मौना पंचमी
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मौना पंचमी सावन के कृष्ण पक्ष की पंचमी को कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने का विधान है। भगवान शंकर की आराधना कर इस दिन मौन व्रत रखा जाता है। 'मौन' का अर्थ है- "चुप रहना या बात न करना"। इसलिए यह तिथि 'मौना पंचमी' के नाम से जानी जाती है।
- इस दिन भगवान शिव के दक्षिणामूर्ति स्वरूप की पूजा की जाती है। इस रूप में शिव जगद्गुरु होकर ज्ञान, ध्यान, योग और विद्या के देवता हैं।
- भगवान शिव की पूजा, उपासना से भक्त ज्ञान और बुद्धि के द्वारा जीवन में सफलता पाता है।
- मौना पंचमी के दिन शिव का पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक का महत्व है।
- इस तिथि के देवता शेषनाग हैं, इसलिए शिव के साथ शेषनाग की पूजा भी की जाती है।
- शिव-शेषनाग की पूजा से काल का भय और कष्ट दूर होते हैं। सरल अर्थ में विपरीत समय भी अनुकूल हो जाता है।
- 'मौना पंचमी' को शिव पूजा और मौन व्रत का यही संदेश है कि मौन मानसिक, वैचारिक और शारीरिक हिंसा को रोकने का काम करता है।
- मौन व्रत न केवल व्यक्ति को मानसिक रूप से संयम और धैर्य रखना सीखाता है बल्कि वह शारीरिक ऊर्जा के नुकसान से भी बचकर सफलता पाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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