पद्मजा नायडू: Difference between revisions

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*[[सरोजिनी नायडू]] की पुत्री पद्मजा नायडू अपनी मां की तरह ही राष्ट्र के हितों के प्रति निष्ठावान थीं।  
*[[सरोजिनी नायडू]] की पुत्री पद्मजा नायडू अपनी मां की तरह ही राष्ट्र के हितों के प्रति निष्ठावान थीं।  
*17  नवंबर 1900 में जन्मी पद्मजा नायडू पर अपनी देशभक्त मां का काफ़ी असर था।  
*17  नवंबर 1900 में जन्मीं पद्मजा नायडू पर अपनी देशभक्त मां का काफ़ी असर था।  
*21  वर्ष की आयु में वह राष्ट्रीय क्षितिज पर उभरीं और [[हैदराबाद]]  में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की संयुक्त संस्थापिका बन गयीं।  
*21  वर्ष की आयु में वह राष्ट्रीय क्षितिज पर उभरीं और [[हैदराबाद]]  में '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' की संयुक्त संस्थापिका बन गयीं।  
*उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि थी और उन्होंने देश में खादी का प्रचार करते हुए जनता को विदेशी सामान का बहिष्कार करने की प्रेरणा दीं।  
*उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि थी और उन्होंने देश में खादी का प्रचार करते हुए जनता को विदेशी सामान का बहिष्कार करने की प्रेरणा दीं।  
*1942 में [[गांधी जी]] के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भाग लेने के लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।  
*1942 में [[गांधी जी]] के '[[भारत छोड़ो आंदोलन]]' में भाग लेने के लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।  
*आज़ादी के बाद वह [[संसद]] की सदस्य बनीं और बाद में [[पश्चिम बंगाल]] की पहली महिला [[राज्यपाल]] बनायी गयीं।  
*आज़ादी के बाद वह [[संसद]] की सदस्य बनीं और बाद में [[पश्चिम बंगाल]] की पहली महिला [[राज्यपाल]] बनायी गयीं।  
*लगभग 50  वर्ष के सार्वजनिक जीवन में वे रेडक्रास से भी जुड़ी हुई थीं।  
*लगभग 50  वर्ष के सार्वजनिक जीवन में वे रेडक्रास से भी जुड़ी हुई थीं।  

Revision as of 06:27, 31 May 2011

  • सरोजिनी नायडू की पुत्री पद्मजा नायडू अपनी मां की तरह ही राष्ट्र के हितों के प्रति निष्ठावान थीं।
  • 17 नवंबर 1900 में जन्मीं पद्मजा नायडू पर अपनी देशभक्त मां का काफ़ी असर था।
  • 21 वर्ष की आयु में वह राष्ट्रीय क्षितिज पर उभरीं और हैदराबाद में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की संयुक्त संस्थापिका बन गयीं।
  • उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि थी और उन्होंने देश में खादी का प्रचार करते हुए जनता को विदेशी सामान का बहिष्कार करने की प्रेरणा दीं।
  • 1942 में गांधी जी के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भाग लेने के लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।
  • आज़ादी के बाद वह संसद की सदस्य बनीं और बाद में पश्चिम बंगाल की पहली महिला राज्यपाल बनायी गयीं।
  • लगभग 50 वर्ष के सार्वजनिक जीवन में वे रेडक्रास से भी जुड़ी हुई थीं।
  • 2 मई 1975 में उनका देहांत हो गया।
  • राष्ट्र के लिए उनकी सेवाएं विशेष रूप से उनका मानवीय दृष्टिकोण हमेशा याद किया जाएगा।
  • सरोजनी नायडू की बेटी पद्मजा अपनी मां की ही तरह देश के लिए समर्पित थीं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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