वामन एकादशी: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:32, 5 August 2013
वामन एकादशी
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अन्य नाम | 'पद्मा एकादशी', 'जयन्ती एकादशी' या 'परिवर्तनी एकादशी' |
अनुयायी | हिन्दू धर्म के अनुयायी |
उद्देश्य | इस दिन भगवान विष्णु का व्रत करने करने से सभी पाप कट जाते हैं और पापियों का उद्धार होता है। व्रत करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। |
तिथि | भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की एकादशी |
धार्मिक मान्यता | 'वामन एकादशी' के विषय में मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं। इसी वजह से इस एकादशी को 'परिवर्तिनी एकादशी' भी कहते हैं। |
संबंधित लेख | वामन भगवान, विष्णु, अवतार, बलि |
अन्य जानकारी | इस दिन यज्ञोपवीत से भगवान वामन की प्रतिमा स्थापित कर, अर्ध्य दान करने, फल-फूल अर्पित करने और उपवास आदि करने से व्यक्ति का कल्याण होता है। |
वामन एकादशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कहा जाता है। यह तिथि 'पद्मा एकादशी', 'जयन्ती एकादशी' या 'परिवर्तनी एकादशी' भी कही जाती है। वामन एकादशी के व्रत को करने से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। इस तिथि में भगवान वामन देव का पूजन अवश्य करना चाहिए। वामन एकादशी के दिन यज्ञोपवीत से भगवान वामन की प्रतिमा स्थापित कर, अर्ध्य दान करने, फल-फूल अर्पित करने और उपवास आदि करने से व्यक्ति का कल्याण होता है।
एकादशी तिथि
एक अन्य मत के अनुसार भादों मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन यह व्रत किया जाता है। एकादशी तिथि के दिन किया जाने वाला वामन एकादशी व्रत 'पद्मा एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है। जबकि एक अन्य मत यह कहता है कि एकादशी व्रत होने के कारण इस व्रत को एकादशी तिथि में ही किया जाना चाहिए। इस दिन वामन एकादशी व्रत किया जा सकता है।[1]
व्रत विधि
वामन एकादशी के दिन व्रती को अपने नित्य कार्यों से निवृत्त होने के बाद भगवान वामन का पूजन करना चाहिए और अर्ध्य देते समय निम्न मंत्र का प्रयोग करना चाहिए-
देवेश्चराय देवाय, देव संभूति कारिणे।
प्रभवे सर्व देवानां वामनाय नमो नम:।।
इसकी पूजा करने का एक दूसरा विधान भी है। पूजा के बाद 52 पेड़े और 52 दक्षिणा रखकर भोग लगाया जाता है। फिर एक टोकरी में एक कटोरी चावल, एक कटोरी शरबत, एक कटोरी चीनी, एक कटोरी दही, ब्राह्मण को दान दी जाती है। इसी दिन व्रत का उद्यापन भी करना चाहिए। उध्यापन में ब्राह्माणों को एक छाता, खड़ाऊँ तथा दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। इस व्रत को करने से स्वर्ग कि प्राप्ति होती है।
महत्त्व
वामन एकादशी को 'जयन्ती एकादशी' भी कहते हैं। इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश होता है। 'जयन्ती एकादशी व्रत' को करने से नीच पापियों का उद्धार हो जाता है। अगर कोई व्यक्ति 'परिवर्तनी एकादशी' के दिन भगवान श्रीविष्णु की भी पूजा करता है तो उसे भी मोक्ष कि प्राप्ति होती है। वामन एकादशी के फलों के विषय में जरा भी संदेह नहीं है। जो भी व्यक्ति इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, वह ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों की पूजा करता है। इस एकादशी के व्रत को करने के बाद व्यक्ति के लिए इस संसार में कुछ भी करना शेष नहीं रहता। वामन एकादशी के दिन के विषय में एक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णू जी करवट बदलते हैं। इसी वजह से इस एकादशी को 'परिवर्तिनी एकादशी' भी कहते हैं।[1]
कथा
त्रेता युग में बलि नाम का एक दानव था। वह भक्त, दानी, सत्यवादी तथा ब्राह्मणों की सेवा करने वाला था। साथ ही वह सदैव यज्ञ और तप आदि किया करता था। वह अपनी भक्ति के प्रभाव से स्वर्ग में देवराज इन्द्र के स्थान पर राज्य करने लगा। इन्द्र तथा अन्य देवता इस बात को सहन न कर सके, और भगवान विष्णु के पास जाकर प्रार्थना करने लगे। अन्त में भगवान विष्णु ने वामन का रूप धारण किया और राजा बलि से याजना की- "हे राजन, तुम मुझे तीन पग भूमि दे दो। इससे तुम्हें तीन लोक दान का फल प्राप्त होगा"। राजा बलि ने इस छोटी-सी याचना को स्वीकार कर लिया और वह भूमि देने को तैयार हो गया। ऐसे में भगवान विष्णु ने अपना आकार बढ़ा लिया। उन्होंने प्रथम पग में सम्पूर्ण पृथ्वी, दूसरे पग में नभ और तीसरा पग रखने से पहले राजा बलि से पूछा कि- "अब पैर कहाँ रखूँ"। इतना सुनकर राजा बलि ने अपना सिर नीचा कर लिया और भगवान विष्णु ने तीसरा पैर राजा बलि के सिर पर रख दिया। ऐसे में भक्त दानव पाताल लोक चला गया।
पाताल लोक में राजा बलि ने विनीत की तो भगवान विष्णु ने कहा की- मैं तुम्हारे पास सदैव रहूँगा। भादो मास के शुक्ल पक्ष की 'परिवर्तनी' नाम की एकादशी के दिन मैं एक रूप से राजा बलि के पास रहूँगा और एक रूप से क्षीरसागर में शेषनाग पर शयन करता रहूँगा।" इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु सोते हुए करवट बदलते हैं। इस दिन त्रिलोक के नाथ विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। वामन एकादशी के दिन चावल और दही सहित चांदी का दान करने का विशेष विधि-विधान है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 वामन एकादशी, जयंती एकादशी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 05 अगस्त, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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