गोपी चन्द भार्गव: Difference between revisions

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*[[कांग्रेस|कांग्रेस संगठन]] में वे अनेक पदों पर रहे। [[1946]] में गोपी चन्द भार्गव [[पंजाब]] विधान सभा के सदस्य चुने गए।
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*[[भारत]] की आज़ादी और फिर विभाजन के बाद [[सरदार पटेल]] के अनुरोध पर उन्होंने सयुंक्त पंजाब के प्रथम [[मुख्यमंत्री]] का पद स्वीकार कर जनता की सेवा का प्रण लेते हुए निभाया।
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*डॉ. भार्गव 'गाँधी स्मारक निधि' के प्रथम अध्यक्ष भी रहे थे।
*डॉ. भार्गव 'गाँधी स्मारक निधि' के प्रथम अध्यक्ष भी रहे थे।
*उन्होंने [[महात्मा गाँधी|गाँधी जी]] की रचनात्मक प्रवृत्तियों को आगे बढ़ाने के लिये कई कदम उठाए। विभाजन से उत्पन्न उत्तेजना और कटुता के बीच प्रशासन को उचित दिशा की ओर ले जाने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
*उन्होंने [[महात्मा गाँधी|गाँधी जी]] की रचनात्मक प्रवृत्तियों को आगे बढ़ाने के लिये कई कदम उठाए। विभाजन से उत्पन्न उत्तेजना और कटुता के बीच प्रशासन को उचित दिशा की ओर ले जाने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

Revision as of 05:28, 8 March 2018

गोपी चन्द भार्गव
पूरा नाम गोपी चन्द भार्गव
जन्म 8 मार्च, 1889
जन्म भूमि पंजाब
मृत्यु 26 दिसम्बर, 1966
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता
पार्टी कांग्रेस
पद भूतपूर्व मुख्यमंत्री, पंजाब
कार्य काल 15 अगस्त, 1947 से 13 अप्रैल, 1949 तक, 18 अक्टूबर, 1949 से 20 जून, 1951 तक और 21 जून, 1964 से 6 जुलाई, 1964 तक।
शिक्षा एम.बी.बी.एस.
विद्यालय लाहौर मेडिकल कॉलेज
अन्य जानकारी गोपी चन्द भार्गव ने गाँधी जी की रचनात्मक प्रवृत्तियों को आगे बढ़ाने के लिये कई कदम उठाए। विभाजन से उत्पन्न उत्तेजना और कटुता के बीच प्रशासन को उचित दिशा की ओर ले जाने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

गोपी चन्द भार्गव (अंग्रेज़ी: Gopi Chand Bhargava; जन्म- 8 मार्च, 1889, पंजाब; मृत्यु- 26 दिसम्बर, 1966) संयुक्त पंजाब के प्रथम मुख्यमंत्री थे। वे 'गाँधी स्मारक निधि' के प्रथम अध्यक्ष, गाँधीवादी नेता तथा स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका सम्पूर्ण जीवन एक प्रेरणा स्त्रोत था। गोपी चन्द भार्गव के जीवन का मुख्य उद्देश्य समाज की सेवा था और वे आजीवन इसी कार्य में तत्पर रहे। उन्होंने महात्मा गाँधी के साथ देश की आज़ादी की लड़ाई भी लड़ी।

  • गोपी चन्द भार्गव का जन्म 8 मार्च, 1889 को तत्कालीन पंजाब के हिसार ज़िले[1] में हुआ था।
  • उन्होंने 'लाहौर मेडिकल कॉलेज' से एम.बी.बी.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 1913 ई. से चिकित्सा कार्य प्रारम्भ किया था, लेकिन 1919 में जलियाँवाला बाग़ हत्याकाण्ड की घटना के कारण वे राजनीति में आ गए।[2]
  • लाला लाजपत राय, पंडित मदन मोहन मालवीय आदि के विचारों से गोपी चन्द भार्गव बहुत प्रभावित थे। सबसे अधिक उन्हें महात्मा गाँधी ने प्रभावित किया था।
  • डॉ. गोपी चन्द भार्गव ने प्रत्येक आंदोलन में भाग लिया और 1921, 1923, 1930, 1940 और 1942 में जेल की सज़ाएँ भोगीं।
  • अपनी निष्ठा और देशभक्ति के कारण डॉ. भार्गव का बड़ा सम्मान था। वे उदार दृष्टिकोण के व्यक्ति थे। जातिवाद पर उनका विश्वास नहीं था। महिलाओं की समानता के वे पक्षपाती थे।
  • कांग्रेस संगठन में वे अनेक पदों पर रहे। 1946 में गोपी चन्द भार्गव पंजाब विधान सभा के सदस्य चुने गए।
  • भारत की आज़ादी और फिर विभाजन के बाद सरदार पटेल के अनुरोध पर उन्होंने सयुंक्त पंजाब के प्रथम मुख्यमंत्री का पद स्वीकार कर जनता की सेवा का प्रण लेते हुए निभाया।
  • गोपी चन्द भार्गव प्रथम बार 15 अगस्त, 1947 से 13 अप्रैल, 1949 तक संयुक्त पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रहे। फिर वे दूसरी बार 18 अक्टूबर, 1949 से 20 जून, 1951 तक और इसके बाद तीसरी बार 21 जून, 1964 से 6 जुलाई, 1964 तक मुख्यमंत्री रहे।[2]
  • डॉ. भार्गव 'गाँधी स्मारक निधि' के प्रथम अध्यक्ष भी रहे थे।
  • उन्होंने गाँधी जी की रचनात्मक प्रवृत्तियों को आगे बढ़ाने के लिये कई कदम उठाए। विभाजन से उत्पन्न उत्तेजना और कटुता के बीच प्रशासन को उचित दिशा की ओर ले जाने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
  • 26 दिसम्बर, 1966 ई. को डॉ. गोपी चन्द भार्गव का निधन हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अब हरियाणा का एक ज़िला
  2. 2.0 2.1 भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 249 |

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