ताजमहल: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "कुरान" to "क़ुरान") |
No edit summary |
||
Line 20: | Line 20: | ||
====<u>प्रवेश द्वार</u>==== | ====<u>प्रवेश द्वार</u>==== | ||
ताजमहल का मुख्य प्रवेश दक्षिण द्वार से है। यह प्रवेश द्वार 151 फीट लम्बा और 117 फीट चौड़ा है तथा इस प्रवेश द्वार की ऊँचाई 100 फीट है। पर्यटक यहाँ मुख्य प्रवेश द्वार के बगल में बने छोटे द्वारों से मुख्य परिसर में प्रवेश करते हैं। | ताजमहल का मुख्य प्रवेश दक्षिण द्वार से है। यह प्रवेश द्वार 151 फीट लम्बा और 117 फीट चौड़ा है तथा इस प्रवेश द्वार की ऊँचाई 100 फीट है। पर्यटक यहाँ मुख्य प्रवेश द्वार के बगल में बने छोटे द्वारों से मुख्य परिसर में प्रवेश करते हैं। | ||
====<u>मुख्य द्वार</u>==== | ====<u>मुख्य द्वार</u>==== | ||
[[चित्र:Tajmahal-6.jpg|thumb|300px|ताजमहल, [[आगरा]]<br /> Tajmahal, Agra]] | [[चित्र:Tajmahal-6.jpg|thumb|300px|ताजमहल, [[आगरा]]<br /> Tajmahal, Agra]] | ||
ताजमहल का मुख्य द्वार लाल सेंड स्टोन से बनाया हुआ है। यह मुख्य द्वार 30 मीटर ऊँचा है। इस मुख्य द्वार पर अरबी लिपि में क़ुरान की आयतें तराशी गई हैं। इस मुख्य द्वार के ऊपर हिन्दु शैली का छोटे गुम्बद के आकार का मंडप है और अत्यंत भव्य प्रतीत होता है। इस प्रवेश द्वार की एक मुख्य विशेषता यह है कि अक्षर लेखन यहाँ से समान आकार का प्रतीत होता है। इसे तराशने वालों ने इतनी कुशलता से तराशा है कि बड़े और लम्बे अक्षर एक आकार का होने जैसा भ्रम उत्पन्न करते हैं। यहाँ चार बाग़ के रूप में भली भांति तैयार किए गए 300×300 मीटर के उद्यान हैं जो पैदल रास्ते के दोनों ओर फैले हुए हैं। इसके मध्य में एक मंच है जहाँ से पर्यटक ताज की तस्वीरें ले सकते हैं। | ताजमहल का मुख्य द्वार लाल सेंड स्टोन से बनाया हुआ है। यह मुख्य द्वार 30 मीटर ऊँचा है। इस मुख्य द्वार पर अरबी लिपि में क़ुरान की आयतें तराशी गई हैं। इस मुख्य द्वार के ऊपर हिन्दु शैली का छोटे गुम्बद के आकार का मंडप है और अत्यंत भव्य प्रतीत होता है। इस प्रवेश द्वार की एक मुख्य विशेषता यह है कि अक्षर लेखन यहाँ से समान आकार का प्रतीत होता है। इसे तराशने वालों ने इतनी कुशलता से तराशा है कि बड़े और लम्बे अक्षर एक आकार का होने जैसा भ्रम उत्पन्न करते हैं। यहाँ चार बाग़ के रूप में भली भांति तैयार किए गए 300×300 मीटर के उद्यान हैं जो पैदल रास्ते के दोनों ओर फैले हुए हैं। इसके मध्य में एक मंच है जहाँ से पर्यटक ताज की तस्वीरें ले सकते हैं। | ||
Line 64: | Line 64: | ||
{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}} | {{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}} | ||
{{मुग़ल साम्राज्य}} | {{मुग़ल साम्राज्य}} | ||
{{भारत के मुख्य पर्यटन स्थल}} | |||
[[Category:उत्तर_प्रदेश_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:भारत_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:ऐतिहासिक_स्थान_कोश]][[Category:मुग़ल_साम्राज्य]][[Category:ऐतिहासिक_स्थल]][[Category:आगरा]] [[Category:पर्यटन_कोश]] | [[Category:उत्तर_प्रदेश_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:भारत_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:ऐतिहासिक_स्थान_कोश]][[Category:मुग़ल_साम्राज्य]][[Category:ऐतिहासिक_स्थल]][[Category:आगरा]] [[Category:पर्यटन_कोश]] | ||
[[Category:राष्ट्रीय स्मारक]] | [[Category:राष्ट्रीय स्मारक]] |
Revision as of 09:08, 3 February 2011
[[चित्र:Tajmahal-03.jpg||thumb|400px|ताजमहल, आगरा
Tajmahal, Agra]]
ताजमहल आगरा, उत्तर प्रदेश राज्य, भारत में स्थित है। (निर्माण- सन 1632 से 1653 ई.)। ताजमहल आगरा शहर के बाहरी इलाके में यमुना नदी के दक्षिणी तट पर बना हुआ है। ताजमहल मुग़ल शासन की सबसे प्रसिद्ध स्मारक है। सफ़ेद संगमरमर की यह कृति संसार भर में प्रसिद्ध है और पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंन्द्र है। ताजमहल विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है। ताजमहल एक महान शासक का अपनी प्रिय रानी के प्रति प्रेम का अद्भुत शाहकार है। ताजमहल का सबसे मनमोहक और सुंदर दृश्य पूर्णिमा की रात को दिखाई देता है।
इतिहास
मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने ताजमहल को अपनी पत्नी अर्जुमंद बानो बेग़म, जिन्हें मुमताज़ महल भी कहा जाता था, की याद में बनवाया था। ताजमहल को शाहजहाँ ने मुमताज महल की क़ब्र के ऊपर बनवाया था। मृत्यु के बाद शाहजहाँ को भी वहीं दफ़नाया गया। मुमताज़ महल के नाम पर ही इस मक़बरे का नाम ताजमहल पड़ा। सन 1612 ई. में निकाह के बाद 1631 में प्रसूति के दौरान बुरहानपुर में मृत्यु होने तक अर्जुमंद शाहजहाँ की अभिन्न संगिनी बनी रहीं। मुमताज़ महल के रहने के लिए दिवंगत रानी के नाम पर मुमताज़ा बाद बनाया गया, जिसे अब ताज गंज कहते हैं और यह भी इसके नज़दीक निर्मित किया गया था।
ताजमहज मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। ताजमहल के निर्माण में फ़ारसी, तुर्क, भारतीय तथा इस्लामिक वास्तुकला का सुंदर सम्मिश्रण किया गया है। 1983 ई. में ताजमहल को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है। ताजमहल का श्वेत गुम्बद एवं टाइल आकार में संगमरमर से ढका केन्द्रीय मक़बरा वास्तु सौंदर्य का अप्रितम उदाहरण है।[1]
संरचना
ताजमहल 580×305 मीटर के आयताकार भूखंड पर बना हुआ है और उत्तर-दक्षिण की ओर संरेखित है। ताजमहल के भूखंड के मध्य में चौकोर बग़ीचा है, जिसकी हर भुजा की लम्बाई 305 मीटर है। यह बग़ीचा उत्तर तथा दक्षिण में दो छोटे आयताकार खंडों से घिरा है। दक्षिणी आयताकार खंड में परिसर और परिचारकों की इमारत में आने के लिए बलुआ पत्थर से बना प्रवेशद्वार है।
उत्तरी आयताकार खंड यमुना नदी के किनारे तक पहुँचता है। यहाँ सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भवन हैं, जैसे विख्यात मक़बरा, जिसके पश्चिमी और पूर्वी पार्श्व में एक जैसे दो भवन, मस्जिद और जवाब (प्रत्युत्तर या सौंदर्यबोध को संतुलित रखने वाला भवन) हैं। इसके आसपास ऊँची चारदीवारी है, जिसके कोनों पर अष्टकोणीय मंडप हैं, जिसमें कंगूरे निकले हैं। यह चारदीवारी उत्तरी खंड तथा बग़ीचे के मध्य भाग को घेरे हुए है। दक्षिण में अस्तबल तथा पहरेदारों के कक्ष हैं। संपूर्ण परिसर की योजना और निर्माण समग्रता के साथ किया गया, क्योंकि मुग़लकालीन भवन-निर्माण कार्यों में बाद में किसी तरह के जोड़-तोड़ का रिवाज नहीं था।
[[चित्र:Tajmahal-1.jpg|thumb|300px|ताजमहल, आगरा
Tajmahal, Agra]]
मक़बरा सात मीटर ऊँचे संगमरमर के चबूतरे पर बना है, जिसमें चार एक जैसे खांचेदार प्रवेशद्वार हैं और एक विशाल मेहराब है, जिसकी ऊँचाई प्रत्येक फलक पर 33 मीटर है। इसके ऊँचे बेलनाकार आधार पर टिके लट्टूनुमा छोटे गुंबद से मिलकर संरचना पूरी हो जाती है। मक़बरे के शीर्षों का सामंजस्य हर मेहराब के ऊपर मुंडेर व कलश और हर कोने पर छतरीनुमा गुंबद के द्वारा बैठाया गया है। चबूतरे के चारों कोनों पर एक-एक तिमंज़ली मीनार बनी है। मक़बरे का संगमरमर एकदम चिकना तराशा हुआ है, जबकि मीनारों में ईंट शैली में इसका इस्तेमाल हुआ है। मक़बरे के भीतर अष्टकोणीय कक्ष है, जो कम अलंकृत और बढ़िया पिएत्रा दुरा से बना है।
निर्माण
ताजमहल का निर्माण सन 1632 के आसपास शुरु हुआ था। भारत, फ़ारस, मध्य एशिया और अन्य मुल्कों के वास्तुविदों की एक परिषद ने इस इमारत के निर्माण की एक योजना तैयार की थी। लगभग 1653 में ताजमहल का काम पूरा होने तक 20 हज़ार से भी अधिक श्रमिक और कारीगर प्रतिदिन ताजमहल के निर्माण में जुटे रहे। ताजमहल के आसपास की दीवार तथा मुख्य द्वार 1649 में बने थे। संपूर्ण ताज परिसर के निर्माण में 22 वर्ष का समय लगा और इसमें चार करोड़ रुपये ख़र्च हुए। भारत के अलावा फ़ारस और तुर्की के मज़दूर भी थे। ताज की अपनी एक अलग अदा है जो दर्शकों को अपनी ओर खीँच लेती है। शाहजहाँ ने इसे बनाने वालों के हाथ कटवा दिये थे। इस स्मारक का नक़्शा भारतीय वास्तुकार ईसा ने बनाया था। कुछ लोगों का अनुमान है कि नक़्शा बनाने में इटली अथवा फ्रांस के वास्तुकार की भी मदद ली गई थी।[2]
निर्माणकार
[[चित्र:Tajmahal-04.jpg|thumb|300px|ताजमहल, आगरा
Tajmahal, Agra]]
ताजमहल के निर्माणकारों में कुछ निर्माणकार प्रमुख हैं। ताजमहल का केली ग्राफर अमानत ख़ान शिराजी थे। मक़बरे के पत्थर पर इबारतें कवि गयासुद्दीन ने लिखी हैं, जबकि ताजमहल के गुम्बद का निर्माण इस्माइल ख़ान अफ़रीदी ने टर्की से आकर किया। ताजमहल के मिस्त्रियों का अधीक्षक मुहम्मद हनीफ़ था। ताजमहल के डिज़ाइनर का नाम उस्ताद अहमद लाहौरी था।
सामग्री
ताजमहल की सामग्री पूरे भारत और मध्य एशिया से लाई गई थी। 1000 हाथियों के बेड़े की सहायता इस सामग्री को निर्माण स्थल तक लाने में ली गई। ताजमहल का केन्द्रीय गुम्बद 187 फीट ऊँचा है। ताजमहल का लाल सेंड स्टोन फतेहपुर सीकरी, पंजाब के जसपेर, चीन से जेड और क्रिस्टल, तिब्बत से टर्कोइश यानी नीला पत्थर, श्रीलंका से लेपिस लजुली और सेफायर, अरब से कोयला और कोर्नेलियन तथा पन्ना से हीरे लाए गए। ताजमहल में कुल मिलाकर 28 प्रकार के दुर्लभ, मूल्यवान और अर्ध मूल्यवान पत्थर ताजमहल की नक़्क़ाशी में उपयोग किए गए थे। मुख्य भवन सामग्री, सफ़ेद संगमरमर ज़िला नागौर, राजस्थान के मकराना की खानों से लाया गया था।
प्रवेश द्वार
ताजमहल का मुख्य प्रवेश दक्षिण द्वार से है। यह प्रवेश द्वार 151 फीट लम्बा और 117 फीट चौड़ा है तथा इस प्रवेश द्वार की ऊँचाई 100 फीट है। पर्यटक यहाँ मुख्य प्रवेश द्वार के बगल में बने छोटे द्वारों से मुख्य परिसर में प्रवेश करते हैं।
मुख्य द्वार
[[चित्र:Tajmahal-6.jpg|thumb|300px|ताजमहल, आगरा
Tajmahal, Agra]]
ताजमहल का मुख्य द्वार लाल सेंड स्टोन से बनाया हुआ है। यह मुख्य द्वार 30 मीटर ऊँचा है। इस मुख्य द्वार पर अरबी लिपि में क़ुरान की आयतें तराशी गई हैं। इस मुख्य द्वार के ऊपर हिन्दु शैली का छोटे गुम्बद के आकार का मंडप है और अत्यंत भव्य प्रतीत होता है। इस प्रवेश द्वार की एक मुख्य विशेषता यह है कि अक्षर लेखन यहाँ से समान आकार का प्रतीत होता है। इसे तराशने वालों ने इतनी कुशलता से तराशा है कि बड़े और लम्बे अक्षर एक आकार का होने जैसा भ्रम उत्पन्न करते हैं। यहाँ चार बाग़ के रूप में भली भांति तैयार किए गए 300×300 मीटर के उद्यान हैं जो पैदल रास्ते के दोनों ओर फैले हुए हैं। इसके मध्य में एक मंच है जहाँ से पर्यटक ताज की तस्वीरें ले सकते हैं।
ताज संग्रहालय
ताजमहल के मंच की बायीं ओर ताज संग्रहालय है। यहाँ मूल चित्रों में उस बारीकी को देखा जा सकता है कि वास्तुकला में इस स्मारक की योजना किस प्रकार बनाई। इस इमारत को बनने में 22 वर्ष का समय लगेगा वास्तुकार ने यह भी अंदाजा लगाया था। इस बारीकी से अंदरुनी हिस्से के आरेख क़ब्रों की स्थिति दर्शाते हैं कि क़ब्रों के पैर की ओर वाला हिस्सा दर्शकों को किसी भी कोण से दिखाई दे सके।
मस्जिद
लाल सेंड स्टोन से बनी हुई एक मस्जिद ताज की बायीं ओर है। इस्लाम धर्म की एक आम बात यह है कि मक़बरे के पास एक मस्जिद का निर्माण किया जाता है, क्योंकि इससे उस हिस्से को एक पवित्रता नीति और पूजा का स्थान मिलता है। इस मस्जिद को अब भी शुकराने की नमाज़ के लिए उपयोग किया जाता है।
जबाब
एक दम समान मस्जिद ताज की दायीं ओर भी बनाई गई है और इसे जवाब कहते हैं। यहाँ नमाज़ अदा नहीं की जाती क्योंकि यह पश्चिम की ओर है अर्थात मक्का के विपरीत, जो मुस्लिमों का पवित्र धार्मिक शहर है। इसे सममिति बनाए रखने के लिए निर्मित कराया गया था।
बाह्य सज्जा
[[चित्र:Tajmahal-5.jpg|thumb|300px|ताजमहल, आगरा
Tajmahal, Agra]]
ताजमहल एक ऊँचे मंच पर बनाया गया है। ताजमहल की नींव के प्रत्येक कोने से उठने वाली चार मीनारें मक़बरे को पर्याप्त संतुलन देती हैं। यह मीनारे 41.6 मीटर ऊँची हैं और इन मीनारों को जानबूझकर बाहर की ओर हल्का सा झुकाव दिया गया है ताकि यह मीनारें भूकंप जैसी दुर्घटना में मक़बरे पर न गिर कर बाहर की ओर गिरे। ताजमहल का विशालकाय गुम्बद असाधारण रूप से बड़े ड्रम पर टिका है और इसकी कुल ऊँचाई 44.41 मीटर है। इस ड्रम के आधार से शीर्ष तक स्तूपिका है। इसके कोणों के बावज़ूद केन्द्रीय गुम्बद मध्य में है। यह आधार और प्रवेश द्वार की ओर खुलने वाली दोहरी सीढियां मक़बरे पर पहुँचने का केवल एक बिंदु है। यहाँ अंदर जाने के लिए जूते निकालने होते हैं या आप जूतों पर एक कवर लगा सकते हैं जो इस प्रयोजन के लिए यहाँ उपस्थित कर्मचारियों द्वारा आपको दिए जाते हैं।
ताज की अंदरुनी सज्जा
ताजमहल के अंदरुनी हिस्से में एक विशाल केन्द्रीय कक्ष, इसके तत्काल नीचे एक तहख़ाना है और इसके नीचे शाही परिवारों के सदस्यों की क़ब्रों के लिए मूलत: आठ कोनों वाले चार कक्ष हैं। इस कक्ष के मध्य में शाहजहाँ और मुमताज़महल की क़ब्रें हैं। शाहजहाँ की क़ब्र बांईं और अपनी प्रिय रानी की क़ब्र से कुछ ऊँचाई पर है जो गुम्बद के ठीक नीचे स्थित है। जिस पर पहले क़ीमती पत्थर जड़े हुए थे। बग़ीचे की सतह से नीचे एक तहख़ाने में वास्तविक ताबूत मौज़ूद हैं। मुमताज महल की क़ब्र पर पर्शियन में क़ुरान की आयतें लिखी हैं। इस क़ब्र पर एक पत्थर लगा है जिस पर लिखा है-
मरकद मुनव्वर अर्जुमद बानो बेगम मुखातिब बह मुमताज महल तनीफियात फर्र सानह 1404 हिजरी।[3]
शाहजहाँ की क़ब्र पर पर्शियन में लिखा है -
मरकद मुहताहर आली हजरत फिरदौस आशियानी साहिब- क़ुरान सानी सानी शाहजहाँ बादशाह तब सुराह सानह 1076 हिजरी।[4]
इस क़ब्र के ऊपर एक लैम्प है, जिसकी ज्वाला कभी समाप्त नहीं होती है। क़ब्रों के चारों ओर संगमरमर की जालियाँ बनी है। दोनों क़ब्रें अर्ध मूल्यवान रत्नों से सजाई गई हैं। इमारत के अंदर ध्वनि का नियंत्रण अत्यंत उत्तम है, जिसके अंदर क़ुरान और संगीतकारों की स्वर लहरियाँ प्रतिध्वनित होती रहती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जूते पहनने से पहले आपको क़ब्र का एक चक्कर लगाना चाहिए ताकि आप इसे सभी ओर से निहार सकें।[5]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ताजमहल (हिन्दी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 12 अक्तूबर, 2010।
- ↑ ताजमहल (हिन्दी) विकीमेपिया। अभिगमन तिथि: 12 अक्तूबर, 2010।
- ↑ (यहाँ अर्जुमंद बानो बेगम, जिन्हें मुमताज़ महल कहते हैं, स्थित हैं जिनकी मौत 1904 ए एच या 1630 ए डी को हुई)
- ↑ (इस सर्वोत्तम उच्च महाराजा, स्वर्ग के निवासी, तारों मंडलों के दूसरे मालिक, बादशाह शाहजहाँ की पवित्र क़ब्र इस मक़बरे में हमेशा फलती फूलती रहे, 1607 ए एच (1666 ए डी)
- ↑ ताजमहल (हिन्दी) भारत की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 12 अक्तूबर, 2010।
बाहरी कडियाँ
संबंधित लेख