User:DrMKVaish: Difference between revisions
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आषाढ़ी पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर तीर्थनगरी में गंगा स्नान करने व गुरु पूजन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, यूपी, दिल्ली के कोने-कोने से आज पूर्णिमा स्नान के साथ ही कस्बे में एक माह तक चलने वाला कॉवर मेला प्रारम्भ हो जाएगा। | आषाढ़ी पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर तीर्थनगरी में गंगा स्नान करने व गुरु पूजन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, यूपी, दिल्ली के कोने-कोने से आज पूर्णिमा स्नान के साथ ही कस्बे में एक माह तक चलने वाला कॉवर मेला प्रारम्भ हो जाएगा। | ||
मकर संकंराति के अवसर पर बरमान से बांदकपुर भगवान भोलेशंकर के चरणों में जल चढ़ाने के लिए जा रहे कावडिय़ों का गुरुवार को तालसेमरा में संतश्री | मकर संकंराति के अवसर पर बरमान से बांदकपुर भगवान भोलेशंकर के चरणों में जल चढ़ाने के लिए जा रहे कावडिय़ों का गुरुवार को तालसेमरा में संतश्री 1०८ सीताराम महराज बादकपुर जाकर भगवान भोलेशंकर के चरणों में अर्पित करते हैं। कॉवरियों द्वारा यह सारी यात्रा पैदल ही की जाती है। स्वागत करने वालों में लक्ष्मीनारायण जारोलिया, पप्पू जारोलिया, हरदास पटेल, अशोक पटेल आदि शामिल हैं। | ||
बेवर: महाशिव रात्रि के पावन पर्व पर काबड़ियों ने फर्रुखाबाद से जल भरकर विभिन्न शिवालयों में चढ़ाकर मन्नत मांगी तो कुछ काबड़ियों ने भोलेनाथ से पुन: जल लेकर आने का वादा किया। | बेवर: महाशिव रात्रि के पावन पर्व पर काबड़ियों ने फर्रुखाबाद से जल भरकर विभिन्न शिवालयों में चढ़ाकर मन्नत मांगी तो कुछ काबड़ियों ने भोलेनाथ से पुन: जल लेकर आने का वादा किया। | ||
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(21) त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् । | (21) त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् । | ||
(स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता, मनुष्य कहाँ लगता है।) | (स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता, मनुष्य कहाँ लगता है।) | ||
(22) कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है। - नीतिवाक्यामृत- | (22) कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है। - नीतिवाक्यामृत-३।1२ | ||
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* शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम। (यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते है) | * शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम। (यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते है) | ||
* मुक्त बाज़ार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है। यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें ख़रीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है। - अरुंधती राय | * मुक्त बाज़ार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है। यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें ख़रीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है। - अरुंधती राय | ||
* कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए। - दर्पदलनम् | * कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए। - दर्पदलनम् 1।२९ | ||
* तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता। - ओशो | * तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता। - ओशो | ||
* पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नहीं करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है। महाभारत -उद्योग पर्व | * पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नहीं करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है। महाभारत -उद्योग पर्व |
Revision as of 09:48, 1 November 2014
100pxतिरंगा|left|150px 200px|center|भारत माता
चित्र:Blockquote-open.gif
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
चित्र:Blockquote-close.gif - महात्मा गांधी
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ख़ूबसूरत बातें
- ख़ूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए एक दुआ है।
- ख़ूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए।
- ख़ूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए और किसी के प्यार के रंग मे रंग जाए।
- ख़ूबसूरत है वो जज़बात जो दूसरो की भावनाओं को समझे।
- ख़ूबसूरत है वो एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो।
- ख़ूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ।
- ख़ूबसूरत है वो आँखे जिनमे कितने ख़ूबसूरत ख्वाब समा जाएँ।
- ख़ूबसूरत है वो आसूँ जो किसी के ग़म मे बह जाएँ।
- ख़ूबसूरत है वो हाथ जो किसी के लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए।
- ख़ूबसूरत है वो कदम जो अमन और शान्ति का रास्ता तय कर जाएँ।
- ख़ूबसूरत है वो सोच जिस मे पूरी दुनिया की भलाई का ख्याल आ जाए।
डा॰ मनीष कुमारवैश्य |
National Anthem =
मेरे पृष्ट पर आप का स्वागत है !
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