ननकाना: Difference between revisions
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गुरु नानक देव की आध्यात्मिक रुचियों को सबसे पहले उनकी बहन नानकी और राय बुलर भट्टी ने ही पहचाना। राय बुलर ने तलवंडी शहर के आस-पास की 20,000 एकड़ जमीन गुरु नानक देव को उपहार में दी थी, जिसे 'ननकाना साहिब' कहा जाने लगा। वर्तमान समय में इस शहर में 'गुरुद्वारा जन्मस्थान' सहित नौ गुरुद्वारे हैं। ये सभी गुरुद्वारे गुरु नानक देव के जीवन के | गुरु नानक देव की आध्यात्मिक रुचियों को सबसे पहले उनकी बहन नानकी और राय बुलर भट्टी ने ही पहचाना। राय बुलर ने तलवंडी शहर के आस-पास की 20,000 एकड़ जमीन गुरु नानक देव को उपहार में दी थी, जिसे 'ननकाना साहिब' कहा जाने लगा। वर्तमान समय में इस शहर में 'गुरुद्वारा जन्मस्थान' सहित नौ गुरुद्वारे हैं। ये सभी गुरुद्वारे गुरु नानक देव के जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं से संबंधित हैं। हर साल क़रीब 30,000 सिक्ख यहाँ आते हैं, जिनमें से 15,000 से भी ज्यादा लोग 'गुरपूरब' के अवसर पर यहाँ इकट्ठा होते हैं। | ||
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Revision as of 08:00, 1 August 2013
[[चित्र:Nankana-Sahib.JPG|thumb|300px|ननकाना साहिब, पाकिस्तान]] ननकाना वह प्रसिद्ध स्थान है, जहाँ सिक्खों में विशेष रूप से गुरु का दर्जा प्राप्त गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। यह स्थान लाहौर (पाकिस्तान) से 30 मील (लगभग 48 कि.मी.) की दूरी पर पश्चिम में स्थित है, जिसे पहले 'तलवंडी' नाम से जाना जाता था। अब यह स्थान 'ननकाना साहब' कहलाता है। तलवंडी का ही नाम आगे चलकर नानक के नाम पर 'ननकाना' पड़ा था। सिक्ख धर्म में इस स्थान का बड़ा ही धार्मिक महत्त्व है।
गुरु नानक का जन्म स्थान
नानक जी का जन्म तलवंडी नामक स्थान पर 15 अप्रैल, 1469 को एक साधारण किसान के घर हुआ था। यह स्थान अब भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में लाहौर के पास है। इस स्थान को अब 'ननकाना साहिब' के नाम से जाना जाता है। गुरु नानक देव के जन्म स्थान के तौर पर यहाँ "गुरुद्वारा ननकाना साहिब" की स्थापना की गई है। गुरु जी के जन्म दिवस को यहाँ "प्रकाश दिवस" अथवा "गुरपूरब" के रूप में मनाया जाता है।
पवित्र स्थल
'ननकाना साहिब' सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यह स्थान पाकिस्तान के सबसे तेज गति से विकसित होने वाले स्थानों में से एक है। पाकिस्तान और भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया से सिक्ख यहाँ मत्था टेकने आते हैं। गुरु नानक देव के जन्म के समय इस जगह को 'रायपुर' के नाम से भी जाना जाता था। इस समय राय बुलर भट्टी इस इलाके का शासक था और बाबा नानक के पिता उसके कर्मचारी थे।
गुरुद्वारा
गुरु नानक देव की आध्यात्मिक रुचियों को सबसे पहले उनकी बहन नानकी और राय बुलर भट्टी ने ही पहचाना। राय बुलर ने तलवंडी शहर के आस-पास की 20,000 एकड़ जमीन गुरु नानक देव को उपहार में दी थी, जिसे 'ननकाना साहिब' कहा जाने लगा। वर्तमान समय में इस शहर में 'गुरुद्वारा जन्मस्थान' सहित नौ गुरुद्वारे हैं। ये सभी गुरुद्वारे गुरु नानक देव के जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं से संबंधित हैं। हर साल क़रीब 30,000 सिक्ख यहाँ आते हैं, जिनमें से 15,000 से भी ज्यादा लोग 'गुरपूरब' के अवसर पर यहाँ इकट्ठा होते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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