ीम हुमाम==
{{मुख्य|हक़ीम हुमाम}}
यह अकबर के रसोई घर का प्रधान था।
==फ़ैजी==
{{मुख्य|फ़ैज़ी}}
अबुल फ़ज़ल का बड़ा भाई फ़ैज़ी अकबर के दरबार में राज कवि के पद पर आसीन था। वह [[दीन-ए-इलाही]] धर्म का कट्टर समर्थक था। 1595 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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Revision as of 07:02, 8 July 2016

अकबर विषय सूची
अकबर के नवरत्न
पूरा नाम जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर
जन्म 15 अक्टूबर सन् 1542 (लगभग)[1]
जन्म भूमि अमरकोट, सिन्ध (पाकिस्तान)
मृत्यु तिथि 27 अक्टूबर सन् 1605 (उम्र 63 वर्ष)
मृत्यु स्थान फ़तेहपुर सीकरी, आगरा
पिता/माता हुमायूँ, मरियम मक़ानी
पति/पत्नी मरीयम-उज़्-ज़मानी (हरका बाई)
संतान जहाँगीर के अलावा 5 पुत्र 7 बेटियाँ
उपाधि जलाल-उद-दीन
राज्य सीमा उत्तर और मध्य भारत
शासन काल 27 जनवरी, 1556 - 27 अक्टूबर, 1605
शा. अवधि 49 वर्ष
राज्याभिषेक 14 फ़रबरी 1556 कलानपुर के पास गुरदासपुर
धार्मिक मान्यता नया मज़हब बनाया दीन-ए-इलाही
युद्ध पानीपत, हल्दीघाटी
सुधार-परिवर्तन जज़िया हटाया, राजपूतों से विवाह संबंध
राजधानी फ़तेहपुर सीकरी आगरा, दिल्ली
पूर्वाधिकारी हुमायूँ
उत्तराधिकारी जहाँगीर
राजघराना मुग़ल
वंश तैमूर और चंगेज़ ख़ाँ का वंश
मक़बरा सिकन्दरा, आगरा
संबंधित लेख मुग़ल काल

जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर भारत का महानतम मुग़ल शंहशाह बादशाह था। जिसने मुग़ल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म, शहंशाह अकबर तथा महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। अकबर के दरबार में 9 विशेष दरबारी थे जिन्हें अकबर के 'नवरत्न' के नाम से भी जाना जाता है। अबुलफज़ल (1551-1602 ) ने अकबर के काल को क़लमबद्ध किया था। उसने अकबरनामा और आइना-ए-अकबरी की भी रचना की थी। फ़ैज़ी (1547-1595) अबुल फ़ज़ल का भाई था। वह फ़ारसी में कविता करता था। राजा अकबर ने उसे अपने बेटे के गणित शिक्षक के पद पर नियुक्त किया था। मिंया तानसेन अकबर के दरबार में गायक थे। वह कविता भी लिखा करते थे। राजा बीरबल (1528-1583) दरबार के विदूषक और अकबर के सलाहकार थे। राजा टोडरमल अकबर के वित्त मन्त्री थे। राजा मान सिंह आम्बेर (आमेर, जयपुर) के कच्छवाहा राजपूत राजा थे। वह अकबर की सेना के प्रधान सेनापति थे। अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना एक कवि थे और अकबर के संरक्षक बैरम ख़ान के बेटे थे। हक़ीम हुमाम अकबर के सलाहकार थे। मुल्ला दो पिआज़ा अकबर के सलाहकार थे। अकबर के दरबार को सुशोभित करने वाले 9 रत्न निम्न थे-

बीरबल

नवरत्नों में सर्वाधिक प्रसिद्ध बीरबल का जन्म कालपी में 1528 ई. में ब्राह्मण वंश में हुआ था। बीरबल के बचपन का नाम 'महेशदास' था। यह अकबर के बहुत ही नज़दीक था। उसकी छवि अकबर के दरबार में एक कुशल वक्ता, कहानीकार एवं कवि की थी। अकबर ने उसकी योग्यता से प्रभावित होकर उसे (बीरबल) कविराज एवं राजा की उपाधि प्रदान की, साथ ही 2000 का मनसब भी प्रदान किया। बीरबल पहला एवं अन्तिम हिन्दू राजा था, जिसने दीन-ए-इलाही धर्म को स्वीकार किया था। अकबर ने बीरबल को नगरकोट, कांगड़ा एवं कालिंजर में जागीरें प्रदान की थीं। 1583 ई. में बीरबल को न्याय विभाग का सर्वोच्च अधिकारी बनाया गया। 1586 ई. में युसुफ़जइयों के विद्रोह को दबाने के लिए गये बीरबल की हत्या कर दी गई। अबुल फ़ज़ल एवं बदायूंनी के अनुसार-अकबर को सभी अमीरों से अधिक बीरबल की मृत्यु पर शोक पहुँचा था। [[चित्र:Birbal.jpg|thumb|left|250px|बीरबल]] [[चित्र:Court-Of-Akbar-From-Akbarnama.jpg|thumb|250px|अकबरनामा के अनुसार, अकबर के दरबार का एक दृश्य]]

अबुल फ़ज़ल

सूफ़ी शेख़ मुबारक के पुत्र अबुल फ़ज़ल का जन्म 1550 ई. में हुआ था। उसने मुग़लकालीन शिक्षा एवं साहित्य में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। 20 सवारों के रूप में अपना जीवन आरम्भ करने वाले अबुल फ़ज़ल ने अपने चरमोत्कर्ष पर 5000 सवार का मनसब प्राप्त किया था। वह अकबर का मुख्य सलाहकार व सचिव था। उसे इतिहास, दर्शन एवं साहित्य पर पर्याप्त जानकारी थी। अकबर के दीन-ए-इलाही धर्म का वह मुख्य पुरोहित था। उसने अकबरनामा एवं आइने अकबरी जैसे महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना की थी। 1602 ई. में सलीम (जहाँगीर) के निर्देश पर दक्षिण से आगरा की ओर आ रहे अबुल फ़ज़ल की रास्ते में बुन्देला सरदार ने हत्या कर दी।

टोडरमल

उत्तर प्रदेश के एक क्षत्रिय कुल में पैदा होने वाले टोडरमल ने अपने जीवन की शुरुआत शेरशाह सूरी के जहाँ नौकरी करके की थी। 1562 ई. में अकबर की सेवा में आने के बाद 1572 ई. में उसे गुजरात का दीवान बनाया गया तथा बाद में 1582 ई. में वह प्रधानमंत्री बन गया। दीवान-ए-अशरफ़ के पद पर कार्य करते हुए टोडरमल ने भूमि के सम्बन्ध में जो सुधार किए, वे नि:संदेह प्रशंसनीय हैं। टोडरमल ने एक सैनिक एवं सेना नायक के रूप में भी कार्य किया। 1589 ई. में टोडरमल की मृत्यु हो गई।

तानसेन

संगीत सम्राट तानसेन का जन्म ग्वालियर में हुआ था। उसके संगीत का प्रशंसक होने के नाते अकबर ने उसे अपने नौ रत्नों में शामिल किया था। उसने कई रागों का निर्माण किया था। उनके समय में ध्रुपद गायन शैली का विकास हुआ। अकबर ने तानसेन को ‘कण्ठाभरणवाणीविलास’ की उपाधि से सम्मानित किया था। तानसेन की प्रमुख कृतियाँ थीं-मियां की टोड़ी, मियां की मल्हार, मियां की सारंग, दरबारी कान्हड़ा आदि। सम्भवत: उसने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था।

मानसिंह

आमेर के राजा भारमल के पौत्र मानसिंह ने अकबर के साम्राज्य विस्तार में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मानसिंह से सम्बन्ध होने के बाद अकबर ने हिन्दुओं के साथ उदारता का व्यवहार करते हुए जज़िया कर को समाप्त कर दिया। काबुल, बिहार, बंगाल आदि प्रदेशों पर मानसिंह ने सफल सैनिक अभियान चलाया।

अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना

बैरम ख़ाँ का पुत्र अब्दुर्रहीम उच्च कोटि का विद्वान एवं कवि था। उसने तुर्की में लिखे बाबरनामा का फ़ारसी भाषा में अनुवाद किया था। जहाँगीर अब्दुर्रहीम के व्यक्तित्व से सर्वाधिक प्रभावित था, जो उसका गुरु भी था। रहीम को गुजरात प्रदेश को जीतने के बाद अकबर ने ख़ानख़ाना की उपाधि से सम्मानित किया था। [[चित्र:Akbar-Tansen-Haridas.jpg|तानसेन, अकबर और स्वामी हरिदास|left|thumb|200px]]

मुल्ला दो प्याज़ा

अरब का रहने वाला प्याज़ा हुमायूँ के समय में भारत आया था। अकबर के नौ रत्नों में उसका भी स्थान था। भोजन में उसे दो प्याज़ अधिक पसन्द था। इसीलिए अकबर ने उसे दो प्याज़ा की उपाधि प्रदान की थी।

हक़ीम हुमाम

यह अकबर के रसोई घर का प्रधान था।

फ़ैजी

अबुल फ़ज़ल का बड़ा भाई फ़ैज़ी अकबर के दरबार में राज कवि के पद पर आसीन था। वह दीन-ए-इलाही धर्म का कट्टर समर्थक था। 1595 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Cite error: Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named akbarnama

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