अनंता सिंह: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''अनंतलाल सिन्हा''' (अंग्रेज़ी: Anantlal Sinha, जन्म- [[3 दिसम्बर]...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''अनंतलाल सिन्हा''' ([[अंग्रेज़ी]]: Anantlal Sinha, जन्म- [[3 दिसम्बर]], [[1903]], [[चटगाँव]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे। वे अपने साथी क्रांतिकारियों में बम तथा बन्दूक की गोलियाँ आदि बनाने में कुशल थे। 'चटगाँव कांड' के फलस्वरूप अनंतलाल सिन्हा के कई साथियों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। जब उन्हें इस घटना का पता चला तो वे स्वयं पुलिस के समक्ष उपस्थित हो गये। आजीवन कारावास के तहत उन्हें [[1932]] में [[अंडमान-निकोबार द्वीप समूह|अंडमान]] की जेल भेज दिया गया, जहाँ से वे [[1946]] में रिहा हुए। | '''अनंतलाल सिन्हा''' ([[अंग्रेज़ी]]: Anantlal Sinha, जन्म- [[3 दिसम्बर]], [[1903]], [[चटगाँव]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे। वे अपने साथी क्रांतिकारियों में बम तथा बन्दूक की गोलियाँ आदि बनाने में कुशल थे। 'चटगाँव कांड' के फलस्वरूप अनंतलाल सिन्हा के कई साथियों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। जब उन्हें इस घटना का पता चला तो वे स्वयं पुलिस के समक्ष उपस्थित हो गये। आजीवन कारावास के तहत उन्हें [[1932]] में [[अंडमान-निकोबार द्वीप समूह|अंडमान]] की जेल भेज दिया गया, जहाँ से वे [[1946]] में रिहा हुए।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=23|url=}}</ref> | ||
{{tocright}} | {{tocright}} | ||
==जन्म== | ==जन्म== | ||
Line 14: | Line 14: | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== |
Revision as of 13:16, 19 November 2012
अनंतलाल सिन्हा (अंग्रेज़ी: Anantlal Sinha, जन्म- 3 दिसम्बर, 1903, चटगाँव) भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे। वे अपने साथी क्रांतिकारियों में बम तथा बन्दूक की गोलियाँ आदि बनाने में कुशल थे। 'चटगाँव कांड' के फलस्वरूप अनंतलाल सिन्हा के कई साथियों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। जब उन्हें इस घटना का पता चला तो वे स्वयं पुलिस के समक्ष उपस्थित हो गये। आजीवन कारावास के तहत उन्हें 1932 में अंडमान की जेल भेज दिया गया, जहाँ से वे 1946 में रिहा हुए।[1]
जन्म
अनंतलाल सिन्हा का जन्म 3 दिसम्बर, 1903 को चटगांव, बंगाल में हुआ था। उनका परिवार मूलतः आगरा, उत्तर प्रदेश का निवासी था। बाद के समय परिवार बगांल में जाकर बस गया।
क्रांतिकारियों से संपर्क
प्रथम विश्वयुद्द (1914-18) के अंतिम वर्षों में अनंतलाल क्रातिकारियों के संपर्क में आए और अपने साहस और योग्यता से संगठन के प्रमुख सदस्य बन गए। बम और बंदूको की गोलियाँ आदि बनाने में वे विशेष रूप से प्रवीण थे। वर्ष 1921 के 'असहयोग आंदोलन' में वे स्कूल से बाहर आ गए और देश की प्रमुख पार्टी 'कांग्रेस' के लिए काम करने लगे। लेकिन जब 1922 में आदोलन वापस ले लिया गया तो वे फिर से क्रांतिकारी गतिविधियों मे संलग्न हो गए।
गिरफ्तारी
वर्ष 1923 में जब क्रांतिकारियों ने विदेशियों की कम्पनी का असम, बंगाल रेलवे का खजाना लूट लिया तो पुलिस को अंनतलाल सिन्हा पर संदेह हुआ। अब वे अन्य साथियों को लेकर गुप्त स्थान पर रहने लगे। एक दिन जब उस स्थान को पुलिस ने चारों ओर से घेर लिया, तब अनंतलाल के नेतृत्व में क्रांतिकारी बलपूर्वक पुलिस का घेरा तोड़कर एक पहाड़ी पर चढ़ गए। वहाँ से बच निकलने के बाद अनंतलाल कोलकाता (भूतपूर्व 'कलकत्ता') आ गए। लेकिन शीघ्र ही गिरफ्तार करके उन्हें 4 वर्ष के लिए नजरबंद कर दिया गया।
सज़ा
अनंतलाल सिन्हा 1928 में जेल से छुटकर फिर चटगांव पहुंचे और लोगों को संगठित किया। इसके बाद ही क्रांतिकारियों ने चटगांव के शस्त्रागार पर आक्रमण किया। अंनतलाल फिर बचकर फ़्रैंच बस्ती चंद्रनगर चले आए, किन्तु ज्यों ही उन्हें पता चला कि 'चटगांव कांड़' के लिए उनके युवा साथियों पर मुकदमा चलाया जा रहा है, तब वे अपने साथियों के साथ खड़ा होने के लिए स्वंय पुलिस के सामने उपस्थित हो गए। उन सभी पर मुकदमा चलाया गया औऱ कुछ अन्य साथियो के साथ उन्हें भी आजीवन कारावास की सज़ा देकर 1932 में अंडमान की जेल बेज दिया गया।
रिहाई
अपनी गिरफ्तारी के चौदह वर्ष बाद सन 1946 के अंत में ही अनंतलाल जेल से बाहर आ सके। महान क्रांतिकारी अंनतलाल सिन्हा 1970 के दशक में नक्सलवादी विद्रोह के समय तक क्रांति की मशाल थामे रहे।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 23 |
संबंधित लेख
- REDIRECTसाँचा:स्वतन्त्रता सेनानी