Difference between revisions of "वनमाला"

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महीधर नामक राजा की कन्या का नाम वनमाला था। उसने बाल्यकाल से ही [[लक्ष्मण]] से विवाह करने का संकल्प कर रखा था। लक्ष्मण के राज्य से चले जाने के बाद महीधर ने उसका विवाह अन्यत्र करना चाहा, किन्तु वह तैयार नहीं हुई। वह सखियों के साथ वनदेवता की पूजा करने के लिए गई। बरगद के वृक्ष (जिसके नीचे पहले [[राम]], [[सीता]] और लक्ष्मण रह चुके थे) के नीचे खड़े होकर उसने गले में फंदा डाल लिया। वह बोली की लक्ष्मण को न पाकर मेरा जीवन व्यर्थ है, अत: वह आत्महत्या करने के लिए तत्पर हो गई। संयोग से उसी समय लक्ष्मण ने वहाँ पर पहुँचकर उसे बचाया तथा उसे ग्रहण किया। उसने लक्ष्मण के साथ जाकर राम और सीता को प्रणाम किया। राजा महीधर ने उन सबका सत्कार किया। तभी एक दूत ने समाचार दिया कि राजा को अतिवीर्य ने युद्ध में सहायता के लिए आमंत्रित किया है। यह युद्ध [[भरत]] के विरुद्ध है, क्योंकि भरत अधीनता स्वीकार नहीं करता। उन लोगों ने विचार-विमर्श किया कि किस प्रकार से भरत को विजयी किया जा सकता है। राजा महीधर को आश्वस्त करके वह लोग उसके पुत्रों तथा सेना को लेकर चले। पड़ाव पर उन्होंने जिनेश्वर के दर्शन किये। मन्दिर में भवनपाली का दिव्य रूप था तथा हाथ में तलवार थी। वंदना के उपरान्त राम-लक्ष्मण ने विचार-विमर्श किया, फिर लक्ष्मण सहित पुरुषों का नारी रूप में शृंगार करके वे लोग राजा अतिवीर्य के दरबार में पहुँचे। वहाँ पर नृत्य आदि का आनन्द लेते हुए अचानक छद्मवेशी लक्ष्मण ने राजा को बालों से पकड़कर घसीट लिया तथा उसको भरत से संधि करने का आदेश दिया। [[हाथी]] पर विराजमान राम ने वहाँ पहुँचकर उसे छुड़वाया। जिनेश्वर के मन्दिर में उस सहित वंदना की। उसने भरत से मैत्री स्थापित कर तथा नि:संग हो प्रव्रज्या ग्रहण की।<ref>पउम चरितम्, 36, 37|</ref>
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'''वनमाला''' वन के फूलों से बनी माला को कहा जाता है तथा यह घुटनों तक लम्बी और ऋतु-पुष्पों की माला होती है।
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'''उदाहरण'''- भाद्रपद की अँधेरी रात की अष्टमी तिथि पर [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] [[शंख]], [[चक्र अस्त्र|चक्र]], [[गदा शस्त्र|गदा]], पद्म, वनमाला धारण किए हुए [[देवकी]] और [[वसुदेव]] के समक्ष प्रकट हुए। भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन करके माता देवकी धन्य हो गयीं। पुन: [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] नन्हें शिशु के रूप में [[देवकी]] की गोद में आ गये।
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Latest revision as of 09:36, 16 August 2016

chitr:Disamb2.jpg vanamala ek bahuvikalpi shabd hai any arthoan ke lie dekhean:- vanamala (bahuvikalpi)

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vanamala van ke phooloan se bani mala ko kaha jata hai tatha yah ghutanoan tak lambi aur rritu-pushpoan ki mala hoti hai.

udaharan- bhadrapad ki aandheri rat ki ashtami tithi par shrikrishna shankh, chakr, gada, padm, vanamala dharan kie hue devaki aur vasudev ke samaksh prakat hue. bhagavan shrikrishna ka darshan karake mata devaki dhany ho gayian. pun: shrikrishna nanhean shishu ke roop mean devaki ki god mean a gaye.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh

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