तथागत: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "==संबंधित लेख== " to "==संबंधित लेख== {{शब्द संदर्भ कोश}}") |
||
(10 intermediate revisions by 5 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चित्र:Kushinagar.jpg|thumb|250px|[[बुद्ध]], [[कुशीनगर ]]<br /> Buddha, Kushinagar]] | [[चित्र:Kushinagar.jpg|thumb|250px|[[बुद्ध]], [[कुशीनगर ]]<br /> Buddha, Kushinagar]] | ||
{{main|बुद्ध}} | {{main|बुद्ध}} | ||
भगवान [[बुद्ध]] का नाम ही | भगवान [[बुद्ध]] का नाम ही तथागत है। '''गृहत्याग करने के बाद सिद्धार्थ ज्ञान की खोज में''' भटकने लगे। बिंबिसार, उद्रक, आलार एवम् कालाम नामक सांख्योपदेशकों से मिलकर वे [[उरुवेला]] की रमणीय वनस्थली में जा पहुँचे। वहाँ उन्हें कौंडिल्य आदि पाँच साधक मिले। उन्होंने ज्ञान-प्राप्ति के लिये घोर साधना प्रारंभ कर दी। किंतु उसमें असफल होने पर वे [[गया]] के निकट एक वटवृक्ष के नीचे आसन लगा कर बैठ गये और निश्चय कर लिया कि भले ही प्राण निकल जाए, मैं तब तक समाधिस्त रहूँगा, जब तक ज्ञान न प्राप्त कर लूँ। सात दिन और सात रात्रि व्यतीत होने के बाद, आठवें दिन [[वैशाख]] [[पूर्णिमा]] को उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ और '''उसी दिन वे तथागत हो गये।''' | ||
====भगवान बुद्ध के अन्य नाम==== | ====भगवान बुद्ध के अन्य नाम==== | ||
#[[विनायक (बुद्ध)|विनायक]] | #[[विनायक (बुद्ध)|विनायक]] | ||
#[[ | #[[सुगत]] | ||
#[[धर्मराज (बुद्ध)|धर्मराज]] | #[[धर्मराज (बुद्ध)|धर्मराज]] | ||
#[[ | #[[मुनि (बुद्ध)|मुनि]] | ||
#समन्तभद्र | #[[समन्तभद्र (बुद्ध)|समन्तभद्र]] | ||
#[[भगवत् (बुद्ध)|भगवत्]] | #[[भगवत् (बुद्ध)|भगवत्]] | ||
#मारजित् | #[[मारजित् (बुद्ध)|मारजित्]] | ||
#लोकजित् | #[[लोकजित्]] | ||
#जिन | #[[जिन (बुद्ध)|जिन]] | ||
#षडभिज्ञ | #[[षडभिज्ञ]] | ||
#दशबल | #[[दशबल]] | ||
#अद्वयवादिन् | #[[अद्वयवादिन्]] | ||
# | #[[सर्वज्ञ (बुद्ध)|सर्वज्ञ]] | ||
#श्रीघन | #[[श्रीघन]] | ||
#शास्तृ | #[[शास्तृ]] | ||
# | #[[मुनीन्द्र (बुद्ध)|मुनीन्द्र]] | ||
{{शब्द संदर्भ लघु | {{शब्द संदर्भ लघु | ||
|हिन्दी=सत्य का साक्षात्कारी व्यक्ति, [[गौतम बुद्ध]]। | |हिन्दी=सत्य का साक्षात्कारी व्यक्ति, [[गौतम बुद्ध]]। | ||
|व्याकरण= | |व्याकरण=पुल्लिंग, [[संज्ञा (व्याकरण)|संज्ञा]] | ||
|उदाहरण= | |उदाहरण= | ||
|विशेष= | |विशेष= | ||
|पर्यायवाची= | |पर्यायवाची=तीर्थकर, परमेष्ठी, पारगत, सर्वात्मा, सार्व, मुनि, शास्ता, शुकायन, सर्वदर्शी। | ||
|संस्कृत= | |संस्कृत=सत्य+गत-ज्ञान | ||
|अन्य ग्रंथ= | |अन्य ग्रंथ= | ||
}} | }} | ||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
Line 40: | Line 40: | ||
}} | }} | ||
== | ==संबंधित लेख== | ||
{{बौद्ध | {{शब्द संदर्भ कोश}}{{बौद्ध धर्म}} | ||
{{हिन्दू देवी देवता और अवतार}} | {{हिन्दू देवी देवता और अवतार}} | ||
{{दशावतार2}} | {{दशावतार2}} | ||
[[Category: | [[Category:गौतम बुद्ध]] | ||
[[Category: | [[Category:पर्यायवाची कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 12:40, 20 April 2018
[[चित्र:Kushinagar.jpg|thumb|250px|बुद्ध, कुशीनगर
Buddha, Kushinagar]]
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
भगवान बुद्ध का नाम ही तथागत है। गृहत्याग करने के बाद सिद्धार्थ ज्ञान की खोज में भटकने लगे। बिंबिसार, उद्रक, आलार एवम् कालाम नामक सांख्योपदेशकों से मिलकर वे उरुवेला की रमणीय वनस्थली में जा पहुँचे। वहाँ उन्हें कौंडिल्य आदि पाँच साधक मिले। उन्होंने ज्ञान-प्राप्ति के लिये घोर साधना प्रारंभ कर दी। किंतु उसमें असफल होने पर वे गया के निकट एक वटवृक्ष के नीचे आसन लगा कर बैठ गये और निश्चय कर लिया कि भले ही प्राण निकल जाए, मैं तब तक समाधिस्त रहूँगा, जब तक ज्ञान न प्राप्त कर लूँ। सात दिन और सात रात्रि व्यतीत होने के बाद, आठवें दिन वैशाख पूर्णिमा को उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ और उसी दिन वे तथागत हो गये।
भगवान बुद्ध के अन्य नाम
- विनायक
- सुगत
- धर्मराज
- मुनि
- समन्तभद्र
- भगवत्
- मारजित्
- लोकजित्
- जिन
- षडभिज्ञ
- दशबल
- अद्वयवादिन्
- सर्वज्ञ
- श्रीघन
- शास्तृ
- मुनीन्द्र
हिन्दी | सत्य का साक्षात्कारी व्यक्ति, गौतम बुद्ध। |
-व्याकरण | पुल्लिंग, संज्ञा |
-उदाहरण | |
-विशेष | |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | तीर्थकर, परमेष्ठी, पारगत, सर्वात्मा, सार्व, मुनि, शास्ता, शुकायन, सर्वदर्शी। |
संस्कृत | सत्य+गत-ज्ञान |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश
|
|
|
|
|