स्त्रीपुत्रकामावाप्ति व्रत: Difference between revisions

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Revision as of 13:47, 10 January 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • स्त्रीपुत्रकामावाप्तिव्रत मासव्रत है।
  • स्त्रीपुत्रकामावाप्तिव्रत के देवता सूर्य है।
  • जो नारी कार्तिक में एकभक्त रहकर, अहिंसा जैसे सदाचरणों का पालन करती हुई गुड़युक्त भात के नैवेद्य को सूर्य के लिए अर्पित करती है तथा षष्ठी या सप्तमी (दोनों पक्षों में) पर उपवास करती है, वह सूर्यलोक को पहुँचती है और जब पुन: इस लोक में आती है तो किसी राजा या मनोनुकूल पुरुष को पति के रूप में पाती है।
  • मार्गशीर्ष से आगे के मासों के लिए विशिष्ट नियम बने हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 821-824, भविष्य पुराण से उद्धरण); कृत्यरत्नाकर (406)

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