ब्रह्मोत्सव: Difference between revisions

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[[होली]] समाप्त होते ही [[चैत्र]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[द्वितीया]] से [[वृन्दावन]] में [[रंग नाथ जी मन्दिर वृन्दावन|रंग जी]] के मन्दिर का प्रसिद्ध रथ मेला प्रारम्भ हो जाता है। प्रतिदिन विभिन्न सोने–चाँदी के वाहनों पर रंगजी की सवारी निकलती है। चैत्र शुक्ल की [[नवमी]] [[रथ का मेला वृन्दावन|रथ का मेला]] तथा दसवीं को भव्य आतिशबाजी होती है। यह बहुत बड़ा मेला होता है।
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इनके अलावा [[महावन]] का [[रमणरेती]] मेला, कारब का रामलीला मेला, भादों की पूर्णिमा को चौमुहाँ का ब्रह्माजी को मेला, नगला चन्द्रभान (फ़रह) में पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेला, [[मथुरा]] में बाबा [[जयगुरुदेव मन्दिर मथुरा|जयगुरुदेव का मेला]], चैत्र पूर्णिमा का मेला, मंसादेवी का मेला आदि मेलों और उत्सव के अतिरिक्त जनपद में और भी मेले उत्सवों का आयोजन होता है जिससे वर्ष भर ताजगी उल्लास का वातावरण बना रहता है।
इनके अलावा [[महावन]] का [[रमणरेती]] मेला, कारब का रामलीला मेला, भादों की पूर्णिमा को चौमुहाँ का ब्रह्माजी को मेला, नगला चन्द्रभान (फ़रह) में पंडित [[दीनदयाल उपाध्याय]] मेला, [[मथुरा]] में बाबा [[जयगुरुदेव मन्दिर मथुरा|जयगुरुदेव का मेला]], चैत्र पूर्णिमा का मेला, मंसादेवी का मेला आदि मेलों और उत्सव के अतिरिक्त जनपद में और भी मेले उत्सवों का आयोजन होता है जिससे वर्ष भर ताजगी उल्लास का वातावरण बना रहता है।


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

Revision as of 11:46, 23 September 2010

होली समाप्त होते ही चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वितीया से वृन्दावन में रंग जी के मन्दिर का प्रसिद्ध रथ मेला प्रारम्भ हो जाता है। प्रतिदिन विभिन्न सोने–चाँदी के वाहनों पर रंगजी की सवारी निकलती है। चैत्र शुक्ल की नवमी रथ का मेला तथा दसवीं को भव्य आतिशबाजी होती है। यह बहुत बड़ा मेला होता है।


इनके अलावा महावन का रमणरेती मेला, कारब का रामलीला मेला, भादों की पूर्णिमा को चौमुहाँ का ब्रह्माजी को मेला, नगला चन्द्रभान (फ़रह) में पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेला, मथुरा में बाबा जयगुरुदेव का मेला, चैत्र पूर्णिमा का मेला, मंसादेवी का मेला आदि मेलों और उत्सव के अतिरिक्त जनपद में और भी मेले उत्सवों का आयोजन होता है जिससे वर्ष भर ताजगी उल्लास का वातावरण बना रहता है।

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