के. एम. अशरफ़: Difference between revisions
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Latest revision as of 04:58, 29 May 2015
के. एम. अशरफ़
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पूरा नाम | कुंवर मुहम्मद अशरफ़ |
जन्म | 1903 |
जन्म भूमि | हाथरस, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 1962 |
मृत्यु स्थान | बर्लिन |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी |
धर्म | इस्लाम |
आंदोलन | डॉ. अशरफ़ ने ज़मींदारों के विरुद्ध किसानों के आंदोलन का नेतृत्व किया था। |
विद्यालय | 'अलीगढ़ यूनिवर्सिटी' |
शिक्षा | एम.ए., एल.एल.बी. तथा पी-एच. डी. |
अन्य जानकारी | वर्ष 1942 के 'भारत छोड़ो आन्दोलन' का विरोध करने के कारण अन्य कम्यूनिस्टों की भांति मुहम्मद अशरफ़ भी जेल से बाहर रहे। |
कुंवर मुहम्मद अशरफ़ (जन्म- 1903, हाथरस, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 1962, बर्लिन) भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। पण्डित जवाहरलाल नेहरू नें उन्हें 'अखिल भारतीय कांग्रेस' के कार्यालय (इलाहाबाद) में पश्चिमी एशिया और मुस्लिम जनता से संपर्क का प्रभारी नियुक्त कर दिया था।
जन्म तथा शिक्षा
राष्ट्रवादी और कम्युनिस्ट नेता कुंवर मुहम्मद अशरफ़ का जन्म वर्ष 1903 ई. में हाथरस, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने 'अलीगढ़ यूनिवर्सिटी' से एम.ए., एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की और लंदन से पी-एच. डी. की।[1]
प्रभारी
भारत में रहते हुए ही मुहम्मद अशरफ़ राष्ट्रवादी और समाजवादी विचारों के हो चुके थे। वर्ष 1934 में जब वे विदेश से वापस आए, उस समय कम्यूनिस्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगा हुआ था। अत: डॉ. अशरफ़ पहले 'कांग्रेस समाजवादी दल' में और उसके बाद पण्डित जवाहरलाल नेहरू की सलाह पर कांग्रेस में सम्मिलित हो गए। जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें 'अखिल भारतीय कांग्रेस' के कार्यालय, इलाहाबाद में पश्चिमी एशिया और मुस्लिम जनता से संपर्क का प्रभारी नियुक्त कर दिया था।
आंदोलन
डॉ. अशरफ़ ने ज़मींदारों के विरुद्ध किसानों के आंदोलन का नेतृत्व किया। 1942 के 'भारत छोड़ो आन्दोलन' का विरोध करने के कारण अन्य कम्यूनिस्टों की भांति मुहम्मद अशरफ़ भी जेल से बाहर रहे। वर्ष 1960 में वे बर्लिन और फिर वहाँ से रूस चले गए।[1]
निधन
1961 में फिर से बर्लिन आकर वे कुछ पुस्तकों की रचना की तैयारी कर रहे थे, लेकिन हृदय की गति रुक जाने के कारण वहीं 1962 ई. में उनका देहांत हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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