हरि वासर: Difference between revisions
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Revision as of 18:25, 25 February 2011
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- हरि का दिन कहा जाता है।
- इस विषय में विभिन्न मत हैं; वर्षक्रियाकौमुदी[1] का कथन है कि एकादशी हरि का दिन है न कि द्वादशी।
- गरुड़ पुराण[2] एवं नारद पुराण[3] ने एकादशी का हरिवासर कहा है।
- कृत्यसारसमुच्चय[4] ने मत्स्य पुराण को उद्धृत करते हुए कहा है कि यदि आषाढ़ शुक्ल द्वादशी बुधवार को पड़ती है और वह अनुराधा नक्षत्र में रहती है, यदि भाद्रपद शुक्ल द्वादशी बुधवार को पड़ती है और उस समय श्रवण नक्षत्र रहता है तथा यदि कार्तिक शुक्ल द्वादशी बुधवार को पड़ती है और उस समय रेवती नक्षत्र रहता है तो उसे 'हरिवासर' कहा जाता है।
- स्मृतिकौस्तुभ[5] के अनुसार द्वादशी 'हरि तिथि' है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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