अपरमत्स्य: Difference between revisions

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'''अपरमत्स्य''' [[महाभारत]] काल में एक पौराणिक स्थान था। नीचे दिये उद्धरण से सूचित होता है कि [[सहदेव]] ने अपनी दिग्विजययात्रा में अपरमत्स्य देश को जीता था।
'''अपरमत्स्य''' [[महाभारत]] काल में एक महत्त्वपूर्ण स्थान था। नीचे दिये उद्धरण से सूचित होता है कि [[सहदेव]] ने अपनी दिग्विजय यात्रा में '''अपरमत्स्य देश''' को जीता था।
<poem>'सुकुमारं वशे चक्रे सुमित्रं च नराधिपम्,  
<poem>'सुकुमारं वशे चक्रे सुमित्रं च नराधिपम्,  
तथैवापरमत्स्यांश्च व्यजयत् स पटच्चरान्'।<ref>[[वन पर्व महाभारत|महाभारत वन पर्व]] 31,4</ref></poem>  
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* इससे पूर्व उन्होंने [[शूरसेन]] और मत्स्य-नरेशों पर भी विजय प्राप्त की थी।<ref>[[वन पर्व महाभारत|महाभारत वन पर्व]] 31, 4</ref>  
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* इससे जान पड़ता है कि अपरमत्स्य देश मत्स्य<ref>[[जयपुर]]-[[अलवर]] क्षेत्र</ref> के निकट ही, संभवत: उससे [[दक्षिण]]-[[पूर्व दिशा|पूर्व]] की ओर था जैसा कि सहदेव के यात्राक्रम से सूचित होता है उपर्युक्त उद्धरण से यह भी स्पष्ट है कि अपरमत्स्य देश में पटच्चर या पाटच्चर<ref>यह अपरमत्स्य के पार्श्ववर्ती प्रदेश का नाम हो सकता है।</ref> नामक लोगों का निवास था। संभवत: ये लोग चोरी करने में अभ्यस्त थे जिससे 'पाटच्चर' का [[संस्कृत]] में अर्थ ही चोर हो गया है।  
*रायचौधरी के मत में यह देश [[चंबल नदी|चंबल]]-तट के उत्तरी पहाड़ों में स्थित था।<ref>दि पोलिटिकल हिस्ट्री आव एंशेंट इंडिया, चतुर्थ संस्करण, पृ. 116</ref>
*[[हेमचंद्र रायचौधरी|रायचौधरी]] के मत में यह देश [[चंबल नदी|चंबल]]-तट के उत्तरी पहाड़ों में स्थित था।<ref>द पॉलिटिकल हिस्ट्री आफ एंशेंट इंडिया, चतुर्थ संस्करण, पृ. 116</ref>






==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ=
*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 26| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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Latest revision as of 11:02, 3 May 2018

अपरमत्स्य महाभारत काल में एक महत्त्वपूर्ण स्थान था। नीचे दिये उद्धरण से सूचित होता है कि सहदेव ने अपनी दिग्विजय यात्रा में अपरमत्स्य देश को जीता था।

'सुकुमारं वशे चक्रे सुमित्रं च नराधिपम्,
तथैवापरमत्स्यांश्च व्यजयत् स पटच्चरान्'।[1]

  • इससे पूर्व उन्होंने शूरसेन और मत्स्य-नरेशों पर भी विजय प्राप्त की थी।[2]
  • इससे जान पड़ता है कि अपरमत्स्य देश मत्स्य[3] के निकट ही, संभवत: उससे दक्षिण-पूर्व की ओर था जैसा कि सहदेव के यात्राक्रम से सूचित होता है उपर्युक्त उद्धरण से यह भी स्पष्ट है कि अपरमत्स्य देश में पटच्चर या पाटच्चर[4] नामक लोगों का निवास था। संभवत: ये लोग चोरी करने में अभ्यस्त थे जिससे 'पाटच्चर' का संस्कृत में अर्थ ही चोर हो गया है।
  • रायचौधरी के मत में यह देश चंबल-तट के उत्तरी पहाड़ों में स्थित था।[5]


=टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 26| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
  1. महाभारत वन पर्व 31,4
  2. महाभारत वन पर्व 31, 4
  3. जयपुर-अलवर क्षेत्र
  4. यह अपरमत्स्य के पार्श्ववर्ती प्रदेश का नाम हो सकता है।
  5. द पॉलिटिकल हिस्ट्री आफ एंशेंट इंडिया, चतुर्थ संस्करण, पृ. 116

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