कारख़ाना अधिनियम, 1934
कारख़ाना अधिनियम, 1934 गवर्नर-जनरल लॉर्ड विलिंगटन के समय में श्रमिकों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से लाया गया था।
मुख्य प्रावधान
- इस अधिनियम के तहत प्रथम बार मौसमी कारख़ाने एवं सदैव कार्यरत कारख़ाने में अंतर स्थापित किया गया।
- वयस्क श्रमिकों के काम के घंटो को 11 घंटे प्रतिदिन निश्चित किया गया।
- अल्पायु बच्चों के कार्य करने की अवधि 5 घंटे प्रतिदिन निश्चित कर दी गई।
- नियमित रूप से कार्य करने वाले उद्योगों या कारख़ानों में वयस्क श्रमिकों के दैनिक कार्य की अवधि 10 घंटे प्रतिदिन निश्चित थी।
- श्रमिकों के आराम एवं चिकित्सा की भी व्यवस्था भी इस अधिनियम के अंतर्गत की गई थी।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत में कारख़ाना अधिनियम (हिंदी) divanshugs.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 04, अप्रैल।