कुवलयापीड़: Difference between revisions
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Revision as of 12:08, 10 May 2011
- कंस के मंडप की देहली पर ही कुवलयापीड़ नामक हाथी था। उसे अंकुश से उकसाकर महावत ने कृष्ण की ओर भेजा। कृष्ण ने थोड़ी देर उससे लड़ाई की, फिर उसे धरती पर दे पटका। उसके दोनों दांत निकालकर कृष्ण और बलराम ने एक-एक अपने कंधे पर रख लिये।
- कंस डर गया।
- उसने कृष्ण के साथ चाणूर को तथा बलराम के साथ मुष्टिक नामक मल्ल को लड़ने के लिए भेजा। दोनों ही भयानक योद्धा माने जाते थें कृष्ण ने सहज ही चाणूर को तथा बलराम ने मुष्टिक को मार डाला।
- इसी प्रकार उन दोनों ने कूट, शल और तोशल को भी मार डाला। शेष मल्ल जान बचाकर भागे।
- कंस ने क्रुद्ध होकर वसुदेव को कैद करने की तथा उन दोनों को नगर से निकालने की आज्ञा दी।
- कृष्ण ने उसके सिंहासन के पास पहुंचकर उससे युद्ध आरंभ कर दिया तथा उसे धरती पर घसीट लिया। कंस मारा गया। द्वेष भाव से ही सही, कृष्ण का बार-बार स्मरण करने के कारण उसे सारूप्य मुक्ति प्राप्त हुई।[1] [2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ श्रीमद् भागवत 10।43-44, हरि0 वै0पु0।
- ↑ विष्णुपर्व ।29। विष्णु पुराण 5।20।–