बलि प्रतिपद रथयात्रा व्रत: Difference between revisions

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*रथ पर अग्नि की पूजा की जाती है।   
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*विद्वान [[ब्राह्मण]] रथ को खींचते हैं और उसे ब्राह्मण कर्ता कहने पर नगर में घुमाते हैं।  
*विद्वान् [[ब्राह्मण]] रथ को खींचते हैं और उसे ब्राह्मण कर्ता कहने पर नगर में घुमाते हैं।  
*ब्रह्मा के दक्षिण पक्ष में [[सावित्री]] की प्रतिमा भी रहती है; रथ को विभिन्न स्थानों पर रोका जाता है, [[आरती पूजन|आरती]] की जाती है।
*ब्रह्मा के दक्षिण पक्ष में [[सावित्री]] की प्रतिमा भी रहती है; रथ को विभिन्न स्थानों पर रोका जाता है, [[आरती पूजन|आरती]] की जाती है।
*वे सभी लोग जो की रथयात्रा में भाग लेते हैं, यथा– रथ खींचने वाले, आरती करने वाले तथा भक्तिपूर्वक दर्शन करने वाले, सर्वोत्तम स्थान के भागी होते हैं।  
*वे सभी लोग जो की रथयात्रा में भाग लेते हैं, यथा– रथ खींचने वाले, आरती करने वाले तथा भक्तिपूर्वक दर्शन करने वाले, सर्वोत्तम स्थान के भागी होते हैं।  

Latest revision as of 14:41, 6 July 2017

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर यह व्रत किया जाता है।
  • पूर्व अमावास्या पर उपवास किया जाता है।
  • देवता ब्रह्मा एवं अग्नि की पूजा की जाती है।
  • रथ पर अग्नि की पूजा की जाती है।
  • विद्वान् ब्राह्मण रथ को खींचते हैं और उसे ब्राह्मण कर्ता कहने पर नगर में घुमाते हैं।
  • ब्रह्मा के दक्षिण पक्ष में सावित्री की प्रतिमा भी रहती है; रथ को विभिन्न स्थानों पर रोका जाता है, आरती की जाती है।
  • वे सभी लोग जो की रथयात्रा में भाग लेते हैं, यथा– रथ खींचने वाले, आरती करने वाले तथा भक्तिपूर्वक दर्शन करने वाले, सर्वोत्तम स्थान के भागी होते हैं।
  • कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा बलि प्रतिपद है, अतएव यह 'रथयात्रा' के नाम से प्रसिद्ध है।[1]

 



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 345-347, भविष्यपुराण से उद्धरण

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