प्रांगण:मुखपृष्ठ/कला: Difference between revisions

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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[मूर्ति कला मथुरा]]'''</div>
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चीनी यात्री [[हुएनसांग]] के लेखानुसार यहाँ पर [[अशोक]] के बनवाये हुये कुछ स्तूप 7वीं शताब्दी में विद्यमान थे। परन्तु आज हमें इनके विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं है। लोक-कला की दृष्टि से देखा जाय तो मथुरा और उसके आसपास के भाग में इसके मौर्यकालीन नमूने विद्यमान हैं। लोक-कला की ये मूर्तियां [[यक्ष|यक्षों]] की हैं। यक्षपूजा तत्कालीन लोकधर्म का एक अभिन्न अंग थी। संस्कृत, पाली और प्राकृत साहित्य यक्षपूजा के उल्लेखों से भरा पड़ा है । [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था।<balloon title="वामनपुराण, 34.44; 35.38।" style="color:blue">*</balloon>  मथुरा से इस प्रकार के यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं ।  '''[[मूर्ति कला मथुरा|.... और पढ़ें]]'''
चीनी यात्री [[हुएनसांग]] के लेखानुसार यहाँ पर [[अशोक]] के बनवाये हुये कुछ स्तूप 7वीं शताब्दी में विद्यमान थे। परन्तु आज हमें इनके विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं है। लोक-कला की दृष्टि से देखा जाय तो मथुरा और उसके आसपास के भाग में इसके मौर्यकालीन नमूने विद्यमान हैं। लोक-कला की ये मूर्तियां [[यक्ष|यक्षों]] की हैं। यक्षपूजा तत्कालीन लोकधर्म का एक अभिन्न अंग थी। संस्कृत, पाली और प्राकृत साहित्य यक्षपूजा के उल्लेखों से भरा पड़ा है । [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था।<balloon title="वामनपुराण, 34.44; 35.38।" style="color:blue">*</balloon>  मथुरा से इस प्रकार के यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं ।  '''[[मूर्ति कला मथुरा|.... और पढ़ें]]'''
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*रत्नों का इतिहास अत्यंत ही प्राचीन है। [[भारत]] की तरह अन्य देशों में भी इनके जन्म सम्बंधी अनगिनत कथाएं प्रचलित हैं।
*रत्नों का इतिहास अत्यंत ही प्राचीन है। [[भारत]] की तरह अन्य देशों में भी इनके जन्म सम्बंधी अनगिनत कथाएं प्रचलित हैं।
*भारतीय मान्यता के अनुसार '''कुल 84 रत्न''' पाए जाते हैं, जिनमें [[माणिक्य]], [[हीरा]], [[मोती]], [[नीलम]], [[पन्ना]], [[मूँगा]], [[गोमेद]], तथा वैदूर्य ([[लहसुनिया]]) को नवरत्न माना गया है।
*भारतीय मान्यता के अनुसार '''कुल 84 रत्न''' पाए जाते हैं, जिनमें [[माणिक्य]], [[हीरा]], [[मोती]], [[नीलम]], [[पन्ना]], [[मूँगा]], [[गोमेद]], तथा वैदूर्य ([[लहसुनिया]]) को नवरत्न माना गया है।
*रत्नों को तीन श्रेणियों '''पाषाण रत्न''', '''प्राणिज रत्न''' और '''वनस्पतिक रत्न''' में बांटा गया है। [[रत्न|.... और पढ़ें]]'''
*रत्नों को तीन श्रेणियों '''पाषाण रत्न''', '''प्राणिज रत्न''' और '''वनस्पतिक रत्न''' में बांटा गया है। '''[[रत्न|.... और पढ़ें]]'''
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Revision as of 09:21, 3 December 2010

Template:प्रांगण

♦ विश्‍व का सातवाँ बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्‍ट भौगोलिक पहचान देते हैं।
♦ उत्तर में विशाल पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्‍द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।

कला मुखपृष्ठ

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♦ भारत कृषि में आत्‍मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है।
♦ भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमाच्‍छादित हिमालय की ऊँचाइयों से शुरू होकर दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक फैला हुआ है।

विशेष आलेख

right|70px|बुद्ध|link=बुद्ध चीनी यात्री हुएनसांग के लेखानुसार यहाँ पर अशोक के बनवाये हुये कुछ स्तूप 7वीं शताब्दी में विद्यमान थे। परन्तु आज हमें इनके विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं है। लोक-कला की दृष्टि से देखा जाय तो मथुरा और उसके आसपास के भाग में इसके मौर्यकालीन नमूने विद्यमान हैं। लोक-कला की ये मूर्तियां यक्षों की हैं। यक्षपूजा तत्कालीन लोकधर्म का एक अभिन्न अंग थी। संस्कृत, पाली और प्राकृत साहित्य यक्षपूजा के उल्लेखों से भरा पड़ा है । पुराणों के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था।<balloon title="वामनपुराण, 34.44; 35.38।" style="color:blue">*</balloon> मथुरा से इस प्रकार के यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं । .... और पढ़ें

चयनित लेख

  • रत्न आकर्षक खनिज का एक टुकड़ा होता है जो कटाई और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य अलंकरण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • रत्न अपनी चमक और अन्य भौतिक गुणों के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है।
  • रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।
  • रत्नों का इतिहास अत्यंत ही प्राचीन है। भारत की तरह अन्य देशों में भी इनके जन्म सम्बंधी अनगिनत कथाएं प्रचलित हैं।
  • भारतीय मान्यता के अनुसार कुल 84 रत्न पाए जाते हैं, जिनमें माणिक्य, हीरा, मोती, नीलम, पन्ना, मूँगा, गोमेद, तथा वैदूर्य (लहसुनिया) को नवरत्न माना गया है।
  • रत्नों को तीन श्रेणियों पाषाण रत्न, प्राणिज रत्न और वनस्पतिक रत्न में बांटा गया है। .... और पढ़ें
कुछ चुने हुए लेख
भूगोल श्रेणी वृक्ष
चयनित चित्र

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