बहादुरपुर का युद्ध: Difference between revisions
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*सुलेमान शिकोह को बाद में उसके चाचा औरंगज़ेब ने क़ैद करके | *सुलेमान शिकोह को बाद में उसके चाचा औरंगज़ेब ने क़ैद करके फाँसी दे दी। औरंगज़ेब ने 1658 में शाहजहाँ को कैद कर एक [[महीने]] बाद स्वयं को बादशाह घोषित कर दिया। उसने दारा, मुराद और शुजा<ref>जो फ़रार होकर 1660 में [[म्यांमार]], भूतपूर्व बर्मा में मरे</ref>) को भी हराया। | ||
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बहादुरपुर का युद्ध एक संघर्ष था, जो 24 फरवरी, सन 1658 को हुआ। यह युद्ध भारत के मुग़ल बादशाह शाहजहाँ (शासनकाल:1628-57/58) के बेटों के बीच उत्तराधिकार की लड़ाई का निर्णय करने में सहायक रहा।
- सन 1657 में शाहजहाँ के बीमार पड़ने पर उसके चारों पुत्र दारा शिकोह, शाहशुजा, औरंगज़ेब व मुराद बख़्श सत्ता के लिए लड़ने लगे। दूसरे पुत्र शुजा ने तुरंत स्वयं को बंगाल का स्वतंत्र प्रशासक घोषिक कर दिया।
- दारा के पुत्र सुलेमान शिकोह ने शुजा को उत्तर प्रदेश में वाराणसी (भूतपूर्व बनारस) के पूर्वोत्तर में 8 किलोमीटर दूर स्थित बहादुरपुर में हरा दिया।
- सुलेमान शिकोह को बाद में उसके चाचा औरंगज़ेब ने क़ैद करके फाँसी दे दी। औरंगज़ेब ने 1658 में शाहजहाँ को कैद कर एक महीने बाद स्वयं को बादशाह घोषित कर दिया। उसने दारा, मुराद और शुजा[1]) को भी हराया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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