जिन्ना के चौदह सूत्र
जिन्ना के चौदह सूत्र वाले मांग पत्र को 1929 ई. में प्रस्तुत किया गया था। मुहम्मद अली जिन्ना मुस्लिम लीग के अध्यक्ष थे और वे 'नेहरू समिति' द्वारा प्रस्तुत की गई 'नेहरू रिपोर्ट' से असंतुष्ट थे। यही कारण था कि उन्होंने रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया। 'नेहरू रिपोर्ट' से सिक्ख समुदाय भी असंतुष्ट था। मुस्लिम लीग ने नेहरू रिपोर्ट के विकल्प के रूप में मार्च, 1929 ई. में जिन्ना के चौदह सूत्र वाले मांग-पत्र को प्रस्तुत किया, इसे ही 'जिन्ना के चौदह सूत्र' कहा जाता है।
मुख्य मांगें
जिन्ना द्वारा जो मांग-पत्र प्रस्तुत किया गया, उसकी मुख्य मांग इस प्रकार थीं-
- भारतीय संविधान संघात्मक हो, अवशिष्ट शक्तियाँ प्रान्तों को दी जाये।
- भारत के सभी प्रान्तों में स्वराज्य एक ही प्रकार का हो।
- समस्त प्रान्तों के विधानमण्डलों में अल्प-संख्यकों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाये।
- केंद्रीय विधानमण्डलों में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व कम से कम एक हो।
- सभी सम्प्रदायों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की जाये।
- सिंध प्रदेश को बम्बई से अलग किया जाय।
- सरकारी नौकरियों में मुस्लिमों को योग्यतानुसार उचित प्रतिनिधित्व मिले।
- केंद्रीय विधानमण्डल द्वारा संघीय संविधान में कोई भी संशोधन प्रान्तों की सहमति से किया जाय।
- केन्द्रीय या प्रान्तीय विधानमण्डलों में कम से कम एक तिहाई मंत्री मुस्लिम हों।
- संविधान के अन्तर्गत अल्प-संख्यकों की शिक्षा, संस्कृति व भाषा की रक्षा की जाये।
- सीमा प्रान्त व बलूचिस्तान में भी अन्य प्रान्तों की ही भांति सुधार किया जाये।
- पंजाब, बंगाल और पश्चिमोत्तार सीमाप्रांत का कोई ऐसा पुनर्गठन न हो, जिससे मुस्लिम बाहुल्य समाप्त हो।
- प्रान्तों की सीमा परिवर्तन में मुस्लिम बहुत प्रान्तों में उनका बहुमत समाप्त न किया जाये।
- किसी भी विधानसभा में ऐसा कोई प्रस्ताव न पेश किया जाये, जिसका कि किसी सम्प्रदाय के 3/4 सदस्य विरोध करें।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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