मीन संक्रांति: Difference between revisions
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'''मीन संक्रांति''' (''Meena Sankranti'') का [[हिन्दू धर्म]] में बड़ा ही महत्त्व बताया गया है। [[सूर्य]] जब [[मीन राशि]] में परिभ्रमण करता है, तब यह अवस्था सूर्य की मीन संक्रांति कही जाती है। सूर्य का जब-जब गुरु की राशि धनु व मीन में परिभ्रमण होता है अथवा धनु व मीन संक्रांति होती है, वह [[मलमास]] (खरमास) कहलाती है। मलमास में मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। [[भक्ति]], साधना व उत्सव का क्रम जारी रहता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार मलमास में [[नामकरण संस्कार|नामकरण]], [[विद्यारंभ संस्कार|विद्या आरंभ]], कर्ण छेदन, [[अन्नप्राशन संस्कार|अन्नप्राशन]], चौलकर्म, [[उपनयन संस्कार]], [[विवाह संस्कार]], ग्रह प्रवेश तथा वास्तु पूजन आदि मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं।<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/astrology-articles/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A8-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A4%BF-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6-%E0%A4%86%E0%A4%9C-112031400141_1.htm|title=सूर्य का मीन राशि में प्रवेश|accessmonthday= 12 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया|language= हिन्दी}}</ref> *[[सूर्य]] की मीन संक्रांति में भले ही मांगलिक कार्यों पर विराम रहता है, किंतु भक्ति का क्रम जारी रहता है। | '''मीन संक्रांति''' (''Meena Sankranti'') का [[हिन्दू धर्म]] में बड़ा ही महत्त्व बताया गया है। [[सूर्य]] जब [[मीन राशि]] में परिभ्रमण करता है, तब यह अवस्था सूर्य की मीन संक्रांति कही जाती है। सूर्य का जब-जब गुरु की राशि धनु व मीन में परिभ्रमण होता है अथवा धनु व मीन संक्रांति होती है, वह [[मलमास]] (खरमास) कहलाती है। मलमास में मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। [[भक्ति]], साधना व उत्सव का क्रम जारी रहता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार मलमास में [[नामकरण संस्कार|नामकरण]], [[विद्यारंभ संस्कार|विद्या आरंभ]], कर्ण छेदन, [[अन्नप्राशन संस्कार|अन्नप्राशन]], चौलकर्म, [[उपनयन संस्कार]], [[विवाह संस्कार]], ग्रह प्रवेश तथा वास्तु पूजन आदि मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं।<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/astrology-articles/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A8-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A4%BF-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6-%E0%A4%86%E0%A4%9C-112031400141_1.htm|title=सूर्य का मीन राशि में प्रवेश|accessmonthday= 12 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया|language= हिन्दी}}</ref> *[[सूर्य]] की मीन संक्रांति में भले ही मांगलिक कार्यों पर विराम रहता है, किंतु भक्ति का क्रम जारी रहता है। | ||
==पूजा विधि== | ==पूजा विधि== |
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thumb|200px|मीन संक्रांति मीन संक्रांति (Meena Sankranti) का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व बताया गया है। सूर्य जब मीन राशि में परिभ्रमण करता है, तब यह अवस्था सूर्य की मीन संक्रांति कही जाती है। सूर्य का जब-जब गुरु की राशि धनु व मीन में परिभ्रमण होता है अथवा धनु व मीन संक्रांति होती है, वह मलमास (खरमास) कहलाती है। मलमास में मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। भक्ति, साधना व उत्सव का क्रम जारी रहता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार मलमास में नामकरण, विद्या आरंभ, कर्ण छेदन, अन्नप्राशन, चौलकर्म, उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार, ग्रह प्रवेश तथा वास्तु पूजन आदि मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं।[1] *सूर्य की मीन संक्रांति में भले ही मांगलिक कार्यों पर विराम रहता है, किंतु भक्ति का क्रम जारी रहता है।
पूजा विधि
मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती आदि पवित्र नदियों में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। इस दिन वैदिक मंत्रों का उच्चारण करना और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन प्रातः सूर्योदय के समय किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा संभव न हो तो घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सूर्य देव को नमस्कार करें और उनसे अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें। इस दिन मंदिर जाकर भगवान् के दर्शन करें अथवा घर पर ही धूप, दीपक, फल, फूल, मिष्ठान आदि से भगवान् का पूजन करें। इसके पश्चात् ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र एवं अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करें।
इस दिन भूमि का दान करना विशेष रूप से शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन प्रायः सभी मंदिरों को फूलों से बड़ी ही सुंदरता से सजाया जाता है और दीप जलाये जाते हैं। इस दिन किये गए दान और पुण्य कर्मों से सभी जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं। देश भर के विभिन्न हिस्सों में, विशेष रूप से ओडिशा में मीन संक्रांति का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
महत्त्व
मीन संक्रांति का शास्त्रों में बड़ा महत्व बताया गया है। इस दिन को धार्मिक दृष्टि से ही पवित्र एवं शुभ नहीं माना जाता बल्कि व्यावहारिक रूप से भी उत्तम माना गया है। मीन संक्रांति से सूर्य की गति उत्तरायण की ओर बढ़ रही होती है, उत्तरायण काल में सूर्य उत्तर की ओर उदय होता दिखता है और उसमें दिन का समय बढ़ता जाता है जिससे दिन बढ़े और रातें छोटी होती हैं और प्रकृति में नया जीवन शुरू हो जाता है। इस समय वातावरण और वायु भी स्वच्छ होती है, ऐसे में देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा तन-मन और बुद्धि को पुष्ट करते हैं। रातें छोटी होने के कारण नकारात्मक शक्तियों में भी कमी आती है और दिन में ऊर्जा प्राप्त होती है। इस पुण्य काल में दान स्नान आदि कार्य करने अति शुभ माना गया है। तीर्थ या धार्मिक स्थलों में स्नान करने के लिए पुण्य काल को लिया जा सकता है। मीन संक्राति का पर्व सूर्य की आराधना उपासना का पावन पर्व है, जो तन-मन और आत्मा को शक्ति प्रदान करता है।
दान
मीन संक्रांति के विशिष्ट दिन पर विशेष चीजों को दान करना बहुत शुभ माना जाता है। अधिकांश लोग इस दिन को दिव्य आशीर्वाद को ग्रहण करना दिन मानते हैं। मीन संक्रांति का दिन दान पुण्य करने के लिए बहुत शुभ दिन माना जाता है। मीन संक्रांति के दिन दान का अत्यधिक महत्व है। इसलिए इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। मीन संक्रांति के दिन भूमि का दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन से मलमास का आरंभ होता है। इसलिए मलमास की अवधि में मांगलिक कार्य जैसे नामकरण, विद्या आरंभ, उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार, गृह प्रवेश आदि वर्जित माने गए हैं। इसलिए इन शुभ कर्यों को नहीं करना चाहिए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सूर्य का मीन राशि में प्रवेश (हिन्दी) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 12 मार्च, 2015।
संबंधित लेख
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